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Deadly Lake Natron Fact | Why Lake Natron Water is red- लेक नैटरॉन: वह जानलेवा झील जो जानवरों को बना देती है पत्थर, जानिए क्यों लाल है इसका पानी

Agency:एजेंसियां

Last Updated:November 08, 2025, 17:04 IST

Deadly Lake Natron: तंजानिया की लेक नैटरॉन झील अपनी लाल चमक और रहस्यमयी प्रकृति के लिए मशहूर है. इस झील का पानी इतना क्षारीय है कि यह जानवरों को पत्थर जैसा बना देता है. लेकिन यही झील हजारों फ्लेमिंगो पक्षियों का घर भी है. यह जगह एक ऐसा विरोधाभास है, जहां मौत और जीवन दोनों साथ-साथ बसे हैं.

अफ्रीका के तंजानिया में केन्या सीमा के पास स्थित लेक नैटरॉन (Lake Natron) जितनी सुंदर है, उतनी ही डरावनी भी. यह झील अपनी खून जैसी लाल झिलमिलाहट और जानवरों को पत्थर बना देने वाले प्रभाव के कारण दुनियाभर में मशहूर है. यहां का पानी इतना क्षारीय और गर्म है कि अधिकांश जीव-जंतु यहां जीवित नहीं रह पाते.

लेक नैटरॉन का तापमान कई बार 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है. झील में ज्वालामुखीय खनिजों और सोडियम कार्बोनेट की मात्रा बहुत अधिक है, जो इसे अत्यधिक एल्कलाइन (alkaline) बनाते हैं. इन परिस्थितियों के बावजूद यह झील एक ऐसा चमत्कार है, जो जीवन और मृत्यु दोनों का घर है.

झील के लाल, गुलाबी और नारंगी रंगों के पीछे हैं सूक्ष्म जीवाणु- खासकर साइनोबैक्टीरिया. ये जीव अत्यधिक नमक वाले पानी में पनपते हैं और अपने रंगीन पिगमेंट छोड़ते हैं, जिससे झील का पानी खून जैसा दिखने लगता है. जब पानी का स्तर घटता है, तो सतह पर लाल-गुलाबी नमक की परत बन जाती है जो इसे और रहस्यमय बनाती है.

लेक नैटरॉन का पानी इतना क्षारीय है कि जो पक्षी या छोटे जानवर गलती से इसमें गिर जाते हैं, उनकी त्वचा जल जाती है और शरीर सूखकर ममी जैसा हो जाता है. इस वजह से इसे “जानलेवा झील” कहा जाता है. हालांकि झील तुरंत किसी को पत्थर नहीं बनाती, लेकिन लंबे समय में यह शरीर को कैल्सिफाई (calcify) कर देती है.

विडंबना देखिए यही घातक झील ईस्ट अफ्रीका के ‘लेसर फ्लेमिंगो’ (Lesser Flamingo) पक्षियों का एकमात्र प्रमुख प्रजनन स्थल है. हर साल लाखों फ्लेमिंगो यहां अंडे देते हैं और बच्चे पालते हैं. झील के खारे पानी में पनपने वाला स्पिरुलिना (Spirulina) उनका मुख्य आहार है, जो उन्हें उनकी गुलाबी रंगत देता है.

लेक नैटरॉन के पास स्थित ओल दोइन्यो लेंगई (Ol Doinyo Lengai) दुनिया का इकलौता कार्बोनाटाइट ज्वालामुखी है. जब इसके खनिज झील में घुलते हैं, तो पानी में सोडियम कार्बोनेट और अन्य तत्व मिल जाते हैं. इससे यह अत्यधिक क्षारीय बन जाती है. यही कारण है कि झील का तापमान और रासायनिक संरचना दोनों बेहद असामान्य हैं.

लेक नैटरॉन का पारिस्थितिक तंत्र बेहद नाजुक है. यहां सोडा ऐश खनन (soda ash mining) और डैम प्रोजेक्ट्स जैसी योजनाएं इस संतुलन को बिगाड़ सकती हैं. अगर पानी का प्रवाह या खारापन बदला, तो फ्लेमिंगो और अन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. साथ ही क्लाइमेट चेंज भी इस झील के भविष्य को प्रभावित कर रहा है.

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लेक नैटरॉन का इलाका किसी दूसरे ग्रह जैसा लगता है. चारों ओर ज्वालामुखीय पर्वत, नमक की चादरें और सुनसान मैदान, इसे एक अनोखा रहस्य बना देते हैं. यहां पहुंचना कठिन है लेकिन जो लोग आते हैं, उनके लिए यह जीवनभर का अनुभव बन जाता है एक ऐसी जगह जहां मौत और जीवन दोनों साथ-साथ मौजूद हैं.

First Published :

November 08, 2025, 17:04 IST

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जानलेवा झील! छूते ही जानवर बन जाते हैं पत्थर, क्यों लाल है लेक नैटरॉन?

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