Rajasthan

cultivation of yellow mustard is proving to be a profitable deal for the farmers of bharatpur – News18 हिंदी

मनीष पुरी/भरतपुर: राजस्थान कृषि प्रधान राज्य है और कृषि के क्षेत्र में सबसे अग्रणी रहता है. यहां आपको हर प्रकार की फसलें देखने को मिल जाएंगी और फसलों के मामले में राजस्थान सबसे आगे रहता है.ऐसे में अब भरतपुर क्षेत्र में सर्वाधिक पीली सरसों की खेती दिखाई दे रही है। भरतपुर के किसान अब काली सरसों को पीछे छोड़ पीली सरसों की और अपना रुख बदल रहे हैं.

वहीं किसान रॉकी सैनी ने बताया कि भरतपुर के कई इलाकों में पीली सरसों की खेती अधिक मात्रा में की जा रही है. क्योंकि पीली सरसों को अधिक मात्रा में करने का कारण यह है कि यह आम सरसों जो काली सरसों होती है उसके मुकाबले इसकी अधिक पैदावार होती है. बाजार में इस पीली सरसों का भाव भी अधिक रहता है. इसके अलावा पीली सरसों का नुकसान भी कम होता है. मार्केट में भाव भी अधिक रहने की वजह से किसान पीली सरसों की खेती कर रहे हैं.

6000 प्रति क्विंटल तक होती है बिक्री
रॉकी सैनी बताते हैं कि खुद मैंने 5 बीघा में पीली सरसों की खेती कर रखी है. क्योंकि इसका भाव अच्छा रहने की वजह से किसान अधिक मुनाफा कमाने की वजह से पीली सरसों की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा पीली सरसों से निकलने वाला तेल भी अच्छा एवं आम सरसों के अधिक निकलता है. इसके अलावा पीली सरसों का उपयोग अचार एवं पूजा पाठ के लिए भी किया जाता है. इसीलिए किसान अब अधिक मुनाफा कमाने की वजह से पीली सरसों की खेती करते हुए नजर आ रहे हैं. अगर हम वर्तमान में इन दोनों सरसों के भावों की बात करें तो पीली सरसों का भाव मंडी में 5800 प्रति क्विंटल से ₹6000 प्रति क्विंटल तक है और काली सरसों का भाव 5280 प्रतिक्विंटलहै.

पीली सरसों के उत्पादन की बात करें तो परम्परागत काली सरसों से अधिक रहता है. इसका उत्पादन वैसे तो किस्म का चयन मौसम एवं वातावरण इत्यादि से प्रभावित होता है किन्तु प्रति बीघा औसत उत्पादन चार से पांच क्विंटल तक रहता है. तेल की उपलब्धता के मामले में पीली सरसों काली सरसों से ज्यादा फायदेमन्द होती है. इसमें तुलनात्मक रूप से तकरीबन 5 से 7 प्रतिशत तेल की मात्रा अधिक होती है. इसके भाव भी अपेक्षाकृत 20 प्रतिशत ज्यादा ही रहते हैं. इसी के चलते यह फसल किसानों के लिये ज्यादा फायदेमन्द साबित हो रही है.

Tags: Bharatpur News, Local18

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