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Dausa News: दौसा जिले के एक गांव में धार्मिक स्थल पर पूजा अर्चना पर होती है मन्नते पूर्ण

Last Updated:July 26, 2025, 15:20 IST

दौसा जिले में अनेक धार्मिक स्थल हैं धार्मिक स्थलों के साथ-साथ अनेक मान्यता भी जुड़ी हुई हैं ऐसे ही आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां श्रद्धालु मन्नत लेकर आते हैं तो हर मन्नत यहां पूरी होती है और यहां…और पढ़ें

हाइलाइट्स

भैरू बाबा और बालाजी का मंदिर दौसा जिले में स्थित है.मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं.काली डूंगरी मंदिर पर भैरू बाबा और बालाजी की पूजा होती है.

दौसाः दौसा जिले से गुजर रही बाण गंगा के किनारे पर नांगल और चांदेरा गांव की सीमा पर भैरू बाबा और बालाजी का स्थान स्थित है. इस मंदिर के लिए चांदेरा गांव की मालियों की ढाणी से भी रास्ता जाता है तो लोटवाडा होते हुए नांगल गांव में होकर भी रास्ता मंदिर पर पहुंच रहा है. मंदिर पर पहुंचने के लिए चौपाइयां वहां भी आसानी से चले जाते हैं तो दो पहिया वाहन भी यहां श्रद्धालु लेकर पहुंचते हैं ऐसे में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. 

नांगल गांव के पुजारी सतीश शर्मा ने बताया कि काली डूंगरी मंदिर पर भैरू बाबा की पूजा अर्चना की जाती है और बालाजी की पूजा अर्चना की जाती है जिन श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी हो जाती है तो उनके द्वारा यहां धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. धार्मिक आयोजन तो महीने में कई बार आयोजित होते है लेकिन इस मंदिर पर बड़े दो मेले भी लगते हैं उनमें भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

नौकरी भी लगती है तो पुत्र की प्राप्ति भी होती है पूजा अर्चना करने परनांगल गांव के कैलाश चंद्र शर्मा बताते हैं कि काली डूंगरी पर सैकड़ो वर्षों पुराना मंदिर है और हम सुनते आ रहे हैं कि यहां नरसिंह भगवान की भी पूजा होती है तो बालाजी और भैरव बाबा की भी पूजा होती है. पहले पहाड़ी पर पत्थर की एक बड़ी चट्टान हुआ करती थी चट्टान की एक तरफ तो बालाजी की पूजा की जाती थी तो दूसरी तरफ भैरव बाबा की पूजा की जाती लेकिन श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती थीं भैरव बाबा के शराब चढ़ा कर प्रसाद का भोग लगाया जाता था ऐसे में एक बार चमत्कार हुआ तो वह बड़ी चट्टान अचानक दो भागों में बट गई और एक भाग की तरफ में बालाजी की पूजा शुरू हो गई तो दूसरे भाग में भैरव बाबा की पूजा होने लगी. जिस किसी के संतान नहीं होती है तो उन्हें संतान भी यह देते हैं. किसी युवक की नौकरी नहीं लगती है तो उसे युवक के द्वारा यहां पूजा अर्चना की जाती है और मन्नत लगाई जाती है तो उसकी नौकरी भी लगती है. लेकिन इन दावों की पुष्टि लोकल 18 नहीं करता है. भाद्र पक्ष शुक्ल को यहां मेले का आयोजन भी होता है वही दूसरा मेला बैसाख महीने में सप्तमी को मेले का आयोजन होता है मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. श्रद्धालु यहां भरतपुर अलवर दौसा दिल्ली सहित अन्य जिलों से भी पहुंचते हैं और अपनी मन्नत लगते हैं.

पहले साधु महात्माओं ने की थी तपस्या अब होने लगे चमत्कार पहले काली डूंगरी नांगल चांदेरा में साधु संतों के द्वारा विशेष पूजा अर्चना की गई तपस्या भी की गई यहां पर एक गुफा बनी हुई है पहाड़ी की बड़ी-बड़ी चट्टानों के नीचे चट्टानों के नीचे ही बैठकर साधु संतों के द्वारा तपस्या की गई थी. लेकिन अब यहां भैरव बाबा और बालाजी की पूजा होती है तो यहां उनके द्वारा चमत्कार भी दिखाए जाते हैं चमत्कार इस प्रकार से होते हैं कि किसी को पुत्र की प्राप्ति होती है तो किसी की नौकरी भी लगती है जिसके बाद यहां धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. चांदेरा गांव के गंगासाहेब मीणा को भी पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी तो यहां आकर उन्हें मन्नत मांगी तो उनको भी पुत्र की प्राप्ति हुई जिसके बाद यहां एक कुआं बनवाया गया उनके द्वारा जो आज भी वहां बना हुआ है उसमें से लोग पानी पिया करते थे. 

बड़ी चट्टान बटी दो भागों में पूजा अर्चना शुरूबनवारी लाल मीणा चांदेरा निवासी ने बताया कि हम हमारे बुजुर्गों के द्वारा सुना करते थे कि हजारों वर्ष पुराना मंदिर काली डूंगरी पर है यहां साधु संतों के द्वारा तपस्या की गई थी, वैशाख के महीने में खीर पूरी का भोग भी भैरव बाबा को लगता है, घर-घर में यहां पकवान बनते हैं और यहां आकर प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसके बाद साल भर पशु भी सुरक्षित रहते हैं. बुजुर्गों ने बताया कि यहां एक ही बड़ी चट्टान पर भैरव बाबा और बालाजी का स्थान हुआ करता था लेकिन भैरव बाबा के शराब का प्रसाद चढ़ाने से वह चट्टान दो भागों में बट गई और चट्टान के दो भाग होने के बाद भी लगातार श्रद्धालु पूजा करते रहे तो अब एक तरफ बालाजी की पूजा की जाती है तो दूसरी तरफ भैरव बाबा की पूजा की जाती है यहां धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है भागवत कथा का भी आयोजन होता है यह मेल भी लगते हैं और यह पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मन्नत भी पूरी होती है.

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Dausa,Rajasthan

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