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Fragrance of Mewar Herbal Gulal Spreads Across India High Demand in Delhi and Bengaluru

Last Updated:March 07, 2025, 19:24 IST

हर्बल गुलाल में किसी भी प्रकार का रासायनिक तत्व नहीं मिलाया जाता, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित रहती है और कपड़ों को भी नुकसान नहीं पहुंचाती. यह गुलाल अरारोट के आटे और प्राकृतिक फूलों से बनाई जाती है, जिससे इस…और पढ़ेंX
हर्बल
हर्बल गुलाल

हाइलाइट्स

मेवाड़ की हर्बल गुलाल की मांग दिल्ली-बेंगलुरु तक बढ़ी.हर्बल गुलाल प्राकृतिक संसाधनों से बनाई जाती है.इस पहल से ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है.

उदयपुर:- रंगों का त्योहार होली इस बार और भी खास होने जा रहा है, क्योंकि उदयपुर वन विभाग की पहल से आदिवासी अंचल की महिलाओं और ग्रामीणों द्वारा तैयार की गई इको-फ्रेंडली हर्बल गुलाल राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के कई बड़े शहरों में अपनी महक बिखेरने को तैयार है. वन विभाग से जुड़ी सुरक्षा समितियों के मार्गदर्शन में आदिवासी अंचल की महिलाएं और ग्रामीण पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं.

इस गुलाल में किसी भी प्रकार का रासायनिक तत्व नहीं मिलाया जाता, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित रहती है और कपड़ों को भी नुकसान नहीं पहुंचाती. यह गुलाल अरारोट के आटे और प्राकृतिक फूलों से बनाई जाती है, जिससे इसमें एक खास भीनी महक होती है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस पहल से ग्रामीणों को न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनके द्वारा तैयार गुलाल देश के कई हिस्सों तक पहुंच रही है.

कैसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल?इस हर्बल गुलाल को बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक है. ग्रामीण जंगलों में जाकर गुलाब, कचनार, पलाश, अमलताश और ढाक के फूलों के साथ विभिन्न प्रकार की सूखी पत्तियां एकत्र करते हैं. इसके बाद इन फूलों को सुखाकर देशी चूल्हों पर अलग-अलग उबाला जाता है, जिससे इनमें मौजूद प्राकृतिक रंग और रस निकल आता है. बाद में इस रस को आरारोट के आटे में मिलाकर शुद्ध हर्बल गुलाल तैयार की जाती है. इस प्रक्रिया में किसी प्रकार के आर्टिफिशियल केमिकल्स का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे यह पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल होती है.

रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई राहवन विभाग की यह पहल न केवल होली के त्योहार को पर्यावरण-संवेदनशील बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे आदिवासी अंचल के कई गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं. झाड़ोली, खोखियार की नाल, कोडियात और केवड़े की नाल जैसे इलाकों में ग्रामीण हर्बल गुलाल बनाने में जुटे हैं, जिससे उनकी आय का एक स्थायी साधन बन रहा है. खास बात यह है कि उदयपुर के अलावा राजस्थान और अन्य चार राज्यों में भी इस गुलाल की जबरदस्त मांग देखने को मिल रही है.

दिल्ली, बेंगलुरु और अहमदाबाद तक बढ़ी मांगइस साल मेवाड़ की हर्बल गुलाल की खुशबू राजस्थान की सीमाओं को पार करते हुए दिल्ली, बेंगलुरु और अहमदाबाद तक पहुंच रही है. बढ़ती जागरूकता और लोगों का केमिकल-फ्री उत्पादों की ओर रुझान इस हर्बल गुलाल की मांग को और भी बढ़ा रहा है. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आने वाले वर्षों में इस पहल को और भी विस्तार देने की योजना है, जिससे अधिक से अधिक ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके.


Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

March 07, 2025, 19:24 IST

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मेवाड़ के इस गुलाल की खुशबू दिल्ली-बेंगलुरु तक, इस खास तरीके से होता है तैयार

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