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पाकिस्तान से आए हरिकिशन गिरि गोस्वामी, 20 साल की उम्र में बने ‘भिखारी’, पुलिस से खूब खाए डंडे, कहलाए ‘भारत कुमार’

नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के वह दिग्गज कलाकारों की जब-जब बात होती है तो हरिकिशन गिरि गोस्वामी का नाम जरूर लिया जाता है. आप सोच रहे होंगे कि ये हरिकिशन गिरि गोस्वामी कौन हैं? दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालिए हम बताते हैं कि हरिकिशन गिरि गोस्वामी कौन हैं. ये वो एक्टर हैं, जिन्होंने लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाई. ‘भारत कुमार’ के नाम से प्रसिद्धहैंडसम और शर्मीले छवि वाले एक्टर मनोज कुमार. 24 जुलाई 1937 में पाकिस्तान के एबटाबाद में मनोज कुमार का जन्म हुआ था. माता-पिता ने उन्हें हरीकिशन गिरी गोस्वामी नाम दिया. लेकिन फिल्मों में आने के बाद उन्होंने ये नाम बदल लिया. हरीकिशन गिरी गोस्वामी के मनोज कुमार बनने. 20 साल की उम्र में ‘भिखारी’ बनने और पुलिस के डंडे खाने की मजेदार किस्से आपके बताते हैं.

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर मनोज कुमार ने अपनी शख्सीयत और एक्टिंग से सालों तक दर्शकों का मनोरंजन किया है. आज वह 87 साल के हो चुके हैं. मनोज कुमार का जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था और पार्टिशन के बाद वे अपने परिवार के साथ भारत चले आए थे. नेशनल अवॉर्ड, दादा साहेब फाल्के, पद्मश्री अवॉर्ड और 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके मनोज कुमार के जन्मदिन पर जानते हैं, उनसे जुड़ी वो बातें, जिसको लोग शायद ही जानते हैं.

कैसे हरिकिशन गिरि गोस्वामी बने मनोज कुमारमनोज कुमार को बचपन से ही सिनेमा का शौक था. उन्होंने बचपन में एक फिल्म देखी थी, जिसका नाम था ‘शबनम’. 22 अप्रैल 1949 में रिलीज हुई इस फिल्म में दिलीप कुमार और कामिनी कौशल लीड एक्टर थे. बिभूति मित्रा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में एस डी बर्मन का संगीत था. रंगून वॉर पर आधारित इस फिल्म में दिलीप साहब ने ‘मनोज’ नामक किरदार निभाया था. इस फिल्म में दिलीप कुमार से हरिकिशन गिरि गोस्वामी इतने प्रभावित हुए कि अपना नाम ही ‘मनोज कुमार’ रख लिया.

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मनोज कुमार ने 1957 में आई फिल्म ‘फैशन’ से बॉलीवुड में कदम रखा था. फोटो साभार-@bharatkumarfunsclub/Instagram

20 साल की उम्र में बने ‘भिखारी’ ‘शहीद’, ‘वो कौन थी’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘पूरब और पश्चिम’ और ‘उपकार’ समेत तमाम हिट फिल्मों में अपनी दमदार अदाकारी दिखाने वाले मनोज कुमार ने साल 1957 में लेखराज भाकरी की फिल्म ‘फैशन’ से अपना फिल्मी सफर शुरू किया था. इस फिल्म में उन्होंने 90 साल के भिखारी का किरदार निभाया था. साल 1960 में फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ में वह पहली बार बतौर लीड एक्टर नजर आए. हालांकि, मनोज कुमार की पहली हिट फिल्म ‘हरियाली और रास्ता’ थी, जो साल 1962 में रिलीज हुई थी.

क्यों कहलाए ‘भारत कुमार’मनोज कुमार के निर्देशन में बनी ‘क्रांति’ ने उस दौर में बॉक्स ऑफिस पर क्रांति ही ला दी थी. यूं तो मनोज कुमार ने कई फिल्मों में काम किया लेकिन ‘पूरब और पश्चिम’ में अपने संजीदा अभिनय की वजह से आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं. इस फिल्म का गाना ‘भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं’ जितना उस दौर में लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना जगाने का काम करता है उतना ही आज भी करता है. साल 1965 में रिलीज फिल्म ‘शहीद’ में मनोज कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके लिए वह शहीद भगत सिंह की मां से भी मिले थे. उस वक्त भगत सिंह की मां अस्पताल में भर्ती थीं. कहा जाता हैं भगत सिंह की मां से मिलने के बाद मनोज कुमार फूट-फूटकर रो पड़े थे. देशभक्ति पर बनी ज्यादातर फिल्मों में मनोज कुमार के किरदार का नाम ‘भारत’ था. इस वजह से लोग उन्हें ‘भारत कुमार’ कहने लगे.

जब पड़े थे पुलिस के डंडेमनोज कुमार ने पुलिस के डंडे भी खाए हैं. दरअसल, ये बात तब की है, जब वह बंटवारे के बाद जब वह रिफ्यूजी कैंप में रहते थे. तब हालात को लेकर काफी जल्दी नाराज हो जाते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताहिक, एक बार उन्होंने उन्होंने रिफ्यूजी कैंप के डॉक्टरों और नर्सों पर गुस्सा निकाल दिया. मामला बढ़ा तो उन्हें पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी थीं.

Tags: Entertainment Special, Manoj kumar

FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 07:36 IST

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