सजे-धजे ऊंट, पालकी, शाही निशान..बीकानेर में तीज पर निकली शाही सवारी, कई सौ साल पुरानी है ये परंपरा
सजे-धजे ऊंट, पालकी, शाही निशान, पंचरंगी साफा पहने पूर्व राजपरिवार के सदस्य, बैंड पर बजते भजनों और राजस्थानी लोकगीतों की मधुर धुनें, और तलवारों की सुरक्षा में तीज माता की प्रतिमा—यह नजारा गुरुवार को तीज पर जूनागढ़ किले से निकली शाही सवारी का था.
हर साल की तरह इस वर्ष भी कजली तीज के अवसर पर तीज माता की शाही सवारी किले के मुख्य द्वार से होकर सादूल सर्किल तक निकली. इस दौरान तीज माता के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग खड़े थे.
पुलिस की कड़ी व्यवस्था
पुलिस की कड़ी सुरक्षा में यह सवारी निकाली गई. सवारी से पहले जूनागढ़ में राज पंडित द्वारा तीज माता का पूजन किया गया. सवारी, सादूल सर्किल होते हुए वापस जूनागढ़ किले पहुंची, जहां तीज माता ने बेशकीमती गहने पहने हुए थे.
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400 साल से अधिक पुरानी है शाही सवारी
राज पंडित गंगाधर ने बताया कि यह परंपरा रियासत काल से चली आ रही है, और यह शाही सवारी करीब 400 साल से अधिक पुरानी है. यहां महिलाएं तीज माता के दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और कई महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की भी प्रार्थना करती हैं. इसके अलावा, लक्ष्मीनाथ मंदिर सहित कई जगहों पर तीज के अवसर पर मेले जैसा माहौल रहा. वहीं, दूसरी ओर, महिलाओं ने सत्तू खाकर अपने व्रत का पारण किया.
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FIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 16:16 IST