Delhi Blast: 800KM दूर मिला मैसेज, 20 दिन बाद हुआ डिकोड, कैसे छोटी सी जांच से दहलने से बचा देश? ‘डॉक्टर्स ऑफ टेरर’ की इनसाइड स्टोरी

Delhi Car Blast News: लाल किला कार ब्लास्ट से दिल्ली दहल गई. लाल किला के पास धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई. दिल्ली ब्लास्ट की गुत्थी अभी अनसुलझी है. मकसद जानने में पुलिस-जांच एजेंसियां जुटी हैं. लाल किला विस्फोट पैनिक में किया विस्फोट लगता है. ऐसा नहीं लगता कि जान बूझकर यहां विस्फोट किया गया. मगर देश में इससे बड़ा धमाका हो सकता था. अगर आज से 20 दिन पहले की दिल्ली से करीब 800 किलोमीटर दूर हुई एक घटना को इग्नोर कर दिया जाता तो शायद देश दहल जाता. जी हां, डॉक्टर्स ऑफ टेरर की कहानी की काफी फिल्मी है. देश में समय रहते अगर फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ और आतंकियों की गिरफ्तारी हुई तो इसका क्रेडिट जम्मू-कश्मीर पुलिस को जाता है. सच कहें तो जम्मू-कश्मीर की एक छोटी सी जांच ने देश को एक बड़े आतंकी हमले से बचा लिया.
जी हां, जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. श्रीनगर के बाहरी इलाकों में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर्स से शुरू हुई एक छोटी सी जांच ने 800 किलोमीटर दूर फरीदाबाद में छिपे ‘आतंकी डॉक्टर्स’ के मॉड्यूल का पर्दाफाश कर दिया. एक पोस्टर के संदेश को डिकोड करते-करते जम्मू-कश्मीर की पुलिस फरीदाबाद तक पहुंची. इसके बाद क्या खुलासा हुआ, यह पूरी दुनिया जानती है. पोस्टर्स की जांच और इनक्रिप्टेड मैसेजेस को करीब 20 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद डिकोड करने से पता चला कि विदेश में बैठे हैंडलर्स भारत में बड़े धमाकों की साजिश रच रहे थे. इस जांच ने न सिर्फ 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री जब्त की, बल्कि दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश को दहलने से बचा लिया.
कैसे जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच ने किया बड़ा काम
दरअसल, जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच की शुरुआत अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में शुरू होती है. कहानी श्रीनगर के बाहरी इलाकों में लगे जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर्स से शुरू होती है. 19 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर्स चिपके मिले थे. उन पोस्टर्स में सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की धमकी दी गई थी. इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केस दर्ज किया और तफ्तीश शुरू की. तफ्तीश के दौरान कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स को अरेस्ट किया गया. इसमें विदेशी हैंडलर्स की संलिप्तता सामने आई. जांच के दौरान यह बात सामने आई कि विदेश में बैठे ये हैंडलर्स एन्क्रिप्टेड ऐप्स से यहां के पेशेवर लोगों के संपर्क में थे. इनमें डॉक्टर्स, स्टूडेंट्स और मौलवी तक शामिल थे.
खुलने लगी डी गैंग की परतें
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि भारत में किसी आतंकी साजिश की प्लानिंग हो रही है. इसमें डी गैंग यानी जैश का डॉक्टर्स गैंग सक्रिय है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उस पोस्टर कांड को गंभीरता से लिया और जांच शुरू कर दी. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स को अरेस्ट किया गया. अरेस्ट के दौरान पूछताछ में कई खुलासे हुए. उसकी कड़ी डॉक्टरों से मिलती गई. उन्हीं खुलासों को रास्ता बनाकर जम्मू-कश्मीर पुलिस उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और हरियाणा के फरीदाबाद तक पहुंची. इसके बाद गिरफ्तारी का दौर शुरू हो गया. 6 नवंबर को सहारनपुर के डॉक्टर आदिल अहमद राठर को जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने अरेस्ट किया. डॉक्टर आदिल की निशानदेही पर फरीदाबाद से मुजम्मिल अहमद को भी पकड़ा गया.
कैसे हुआ दिल्ली धमाका
इसके बाद डॉक्टर आदिल और मुजम्मिल से पूछताछ में 2900 किलोग्राम विस्फोटक का राज पता चला. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तुरंत हरियाणा पुलिस से संपर्क साधा. इसके बाद फरीदाबाद में करीब 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ. यह अभियान फरीदाबाद पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में चलाया गया. मुजम्मिल श्रीनगर में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाने के मामले में भी वांछित था. डॉ. मुजम्मिल ने अपने फरीदाबाद वाले घर पर ही विस्फोटकों छिपा रखा था. इसके बाद जैश के डी गैंग यानी डॉक्टरों की खतरनाक साजिश का पता चला. फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल में पुलिस मुझम्मिल शकील उर्फ मुजम्मिल शकील, डॉ. अदील अहमद राथर और डॉ. शाहीन शाहिद को अरेस्ट कर चुकी थी. मगर दिल्ली ब्लास्ट वाला डॉक्टर उमर बच निकला. उसने ही दिल्ली में पैनिक होकर ब्लास्ट कर दिया. सूत्रों का कहना है कि हड़बड़ी में यह ब्लास्ट हुआ. उसने ऐसा प्लान ही नहीं बनाया था.
तो ऐसे बचा देश
पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि यह ‘डॉक्टर टेरर’ मॉड्यूल विदेशी हैंडलर्स से जुड़ा था. उमर मोहम्मद और अन्य आतंकी डॉक्टर्स को इनक्रिप्टेड चैनल्स जैसे टेलीग्राम और अन्य ऐप्स के जरिए निर्देश आते थे. हैंडलर्स फंडिंग, हथियारों की तस्करी और रिक्रूटमेंट के लिए सोशल और चैरिटेबल एक्टिविटीज की आड़ लेते थे. इस तरह जम्मू-कश्मीर की जांच अगर नहीं होती तो शायद देश दिल्ली से भी बड़ा धमाका देखता. जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक्शन की वजह से डॉक्टर्स गैंग में पैनिक क्रिएट हो गया था. फिलहाल, आतंकी उमर महमूद उस कार ब्लास्ट में मरा या नहीं, यह डीएनए टेस्ट से साफ हो जाएगा. उसकी मां का डीएनए सैंपल लिया गया है. उसके भाइयों को भी अरेस्ट किया गया है.



