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Corona may have been developed in Chinese laboratory under formula: Scientist | कोरोना को चीन की प्रयोगशाला में फार्मूले के तहत विकसित किया गया होगा

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। अमेरिका में हार्वर्ड और एमआईटी के शीर्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि चीन के वुहान शहर में प्रयोगशाला से लीक हुए कोरोना विषाणु की उत्पत्ति का सिद्धांत सबसे विश्वासजनक माना जा सकता है क्योंकि इसके संक्रमण के दो वर्षों के बाद भी किसी ऐसे जीव का पता नहीं चल सका है जिसमें इसके रहने की पुष्टि हुई हो।

एमआईटी और हार्वर्ड में जीन थैरेपी तथा सेल इंजीनियिरिंग विशेषज्ञ एलिना चान ने बताया कि इस बात की आशंका है कि इस विषाणु को चीन के वुहान शहर की प्रयोगशाला में किसी फार्मूले के तहत विकसित किया होगा। मेट्रो यूके ने उनके हवाले से बताया कि इस बात पर यकीन किया जा सकता है कि इस विषाणु को प्रयोगशाला में तैयार किया होगा। उन्होंने कहा हमने शीर्ष वैज्ञानिकों से सुना है कि इस विषाणु की उत्पत्ति का प्रयोगशाला सिद्धांत सबसे अधिक विश्वास करने लायक है क्योंकि यह बात पहले सार्स विषाणु में बदलाव करने वाले वैज्ञानिक ने भी कही है।

इस 33 वर्षीय वैज्ञानिक ने ब्रिटिश विज्ञान लेखक मैट रिडले के साथ मिलकर सार्स कोविड-2 की उत्पत्ति के बारे में एक पुस्तक लिखी है। उनका कहना है मेरा मानना है कि इस समय प्राकृतिक उत्पत्ति के मुकाबले प्रयोगशाला उत्पत्ति का सिद्धांत सबसे अधिक विश्वास करने लायक है और हम सभी इस बात को लेकर सहमत है कि वुहान सी फू ड बाजार में जो गंभीर संकट देखा गया था वह मनुष्यों की ओर से एक सुपर स्प्रेडर घटना थी लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि बाजार में उस विषाणु की उत्पत्ति का कोई प्राकृतिक कारण था।

रिडले ने बताया कि अभी भी यह अविश्वसनीय रूप से आश्चर्यजनक है कि सार्स संक्रमण के दो माह बाद हमें उसके मूल का पता लग गया था और कुछ महीनों बाद मर्स विषाणु के बारे में पता लग गया था कि यह ऊंटों से फैला था लेकिन कोरोना संक्रमण के दो साल बाद भी हमें इसके मूल कारक का पता नहीं चला है। कोरोना की प्रयोगशाला लीक थ्योरी को लेकर चीन ने जोरदार खंडन किया है लेकिन उसकी इस बात को लेकर काफी आलोचना की जा रही है कि उसने इसकी उत्पत्ति की जांच में कोई पारदर्शिता बरती थी। जॉन हापकिंस यूनीवर्सिटी के अुनसार गुरूवार तक कोरोना महामारी के कारण पूरे विश्व में 272,146,742 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 5,328,975 लोगों की मौत हो गई है।

(आईएएनएस)

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