दौसा के सैंथल सागर में पानी भरकर भी सूख रही फसलें…चार नहरों में से एक नहर खोलने की मांग

दौसा. जिले में इस बार अच्छी बारिश ने किसानों की उम्मीदें बढ़ा दी थी, अधिकांश बांध लबालब हो गए और कई क्षेत्रों में नहरें खोलकर सिंचाई भी शुरू कर दी गई. लेकिन सैंथल सागर बांध की नहरें अब तक बंद होने से क्षेत्र के हजारों किसान गहरी चिंता में हैं. बांध में करीब 28 फीट तक पानी भरा होने के बावजूद नहरें नहीं खोलने से किसान नाराज होकर बार-बार प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं, सैंथल सागर बांध से कुल चार नहरें निकलती हैं. इनमें से तीन नहरों से लाभान्वित होने वाले किसानों और जनप्रतिनिधियों ने नहर नहीं खोलने पर सहमति जताई है, जबकि एक नहर क्षेत्र के किसान नहर खोलने की लगातार मांग कर रहे हैं.
इस असहमति के कारण प्रशासन निर्णय नहीं ले पा रहा है और नुकसान किसानों को हो रहा है. किसानों ने बताया कि उन्होंने कई बार कलेक्ट्रेट पहुंचकर नहरें खोलने की गुहार लगाई, लेकिन आज तक कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया. किसानों का कहना है कि जब पहले बांध में सिर्फ 13 फीट पानी होने पर भी नहरें खोली जाती थीं, तो अब 28 फीट पानी भरे होने के बाद भी नहरें बंद रहना समझ से परे है.
फसलें पानी के अभाव में सूखने की कगार पर पहुंच चुकी
खोहरा कला निवासी जल उपभोक्ता रामसिंह राजावत बताते हैं कि किसानों ने इस वर्ष समय पर बोवाई कर ली थी, क्योंकि बांध फुल भरने की उम्मीद थी. उनका कहना है कि अब फसलें पानी के अभाव में सूखने की कगार पर पहुंच चुकी हैं. राजावत ने आरोप लगाया कि नहर कमेटी के कुछ अध्यक्षों की व्यक्तिगत आपत्तियों के कारण नहरें नहीं खोली जा रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि किसान सिर्फ इतना चाहते हैं कि उन्हें फसल बचाने लायक पानी मिल सके “यदि नहरें समय पर खोल दी जाती हैं तो किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं, लेकिन हर दिन देरी उन्हें बर्बादी की ओर धकेल रही है,” ग्राम पंचायत कालोता के सरपंच विनोद कुमार बैरवा ने भी नहर खोलने की जोरदार मांग उठाई है. उनका कहना है कि बांध में मौजूद पानी जनता का है और जनता के हित के लिए इसका उपयोग होना चाहिए. उन्होंने बताया कि नहर खुलने से लगभग 1800 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव हो सकेगी और कई गांवों का भूजलस्तर भी बढ़ेगा.
सरपंच ने कहा कि किसानों के बोरवेलों में पानी का स्तर लगातार नीचे जा रहा है. नहरों के माध्यम से सिंचाई शुरू होने पर बोरवेलों के जलस्तर में सुधार आएगा, जिससे भविष्य में भी किसानों को राहत मिलेगी. कई सरपंच, किसान और ग्रामीण प्रतिनिधि एकजुट होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर नहरें खोलने की मांग रखी. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन हर बार केवल बैठकें कर रहा है, लेकिन जमीन पर कोई कार्रवाई नहीं दिख रही है. नहर खोलने पर निर्णय को लेकर अब तक जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में जल संसाधन विभाग, सीओ, नहर कमेटी सदस्यों और अध्यक्षों की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सहमति नहीं बनने के कारण अंतिम फैसला अटका हुआ है. किसानों ने कहा कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो उनकी मेहनत और लागत दोनों बर्बाद हो जाएंगे. कई किसानों ने चेतावनी दी है कि फसलें सूखने पर इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.
नहर क्षेत्रों का वैज्ञानिक आकलन करवाए प्रशासन
किसानों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि वे सभी नहर क्षेत्रों का वैज्ञानिक आकलन कर वास्तविक स्थिति के आधार पर निर्णय लें. सिर्फ कुछ पदाधिकारियों की निजी आपत्तियों के चलते हजारों किसानों को नुकसान उठाना अन्याय है. ग्रामीणों का डर है कि यदि अगले कुछ दिनों में पानी नहीं मिला तो हजारों बीघा फसल बर्बाद हो सकती है. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार बांध इसलिए बनाती है ताकि किसानों को समय पर पानी मिल सके, लेकिन इस बार उल्टा हो रहा है – पानी बांध में है पर खेतों में नहीं. किसानों का आग्रह है कि प्रशासन तुरंत नहरें खोलकर सिंचाई शुरू करवाए, ताकि रबी सीजन की फसलें बचाई जा सकें. अब सभी की नजरें जिला प्रशासन के अगले निर्णय पर टिकी हैं.



