Rajasthan

ऑस्ट्रेलिया से लेकर पाकिस्तान तक है इस गजक की मांग, एक बार खाएंगे तो भूल जाएंगे सबकुछ

मोहित शर्मा/ करौली. सर्दियों के मौसम में गजक का स्वाद ना हो भला ऐसा हो सकता है. इस मौसम में हर व्यक्ति की जुबा पर गजक का नाम आते ही जुबान फिसलने लग जाती है. सर्दियों के इस खास जायके का वर्षभर लोगों को दिलचस्पी से इंतजार रहता है. भले ही प्रसिद्ध गजक के लिए मुरैना का नाम सबसे पहले आता हो. लेकिन, राजस्थान का एक शहर ऐसा भी है जिसमें हाथों से बनने वाली कुटेमा गजक का स्वाद 100 साल से भी ज्यादा पुराना है.

करौली की कुटेमा और स्पेशल गजक के नाम से पहचान रखने वाली यह खस्ता गजक देश विदेशों तक अपने लाजवाब स्वाद का सर्दियों के मौसम में डंका बजाती है. जिसका स्वाद करौली में भी एक ही पुश्तैनी दुकान पर मिल पाता है और इस पुश्तैनी दुकान की ख्याति भी दूर-दूर तक फैली हुई है. जिसका नाम है मौला गजक भंडार. देश भर में ही नहीं विदेशों तक पहचान बनाने वाली करौली की कुटेमा गजक की सबसे बड़ी खासियत, यह मुंह में रखते ही पानी हो जाती है. बात की जाए इसके लाजवाब स्वाद की तों वह इतना खस्ता और लजीज होता है कि एक बार खाने के बाद हर कोई इस कुटेमा गजक के स्वाद को बार-बार मांगता है.

इसका स्वाद सबसे हटके और मुंह में दबाते ही पानी
सवाई माधोपुर से करौली इस गजक को लेने पहुंचे छैल बिहारी शर्मा ने बताया कि करौली की कुटेमा गजक मुंह में दबाते ही पानी हो जाती है और इसकी विशेषता इसका स्वाद सबसे हटके है. उन्होंने बताया कि वैसे तो मार्केट में खूब तरह की गजक मिलती है. लेकिन बड़े बाजार में मौला गजक भंडार पर मिलने वाली गजक सबसे बेहतरीन है. इनके हाथों में ही कुछ ऐसी कारीगरी है कि दूर-दूर से लोग यहां मेरी तरह गजक लेने आते हैं.

स्वाद में नंबर वन है करौली की गजक 
शाम के वक्त इस गजक को खरीदने आए बाबूलाल सैनी ने बताया कि करौली में बनने वाली और मौला गजक भंडार पर मिलने वाली गजक स्वाद में नंबर वन है. यह दुकान करौली में गजक के लिए नामी और गजक की स्वाद के लिए नंबर वन है. सैनी ने बताया कि सर्दी का मौसम आते ही हमारे विदेशों में रहने वाले रिश्तेदार इस गजक की मांग करना शुरू कर देते हैं.वहीं स्थानीय गजानंद शर्मा का कहना है कि करौली में मौला गजक भंडार पर बनने वाली गजक देश विदेशों तक मशहूर है और मशहूर होने के साथ ही स्वाद में भी विख्यात है.इस गजक को तैयार करने वाली कारीगर बताते हैं कि करौली में बनने वाली कुटेमा गजक इतनी मुलायम होती है कि जुबान पर रखते ही घुल जाती है और इसकी सबसे बड़ी खासियत तों यह हैं कि सर्दियों में तो इसका स्वाद कुदरती ही बढ़ जाता है.

100 साल से भी ज्यादा पुराना है इसका स्वाद 
करौली के प्रसिद्ध गजक व्यापारी, मौला गजक भंडार के पप्पू भाई बताते हैं कि करौली में गजक का कारोबार 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां की कुटेमा गजक जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, लंदन, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान तक जाती हैं. वह बताते हैं कि जिसके भी मुंह यह गजक लग जाती है फिर वह इसे बार बार मंगवाता है.वह बताते हैं कि इस गजक की खासियत इसको तैयार करने में हम एक तो सबसे बढ़िया तिली और गुड़ का इस्तेमाल करते हैं और इसमें हम अपने बाबा के समय से ही कुछ खास चीजों का इस्तेमाल भी करते हैं.

जिससे यह गजक और भी स्वादिष्ट और भुरभुरी हो जाती है. बात की जाए करौली में बनने वाली कुटेमा गजक के भाव की तों यह गजक ₹280 किलो से लेकर ₹320 किलो तक मिलती है. अगर आप भी करौली की इस खस्ता और स्वादिष्ट गजक का स्वाद लेना चाहते हैं तो शहर के बड़े बाजार में 100 साल से भी ज्यादा पुराने मौला गजक भंडार पर जाकर ले सकते हैं.

Tags: Food 18, Karauli news, Local18, Street Food

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