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दिलीप कुमार की फिल्म से किया डेब्यू, राज कपूर की ब्लॉकबस्टर में बना विलेन, देता था सिर्फ हिट फिल्में

नई दिल्ली. कृष्ण धवन ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी. एक्टिंग की दुनिया में उनके किरदार भले ही छोटे लेकिन असल डालने वाले होते थे. राज कपूर की एक फिल्म ने तो उनकी किस्मत ही चमका दी थी. इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे विलेन का रोल निभाया था, जिसके बाद उन्हें खूब बद्दुआएं मिली थी. कृष्ण धवन ने हर तरह के रोल निभाकर अपनी एक्टिंग का परचम लहराया था. वह इडंस्ट्री में जाने ही अपने दमदार अभिनय के लिए जाते थे.

चाहे ‘शहीद’ के स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका हो, या तीसरी कसम के गांव के साधारण व्यक्ति की, मुझे जीने दो के शिक्षक, या काला पानी के झूठे गवाह, साहब बीबी और गुलाम के मास्टर बाबू या राम तेरी गंगा मैली में गंगा को धोखा देकर वेश्यालय में बेचने वाला कुटिल ठग का किरदार हो, कृष्ण धवन ने हर किरदार से साबित किया है कि उनके रोल के बिना ये फिल्में अधूरी होती.

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चेतन और देवानंद से रहा करीबी रिश्ताकृष्ण धवन ने सालों तक इडंस्ट्री पर राज किया.सिल्वर स्क्रीन पर उनके आते ही लोग समझने लगते थे कि जरूर अब कोई अनहोनी होगी. धवन ने अपने करियर की शुरुआत चेतन आनंद की ‘अफसर’ से की, जिसमें देव आनंद और सुरैया ने अभिनय किया था. धवन का चेतन और देव अनाद के साथ बहुत करीबी रिश्ता रहा, उनके साथ तो उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. इमें बाजी (1951), टैक्सी ड्राइवर (1954), मिलाप (1954), फरार (1955), फंटूश (1956), नौ दो ग्यारह ( 1957), अर्पण (1957), अंजलि (1957), काला पानी (1958), मंजिल (1960), काला बाजार (1960), और गाइड (1965) जैसी हिट और ब्लॉकबस्टर फिल्में शामिल हैं.

राज कपूर की ब्लॉकबस्टर में बने विलेनराज कपूर की साल 1985 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में उन्होंने ‘मणिलाल’ नाम के विलेन का रोल निभाया था. मणिलाल एक धूर्त और चालाक व्यक्ति है जो अंधा बनकर लोगों को गुमराह करता है. फिल्म में मंदाकिनी को भी गुमराह करने वाले शख्स का किरदार कृ्ष्ण धवन ने निभाया था. फिल्म में जैसे ही मंदाकिनी पानी लेने के लिए ट्रेन से उतरती है, तो मणिलाल उसे बहला-फुसलाकर वाराणसी के पास राजेश्वरीबाई के कोठे में ले जाता है. इस रोल को देखकर थिएटर में लोगों को उनके रोल पर काफी गुस्सा आया था. लोग उन्हें बद्दुआएं देने लगे थे. आज भी लोग जब ये फिल्म देखते हैं तो उनके रोल को बद्दुआएं देने लगते हैं.

बता दें कि कृ्ष्ण धवन को ‘जागते रहो (1956),’ ‘एक फूल चार कांटे (1960),’ ‘साहब बीबी और गुलाम (1962),’ ‘फिर वही दिल लाया हूं (1963),’ ‘मुझे जीने दो’ जैसी फिल्मों में भी काम किया गया। (1963), ‘जानवर’ (1965),” “उपकार (1967),” “झुक गया आसमान (1968) जैसी फिल्मों के लिए आज भी याद किया जाता है. कृष्ण धवन का 20 मई साल 1994 को मुंबई में निधन हो गया था.

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