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Cursed village – where robbers killed seven grooms – News18 हिंदी

नरेश पारीक/चूरू:- राजस्थान को किवदंतियों और कहानियों का प्रदेश कहा जाता है. ग्रामीण इलाकों में आज भी आपको किस्से और कहानियां सुनने और देखने को मिलेगी. जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर 500 साल पहले हुई एक दिल दहलाने वाली घटना का जिक्र बुजुर्ग लोग आज भी गांव की गुवाड़ में सुनाते हैं. यहां सात बहनों के श्राप के कारण आज भी खारा पानी निकलता है. मीठे पानी की आस में लोगों ने नए बोरिंग खुदवाए, लेकिन पानी हमेशा खारा ही निकला.

जिले में कई क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां पर लूटपाट का भय रहा करता था. दूधवाखारा के नरेंद्र दाधीच बताते हैं कि उस समय जनसंख्या व संसाधन काफी कम हुआ करते थे. ऐसे में बारात बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी व हाथियों पर निकला करती थी. अक्सर जिस गांव से बारात आती-जाती थी, लोग उनके लिए नाश्ते आदि की व्यवस्था किया करते थे. उन्होंने बताया कि लोक मान्यता है कि करीब 500 साल पहले रामगढ़ की सात बहनों की शादी हिसार के युवकों से हुई थी. सातों बहनों को ससुराल पक्ष के लोग कुछ दिन बाद रामगढ़ से वापस हिसार ले जा रहे थे, इसमें सभी के दूल्हे व बाराती भी शामिल थे.

दूधवाखारा में बारातियों के साथ हुई थी घटना
लोक मान्यताओं के अनुसार कई साल पहले क्षेत्र में लूटपाट की घटनाएं हो जाया करती थी. दूधवाखारा से बारात लौटते समय ग्रामीणों ने बारातियों से नाश्ता कर जाने का आग्रह किया. इस पर बाराती नाश्ता-पानी के लिए मैदान में ठहर गए. बताया जाता है कि उस समय लूट के इरादे से लुटेरों के एक दल ने अचानक हमला कर मार-काट मचा दी. लुटरों ने सातों दूल्हों सहित बारातियों की हत्या कर सोना-चांदी लूटकर ले गए. इधर सातों बहनों को दूल्हों की हत्या की सूचना मिलने पर कोहराम मच गया. बताया जाता है कि सातों बहनों ने एक साथ आत्मदाह कर लिया. इससे पहले उन्होंने गांव वालों को श्राप दिया कि इस गांव में कभी मीठा पानी नहीं आएगा. किवदंती है कि सातों बहनों के आत्मदाह करने के बाद जमीन से सात अलग-अलग पत्थर निकले.

नोट:- ‘म्हारी छोरियां छोरा से कम है के’ दूल्हे की तरह सजी बेटी, घोड़ी पर बैठाकर निकाली बंदोरी

ग्रामीणों ने बनवाए शक्ति मंदिर
ग्रामीणों ने बताया कि इस घटना के बाद सातों बहनों के शक्ति मंदिर गांव में बनवाए गए. आज भी किसी के घर में शादी समारोह होता है, तो पहले शक्ति मंदिरों में चूड़ा व चूंदड़ी चढ़ाई जाती है. इसके अलावा हर साल मेला भी लगता है, जहां पर श्रद्धालु धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि जिस जगह बारात ठहरी थी, वहां पर किसी वक्त एक नदी भी बहा करती थी. लेकिन बाद में काफी समय पहले उसका बहाव रूक गया. जिस जगह पर लुटरों ने बारातियों सहित बैल, ऊंट व हाथियों की हत्या की थी, उस जगह पर आज भी हाथी व घोडों के पदचिन्ह पत्थरों पर मौजूद हैं.

Tags: Amazing story, Churu news, Local18, Rajasthan news

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