दिवाली पर गाय – भैंस को दुल्हन की तरह सजाने का रिवाज! ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार में दिखी अनोखी रौनक
धौलपुर: दीपावली के अवसर पर घरों में सुख-समृद्धि की कामना के साथ जहां लोग अपने घरों को सजाते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की साज-सज्जा भी अनोखी छटा बिखेर रही है. धौलपुर जिले के बाजारों में पशुओं को सजाने के लिए विशेष साजो-सामान की खूब बिक्री हो रही है. यहां पर गले में बांधने के लिए घंटियों और रंगीन नगों से सजी विशेष मालाएं, भैंसों और गायों के पैरों व सिर पर बांधने के लिए रंग-बिरंगे आभूषण बिक रहे हैं.
पशुओं को दुल्हन की तरह सजाने की परंपरा ग्रामीण लोग अपने पशुओं को दीपावली पर विशेष रूप से सजाते हैं. भैंस, गाय, बैल, बकरी, ऊंट और घोड़ियों को नहला-धुलाकर सुंदर आभूषणों से सजाया जाता है. प्राचीन काल से ही पशुओं को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और यह परंपरा आज भी ग्रामीण इलाकों में जीवंत है. धौलपुर जिले के बाजार और सड़कों के फुटपाथों पर पशुओं की साज-सज्जा का सामान बेचने वाली अस्थायी दुकानें सज गई हैं, जिनसे ग्रामीण इन विशेष सामग्रियों की खरीदारी कर रहे हैं.
बाजार में उपलब्ध है गड़ा, घंटियां और मालाएंबाजारों में पशुओं के गले में बांधने के लिए ‘गड़ा’ नामक विशेष माला बिक रही है, जिसमें घंटियां और रंग-बिरंगे सीसे के नग लगे होते हैं. स्थानीय विक्रेता रामसिंह ने बताया कि इन वस्त्रों की कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक होती है. ग्रामीण क्षेत्र से आए लोग गड़ा, घंटी, पैरों में घुंघरू, सिंगों पर बांधने की माला और गले की सजावट के लिए ये सामग्रियां खरीदकर ले जा रहे हैं.
समृद्धि और धन की कामना से पशु पूजा दीपावली पर पशुओं को सजाने और उनकी पूजा का खास महत्व है. ग्रामीणों का मानना है कि गाय-भैंस की पूजा से समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है. ग्रामीण समुदाय से आए लोगों का कहना है कि दीपावली के दिन पशुओं को एक बार दुल्हन की तरह सजाकर उनका पूजन किया जाता है, ताकि सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 16:34 IST