Dausa Borewell Accident : 57 घंटे चला रेस्क्यू आपरेशन…देसी जुगाड़ से बाहर आया आर्यन, देखकर निकले आंसू…हताश हो गए जवान
दौसा जिले में 3 दिन से बोरवेल में फंसे 5 साल के मासूम आर्यन की मौत हो गई है. आर्यन को करीब 57 घंटे बाद बुधवार रात 11:48 बजे बोरवेल से बाहर निकाला गया था. उसे एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एम्बुलेंस से जिला हॉस्पिटल ले जाया गया.
एनडीआरएफ की टीम ने रात करीब साढ़े 10 बजे बोरवेल में अम्ब्रेला और रिंग उपकरण के साथ रस्सी बंधी हुई रॉड को एक साथ हिलाना शुरू किया, जिसमें बच्चे के फंसते ही उसे बाहर निकाला था.
कालीखाड़ गांव में बोरवेल से बाहर आने के दौरान ही आर्यन बेहोशी की हालत में था. जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. दीपक शर्मा के अनुसार- बच्चे को अस्पताल लाते ही ईसीजी समेत सभी जांच की गई, लेकिन उसकी सांसें थम चुकी थीं. इधर, बेटे को अस्पताल ले जाने की जानकारी मिलते ही मां रोते- रोते बेहोश हो गई.
ऐसे हुआ पूरा रेस्क्यू आपरेशनएनडीआरफ के कप्तान योगेश कुमार मीणा ने बताया कि दौसा जिले के कालिकाड गांव में बोरवेल में एक 5 वर्ष का मौसम आर्यन मीणा पुत्र जगदीश गिर गया था. जिस बोरवेल में वह गिरा था उसमें कोई पाइप लाइन पहले से नहीं थी और इस बोरवेल में पहले से एक बोगी फंसी हुई थी. समर्सिबल मोटर का पाइप और रस्सी फंसी हुई थी उन्हीं के बीच में बच्चा भी फंसा हुआ था. और नीचे 10 फीट की गहराई पर पानी भी बोर में था. इसलिए प्रॉपर निकालने के लिए जगह नहीं मिल रही थी लेकिन हमारे जवान अथक प्रयास लगातार करते रहे.
यह लगाए गए बच्चों के उपकरण तो मिली सफलता एनडीआरएफ के कप्तान योगेश कुमार ने बताया कि हमने बच्चों को लॉक करने से पहले बच्चे तक एल सपोर्ट दिया. फिर एल सपोर्ट हमें कम लगा क्योंकि नीचे बोरवेल चौड़ा हो गया था बोरवेल नीचे 16 इंच से 18 इंच तक चौड़ा होने के कारण वह भी एक बड़ी समस्या रही. फिर इसी साइज का एक अंब्रेला बनवाया इसके बाद बच्चे के नीचे अंब्रेला को लगाया गया. क्योंकि बच्चा कभी भी हलचल करता तो नीचे भी जा सकता था इसलिए सबसे पहले अंब्रेला नीचे लगाया गया था अगर कोई हलचल भी होता है तो वह नीचे नहीं जा सकता था.
सबसे बड़ा डर यह रहा 5 वर्षीय आर्यन के नीचे मात्र 10 फीट पानी था और पानी में अगर चला गया तो वह बड़ी परेशानी बन सकता था. 157 फीट गहराई भी एनडीआरएफ के जवानों के लिए चैलेंजिंग दूरी थी. और बच्चे को सुरक्षित रखना भी हमारी जिम्मेदारी थी अगर बच्चे को किसी प्रकार का कोई उपकरण लगता और वह नीचे चला जाता तो वह सीधा पानी में जाता इसका बहुत बड़ा डर सभी अधिकारी और कर्मचारियों को लग रहा था लेकिन एनडीआरएफ के जवानों के द्वारा अथक प्रयास ने बच्चे को पानी में जाने नहीं दिया. बच्चे के नीचे जो पानी था वह सब के लिए डर बना हुआ था. वहीं गहराई अधिक होने के कारण कैमरे पर बार-बार फोगिंग आ रही थी, जिसके कारण भी काफी समय लगा.
पांच उपकरणों के साथ बच्चे को लाया गया था बोरवेल से ऊपर बोरवेल में बच्चे की शर्ट पर एक हुक लगा दिया गया रस्सी के सहारे बच्चों को निकालने का प्रयत्न किया. वहीं उसी के नीचे अंब्रेला भी लगातार ऊपर लाया जा रहा था अगर एल सपोर्ट से बच्चा नीचे छूट जाता तो अंब्रेला में रुक जाता. बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए लगातार ऑक्सीजन का पाइप भी लाया जा रहा था सीसीटीवी कैमरा भी निगरानी के लिए साथ में लाया जा रहा था. इसके बाद आखिरकार आर्यन को बाहर निकाल लिया गया.
एनडीआरएफ के कप्तान ने लिया गोद में 5 वर्षीय बच्चा जब बोरवेल से बाहर निकल गया तो सबसे पहले एनडीआरएफ के कप्तान योगेश कुमार के द्वारा उन्हें गोद में लिया गया था. गोद में लेने के बाद बच्चे को एम्बुलेंस ढक्कर लाया गया और एंबुलेंस में बैठे डॉक्टरों की टीम के द्वारा उसे दिया गया और उसके बाद बच्चे को लेकर जिला अस्पताल के लिए रवाना किया गया.
अस्पताल में पहुंचने के बाद बच्चे का किया गया चेकअपदोसा अस्पताल में पहुंचने के बाद बच्चे का सबसे पहले चेकअप किया गया और आई.सी.यू वार्ड में बच्चे को ले जाया गया. अस्पताल के डॉक्टरों के द्वारा मासूम आर्यन का चेकअप किया गया तो उसके शरीर में किसी भी प्रकार की पल्स नहीं चल रही थी. इस दौरान जिला अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि जब बच्चा बोरवेल में गिरा था तभी शरीर पर कई प्रकार की चोट लग गई थी और उसी के कारण बच्चा बोरवेल में सर्वाइकल नहीं कर पाया था. और काफी समय बोरवेल में बच्चा रहा तो खान-पान की भी कमी रही लेकिन काफी प्रयास बच्चे बचाने के किए गए थे लेकिन फिर भी बच्चा नहीं बच पाया.
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FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 10:39 IST