पार्क में पूर्व जज की पत्नी की लाश और भाई की वो गवाही, जानिए बहुचर्चित गीतांजलि की मौत की अनसुलझी पहेली

पंचकूला. हरियाणा के गुड़गांव के बहुचर्चित गीतांजलि मर्डर केस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व सीजेएम रवनीत गर्ग और उनके माता-पिता को बरी कर दिया. 12 साल पुराने इस मामले में मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. गौरतलब है कि वर्ष 2013 में गुड़गांव में पोस्टेड पूर्व सीजेएम रवनीत गर्ग पर उनकी पत्नी गीतांजलि की हत्या के आरोप लगे थे और बाद में हत्या के बजाय दहेज हत्या का मामला बनाया गया था.
वकील एडवोकेट मनवीर राठी ने बताया कि पूर्व सीजेएम रवनीत गर्ग और उनके माता-पिता पर उनकी पत्नी गीतांजलि की हत्या करने का आरोप लगा था और यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था. अब सीबीआई की विशेष अदालत ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया गया है.
गीतांजलि मर्डर केस में पूर्व जज को बरी करने की वजहें जानिये
आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाए हैं.पूर्व जज की पैरवी कर रहे तीन वकीलों ने अपनी दलीलों में कहा कि 28 साल की गीतांजली मौत से एक दिन पहले सामान्य थी और परिवार से बातचीत में भी बिलकुल ठीक से बात कर रही थी. यहां तक कि उसने कभी दहेज प्रताड़ना का केस भी दर्ज नहीं करवाया था. साथ ही कोर्ट में दलील दी गई कि जब घटना हुई थी तो उस दौरान आरोपी पूर्ज जज रवनीत गर्ग न्यायिक अफसरों की एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे. अहम बात है कि विरोधीभासी ब्यानों की वजह से भी आरोपियों पर दोष सिद्ध नहीं हो पाए. डॉक्टरों की राय में हत्या तो थी, लेकिन इससे साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत जांच में नहीं मिले. दहेज प्रताड़ना के भी सुबूत नहीं मिले.
क्या है पूरा मामला
17 जुलाई 2013 को गीतांजलि गर्ग की लाश गुरुग्राम के पार्क में मिली थी. पंचकूला की रहने वाली गीतांजलि की दो बेटियां थी. गुरुग्राम में पुलिस लाइन के पास का शव मिला था और शव को 3 गोलियां लगी थी. शव के पास उनके पति पूर्व जज रवनीत गर्ग की लाइसेंसी रिवॉल्वर मिली थी. इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थी, क्योंकि मामला हाईप्रोफाइल था और जज से जुड़ा हुआ था. इस मामले में स्थानीय पुलिस ने पहले आत्म हत्या का अंदेशा जताते हुए जांच की थी. लेकिन मामले ने जब तूल पकड़ा तो फिर अगस्त 2013 को जांच सीबीआई को सौंपी गई. साल 2013 में मामले की चार्जशीट दाखिल की गई और सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में धारा 302 को हटा दिया था और केवल दहेज हत्या और षड़यंत्र का ही मामला चलाया था.
गीतांजलि मर्डर की की टाइमलाइन
17 जुलाई 2017 को गीतांजली की लाश गुरुग्राम में पुलिस लाइन के पास मिली थी. शव के पास पिस्तौल भी बरामद हुई थी, जो कि उनके पति की थी.
18 जुलाई, 2013 को गीतांजलि के पोस्टमार्टम में पता चला कि उसे तीन गोलियां लगी थी. फिर एसआईटी का गठन किया गया.
19 और 20 जुलाई को पूर्व जज रवनीत गर्ग, उनकी मां रचना गर्ग और पिता केके गर्ग के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया. गीतांजलि के भाई प्रदीप अग्रवाल ने दहेज उत्पीड़न की भी शिकायत दर्ज करवाई थी.
20 जुलाई 2013 को एसआईटी ने पूर्व जज रवनीत गर्ग से चार घंटे तक पूछताछ की. हालांकि, उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई.
21 जुलाई 2013 को सीजेएम के घर में एसआईटी का सर्च अभियान, चचेरी बहन हिना, मां रचना गर्ग का बयान दर्ज किए गए और फिर सीजेएम का मोबाइल, लैपटॉप, गन लाइसेंस और घर से 19 गोलियां बरामद की गई.
23 जुलाई को मामले के तूल पकड़ने के बाद हरियाणा की हुड्डा सरकार ने गीतांजलि हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी और 24 जुलाई को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र को पत्र लिखा था.
26 जुलाई को सीबीआई की टीम ने एसआईटी से मुलाकात की औऱ केस के बारे में जानकारी ली.
6 सितंबर 2016 को सीबीआई ने पूर्व जज रवनीत गर्ग को गिरफ्तार कर लिया और 2018 तक वह जेल में रहे.
भाई ही अपने बयानों से मुखर गया थागौरतलब है कि इस मामले में कोर्ट में गवाही के दौरान गीतांजलि का भाई प्रदीप अग्रवाल अपने बयानों से पलट गया था. वह इस केस में मुख्य गवाह थे और उनके पलटने से केस को बड़ा झटका लगा था. जुलाई 2018 को अपने बयान में भाई ने कहा था कि रवनीत ने गीतांजली के साथ कभी बदसलूकी नहीं की थी और ना ही उसे दहेज के लिए प्रताड़िता किया. साथ ही आरोपी पति ने कभी भी फ्लैट और कार की भी मांग नहीं की थी.
पॉली ग्राफ और ब्रैनमैप टेस्ट भी करवाया था
इस केस में पुलिस ने पूर्व जज रवनीत गर्ग का पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी करवाया था, जिसमें कुछ साफ नहीं हो पाया था. गौर रहे कि पूर्व जज को संस्पेशन के बाद 2016 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था औऱ वह दो साल तक जेल में रहे थे और फिर उन्हें 2018 में बेल मिली थी. गौररहे कि रवनीत गर्ग की शादी 3 नवंबर 2007 में पंचकूला के सेक्टर आठ की रहने वाली गीतांजली से हुई थी. उस वक्त रवनीत गर्ग कुरुक्षेत्र में सिविल जज थे.
160 सुनवाइयां और 88 गवाहों की गवाही
इस मामले में 160 बार सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हुई और 88 गवाह पेश हुए. इसमें डॉक्टर्स भी शामिल थे, जिन्होंने इसे हत्या ही करार दिया था.



