Health

Delhi Pollution 2025: दिवाली के बाद जहरीली हुई दिल्ली की हवा, बढ़े सांस और दिल के मरीज, बच्चे-बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित

Post Diwali Air Pollution in Delhi : दिवाली के बाद दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है. राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है. इसके कारण सांस और हृदय संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. शहर के बड़े अस्पतालों, एम्स, सफदरजंग, अपोलो, मैक्स और आरएमएल, में पिछले दो दिनों में सांस फूलने, खांसी, गले में दर्द और आंखों में जलन की शिकायत लेकर आने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है. डाॅक्‍टर लोगों को मास्‍क लगाने और घर पर रहने की सलाह दे रहे हैं.

दिवाली के बाद दोगुने हुए मरीज

टीओआई की खबर के मुताबिक, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला ने बताया कि पटाखों के कारण हवा की गुणवत्ता में अचानक गिरावट आई है. “दिवाली के बाद प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है. यहां तक कि वे लोग भी सांस की परेशानी झेल रहे हैं जिन्हें पहले कोई बीमारी नहीं थी,” उन्होंने कहा.

उन्होंने बताया कि अस्थमा और दिल के मरीजों के लिए यह समय बेहद खतरनाक है, क्योंकि प्रदूषण उनके फेफड़ों और हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है.

बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे ज्यादा असर

मैक्स अस्पताल, साकेत में लगभग 30% ओपीडी मरीज प्रदूषण से प्रभावित हैं. डॉ. रोमल टिक्कू ने कहा, “हमारे पास आने वाले अधिकांश मरीजों को गले में खराश, सिरदर्द, खांसी और नाक बंद होने जैसी शिकायतें हैं. बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे अधिक असर दिख रहा है.” उन्होंने बताया कि अगर हवा की गुणवत्ता अगले कुछ दिनों तक नहीं सुधरी तो भर्ती मरीजों की संख्या और बढ़ेगी.

लगातार बढ़ रही सांस की तकलीफ

एशियन अस्पताल के डॉ. मानव मंचंदा के अनुसार, बीते हफ्ते से प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. “कई मरीज रात में सांस फूलने, नींद न आने और थकान जैसी समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं, जो शरीर में ऑक्सीजन की कमी का संकेत है,” उन्होंने कहा. अस्थमा और साइनस से पीड़ित लोग इस समय सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि प्रदूषित हवा उनके फेफड़ों में सूजन बढ़ा रही है.

सरकारी अस्पतालों में भी बढ़ी भीड़

आरएमएल अस्पताल में सांस की समस्या वाले मरीजों की संख्या 10–15% बढ़ी है. डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया, “कई नए मरीज एक्यूट ब्रोंकाइटिस से पीड़ित हैं, जबकि पुराने अस्थमा या सीओपीडी के मरीजों में लक्षण और बिगड़ गए हैं.” उन्होंने कहा कि बच्चों में कमजोर इम्यूनिटी और बुजुर्गों में पुरानी बीमारियों के कारण स्थिति गंभीर हो सकती है. अस्पताल ने प्रदूषण से निपटने के लिए विशेष ‘पॉल्यूशन क्लिनिक’ शुरू की है.

बचाव के उपाय-

सफदरजंग अस्पताल के डॉ. रोहित कुमार ने सलाह दी कि लोग तब तक बाहर निकलने से बचें जब तक हवा की गुणवत्ता सुधरे नहीं. बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनें और सुबह की एक्सरसाइज या वॉक से फिलहाल परहेज करें.

एम्स के डॉ. नीरज निश्चल ने कहा, “घर में खिड़कियां बंद रखें, एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें और मोमबत्ती, अगरबत्ती या मच्छर कॉइल जैसी चीजों से बचें. धूम्रपान से भी परहेज करें क्योंकि यह फेफड़ों की क्षमता को और कमजोर करता है.”

अभी नहीं खत्म होगा संकट-

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक हवा में मौजूद प्रदूषक कण मौसम के बदलाव के साथ बिखर नहीं जाते, तब तक यह स्थिति बनी रहेगी. अगले दो से चार हफ्तों तक सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी की संभावना है.  डॉक्टरों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है — दिल्ली के प्रदूषण सीजन की.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj