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DAP-यूरिया-पोटाश का दम: गेहूं की बालियां भरेंगी, उपज होगी जबरदस्त

Last Updated:December 01, 2025, 17:08 IST

Agriculture News : गेहूं की अधिक पैदावार के लिए खादों का सही उपयोग बेहद जरूरी है. DAP पौधे की शुरुआती वृद्धि और जड़ों को मजबूत बनाती है, जबकि यूरिया फसल की तेजी से बढ़त व हरापन बढ़ाती है. पोटाश दानों की गुणवत्ता सुधारकर फसल को ठंड और रोगों से बचाता है. साथ ही जिंक, सल्फर और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग फसल की सेहत और उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करता है.जोधपुर

गेहूं की अधिक उपज पाने के लिए खादों का सही चयन और प्रबंधन बेहद जरूरी माना जाता है DAP, यूरिया और पोटाश। इन खादों का सही समय और मात्रा में उपयोग पौधे को मजबूत बनाता है, जड़ों का विकास करता है और बालियों में दानों की संख्या बढ़ाता है. यह खादें फसल को रोगों और ठंड से भी बचाती हैं.अच्छी तरह संतुलित पोषक तत्व न सिर्फ उपज बढ़ाते हैं, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी सुधारते हैं.

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DAP खाद गेहूं की शुरुआती वृद्धि को तेज करने और जड़ों को मजबूत बनाने वाली सबसे प्रभावी बेसिक खाद मानी जाती है. DAP गेहूं की बुवाई के समय उपयोग की जाने वाली सबसे पहली और महत्वपूर्ण खाद है. इससे जड़ें मजबूत होती हैं और पौधा तेजी से बढ़ता है. मजबूत जड़ें नमी को लंबे समय तक पकड़कर रखती हैं, जिससे फसल सूखे और ठंड दोनों स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करती है. इस खाद को बीज बोते समय खेत में मिला देना चाहिए और यदि किसी कारण से छूट जाए तो बुवाई के 10–12 दिनों के भीतर दे देना चाहिए.

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गेहूं की फसल में तेज बढ़वार और हरेपन के लिए यूरिया का संतुलित उपयोग बेहद जरूरी होता है. यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा होती है, जो पौधे में हरीतिमा बढ़ाती है, तने को मजबूत बनाती है और बालियों को लंबा व भरा हुआ करती है. पहली सिंचाई के तुरंत बाद यूरिया देना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इस समय पौधा तेजी से बढ़ने की अवस्था में होता है. इसके बाद दूसरी सिंचाई के समय थोड़ी मात्रा में यूरिया देने से फसल की कमजोरी दूर हो जाती है और उत्पादन में काफी वृद्धि होती है.<br />समय पर दी गई यूरिया पौधे को संतुलित पोषण देकर उसकी वृद्धि क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है.

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गेहूं की फसल में दानों की गुणवत्ता और चमक बढ़ाने के लिए पोटाश का सही उपयोग बेहद आवश्यक माना जाता है. यह खाद पौधों को मजबूत बनाती है और ठंड व बीमारियों से बचाती है. पोटाश की कमी वाला पौधा कमजोर रहता है और बालियां पूरी तरह भर नहीं पातीं. इसलिए पहली या दूसरी सिंचाई के समय पोटाश देना बेहद जरूरी है ताकि दाने भरपूर और चमकदार बन सकें.

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बेहतर उपज और स्वस्थ फसल के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी हैहर खेत की मिट्टी की जरूरत अलग होती है। इसलिए जिंक, सल्फर और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना भी जरूरी है। इनका स्प्रे करने से फसल देखने में हरी-भरी, मजबूत और रोग-मुक्त रहती है, और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होती हैं .

First Published :

December 01, 2025, 17:08 IST

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