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Severe AQI in Delhi-NCR and Solutions: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर बढ़ता ही जा रहा है. दिल्ली ही नहीं बल्कि नोएडा और गाजियाबाद के कई इलाकों में एक्यूआई 600-800 को भी पार कर गया है.बेहद खराब एयर क्वालिटी से खतरनाक स्तर पर पहुंची एनसीआर की हवा में सांस लेना तो मुश्किल हो ही रहा है, बीमार लोगों के लिए यहां जिंदा रह पाना भी कठिन हो रहा है.
वैसे तो प्रदूषण स्तर को कंट्रोल करने के लिए सरकारों की ओर से दिल्ली सहित अन्य इलाकों में स्मॉग टॉवर्स, एंटी स्मॉग गन्स, पानी का छिड़काव, क्लाउड सीडिंग की कोशिशें आदि की गई हैं, साथ ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का तीसरा चरण भी लागू कर दिया और कंस्ट्रक्शन आदि चीजों पर पाबंदियां लगाई गई हैं. इन सभी के बावजूद एनसीआर में प्रदूषण स्तर बढ़ ही रहा है और कम होने का नाम नहीं ले रहा है. आखिर ऐसी क्या वजहें हैं? क्या ग्रैप और ये सभी उपाय कारगर नहीं हैं? क्या उपाय किए जाने चाहिए? इन सवालों पर भारतीय मौसम विभाग के पूर्व डीजीएम और जाने-माने वैज्ञानिक के जे रमेश ने न केवल सही वजहें बताई हैं, बल्कि समाधान भी सुझाएं हैं.. आइए जानते हैं..
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है.
सवाल. दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-3 लागू है, फिर भी बढ़ रहा प्रदूषण, क्यों?
जवाब. हां, दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का तीसरा चरण लागू किया गया है, जैसे हालात हैं उस हिसाब से संभावना है कि जल्दी चौथा भी लागू हो जाएगा लेकिन उसका असर बहुत दिखाई नहीं देना है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग चीजों से प्रदूषण बढ़ रहा है, जबकि ग्रैप की गाइडलाइंस सभी के लिए एक जैसी ही हैं. कायदे से होना ये चाहिए कि सभी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग ग्रैप होना चाहिए. जिला स्तर पर ग्रैप बनना चाहिए, फिर वह कड़ाई से लागू होना चाहिए, तब जाकर असर दिखाई देगा. अभी गाजियाबाद में एक्यूआई की वजह और हैं, दिल्ली में अलग हैं, किसी औद्योगिक इलाके में अलग हैं. जबकि पाबंदियां सभी जगहों पर एक जैसी हैं. ऊपर से उनका पालन कितना हो रहा है, यह भी एक बड़ा सवाल है, ऐसे में विशेष लाभ होना नहीं है. समाधान ये है कि हर जिले का अपना ग्रैप होना चाहिए और कड़ाई से लागू होना चाहिए.
सवाल. स्मॉग टावर्स, एंटी स्मॉग गंस, क्लाउड सीडिंग, पानी की बौछार.. क्या ये नहीं घटा पा रहे प्रदूषण ?
दिल्ली में कृत्रिम बारिश की कोशिश की गई जो असफल रही.
जवाब. चाहे स्मॉग टावर्स हों, एंटी स्मॉग गन्स, क्लाउड सीडिंग हो या सड़कों पर पानी का छिड़काव कर रहे हों, ये सभी तरीके अस्थाई हैं. ये प्रदूषण स्तर को कम करने के स्थाई समाधान नहीं हैं. दिल्ली में पिछली सरकार में भी स्मॉग टॉवर्स और एंटी स्मॉग गन्स लगाई गईं, जबकि इनका परिणाम बहुत सफल नहीं रहा. दिल्ली का प्रदूषण स्तर और एरिया इतना ज्यादा और बड़ा है कि ये सभी चीजें बस कुछ समय तो असर दिखा देती हैं लेकिन ये समाधान नहीं हैं. ऊपर से आप देखिए कि एनसीआर में कितने इलाके हैं, जहां ये सभी चीजें इंप्लीमेंट हो पा रही हैं, बेहद कम, चुनिंदा हैं.
सवाल. आपको क्या लगता है, आखिर क्या उपाय किए जाने चाहिए?
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद सभी जगहों का एक्यूआई खराब से भी बहुत खराब हो गया है.
जवाब. अगर एनसीआर से प्रदूषण को हटाना है तो जमीनी स्तर पर काम होने चाहिए. पहले हमें प्रदूषण के कारणों को समझना होगा, उन्हें पकड़ना होगा, फिर उन्हें कैसे सही करना है, इसकी प्लानिंग करके इन्फोर्समेंट करना होगा. सबसे पहले तो सरकारों को चाहिए कि वे पॉल्यूशन इन्वेंट्री कराएं. हर गली और हर नुक्कड़ पर होने वाले प्रदूषण की इन्वेंट्री ड्रोन से करवाई चाहिए. फिर जहां-जहां जैसा प्रदूषण है, उसे मापा जाए और उसे कम करने के लिए उपाय लागू किए जाएं. जिन चीजों पर प्रतिबंध लगाने हैं, उन पर प्रतिबंध लगाए जाएं. वाहनों की संख्या सीमित की जाए. दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल को ही एंट्री मिले. डीजल वाहन पूरी तरह बैन किए जाएं. सभी को बॉर्डर पर ही रोका जाए. इंडस्ट्रीज पर चोरी छुपे चल रहे उत्सर्जन को रोका जाए. सख्ती बरती जाए. फिर देखिए असर दिखाई देता है कि नहीं.



