Corruption, a challenge to human nature and civilization | भ्रष्टाचार, मानव स्वभाव और सभ्यता के लिए चुनौती
जयपुरPublished: Dec 08, 2022 11:29:59 pm
भ्रष्टाचार के कारण ही संसाधनों का गैर-कानूनी और गैर वाजिब इस्तेमाल होता है और गरीबी बढ़ती है, पर्यावरण संकट पैदा होता है और स्थायी विकास के लक्ष्य को हानि पहुंचती है। भ्रष्टाचार के कारण किसी का हक मारा जाता है, किसी को नौकरी नहीं मिलती, किसी का दमन होता है और किसी का जीवन तबाह हो जाता है। इसलिए भ्रष्टाचार व्यक्ति से लेकर व्यवस्था तक को कभी घुन की तरह तो कभी विस्फोटक की तरह नष्ट करता है।
भ्रष्टाचार के कारण ही संसाधनों का गैर-कानूनी और गैर वाजिब इस्तेमाल होता है और गरीबी बढ़ती है, पर्यावरण संकट पैदा होता है और स्थायी विकास के लक्ष्य को हानि पहुंचती है। भ्रष्टाचार के कारण किसी का हक मारा जाता है, किसी को नौकरी नहीं मिलती, किसी का दमन होता है और किसी का जीवन तबाह हो जाता है। इसलिए भ्रष्टाचार व्यक्ति से लेकर व्यवस्था तक को कभी घुन की तरह तो कभी विस्फोटक की तरह नष्ट करता है। यह अच्छी बात है कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशन के करप्शन इंडेक्स पर भारत लगभग एक दशक से 85-86 नंबर पर ठहरा हुआ है। यानी भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा नहीं है। यह इंडेक्स 180 के स्केल पर लिया जाता है और जिस देश की स्थिति शून्य पर है वह बहुत ईमानदार देश और जिसकी स्थिति 180 पर है वह सबसे भ्रष्ट देश माना जाता है। दुनिया में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और फिनलैंड सबसे ऊपर के पायदान पर हैं यानी सबसे ईमानदार देश हैं। चीन 66वें नंबर पर है यानी हम से बेहतर है। जबकि सीरिया, सोमालिया और सूडान सबसे आखिरी पायदान पर हैं यानी वे बेहद भ्रष्ट देशों की सूची में हैं। इससे साबित होता है कि भ्रष्टाचार कथित समाजवादी देशों में है तो पूंजीवादी देशों में भी है। उसका संबंध संस्थाओं की क्षमता और व्यक्ति की नैतिकता से साथ पारदर्शिता और मौलिक अधिकारों से भी है। पारदर्शिता नहीं रहेगी तो कैसे पता चलेगा कि भ्रष्टाचार कहां हो रहा है और कैसे यह विश्वास होगा कि जांच करने वाली एजेंसियां निष्पक्ष तरीके से जांच कर रही हैं।