कश्मीर टूरिज्म संकट: पहलगाम हमले के बाद वीरान वादियां.

Last Updated:May 15, 2025, 18:40 IST
Kashmir Tourism Crisis: आतंकी हमले के बाद कश्मीर की वादियां वीरान हो गई हैं. टूरिज्म ठप है और टट्टू संचालकों समेत हजारों लोग रोजगार के संकट में हैं. कश्मीर से आ रही तस्वीरें काफी चिंताजनक हैं. इस खबर में पढ़िए …और पढ़ें
टूरिस्ट का इंतजार करते टट्टू. (फोटो PTI)
हाइलाइट्स
कश्मीर में टूरिज्म ठप, हजारों लोग बेरोजगार.आतंकी हमले के बाद पहलगाम की वादियां वीरान.पर्यटकों की कमी से होटल और शिकारे खाली पड़े.
Kashmir Tourism Crisis: पहलगाम में हुए नरसंहार की याद कभी धुंधली नहीं हो सकती. इस नरसंहार के बाद जो तस्वीरें कश्मीर से आ रही हैं वे काफी चिंताजनक हैं. कश्मीर की खूबसूरत वादियों में सन्नाटा पसर गया है. 22 अप्रैल 2025 को हुए उस दर्दनाक हमले ने न केवल 26 निर्दोष जिंदगियां छीन लीं, बल्कि कश्मीर के टूरिज्म इंडस्ट्री को भी गहरा चोट पहुंचाया है. कभी पर्यटकों की चहल-पहल से गुलजार रहने वाली पहलगाम की वादियां आज वीरान नजर आ रही हैं. इसका सीधा असर यहां के लोगों की रोजी-रोटी पर पड़ रहा है. आज अनंतनाग से ऐसी तस्वीरों आई हैं जो कश्मीर के लोगों का दिल तोड़ रही हैं. अनंतनाग में पेड़ों की छांव तले बंधे ये टट्टू (पोनी) मायूसी की तस्वीर पेश कर रहे हैं. उनकी सजी हुई पीठ पर टूरिस्ट नहीं बैठे हैं. उनकी पीठों पर इंतजार और खालीपन का बोझ है.
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. पहलगाम ही नहीं बल्कि गुलमर्ग, श्रीनगर और सोनमर्ग जैसे अन्य मशहूर पर्यटन स्थलों पर भी पर्यटकों की आवाजाही काफी कम हो गई है. पर्यटकों के न आने से होटल खाली पड़े हैं… शिकारा वाले झील के किनारे इंतजार कर रहे हैं. और सबसे बुरा हाल तो उन हजारों परिवारों का है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं. इनमें होटल कर्मचारी, गाइड, टैक्सी ड्राइवर और खासकर पोनी (टट्टू) संचालक शामिल हैं. इनकी आजीविका पूरी तरह से पर्यटकों पर निर्भर करती है. इन पोनी संचालकों की उम्मीदें इन जानवरों की तरह ही बंधी हुई हैं, कब कोई पर्यटक आएगा और इनकी सवारी करेगा.
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कश्मीर: कुदरत का तोहफा, पर्यटकों की राह देखती वादियांकश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. बर्फ से ढके ऊंचे पहाड़, हरी-भरी वादियां, कलकल करती नदियां और शांत झीलें हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं. श्रीनगर की डल झील में तैरते शिकारे, गुलमर्ग के मनमोहक नजारे, पहलगाम की शांत वादियां और सोनमर्ग के ऊंचे ग्लेशियर कश्मीर को धरती का स्वर्ग बनाते हैं. यही वजह है कि देश और दुनिया के कोने-कोने से टूरिस्ट इस जन्नत का दीदार करने के लिए खींचे चले आते हैं. पहाड़ों और हरी-भरी धरती के बीच खड़े ये टट्टू जम्मू-कश्मीर की खूबसूरती का हिस्सा हैं.
आतंकी हमले के बाद पर्यटन में गिरावट
स्थानपर्यटकों की संख्या (मार्च 2025)पर्यटकों की संख्या (मई 2025)पहलगाम28,0006,200श्रीनगर45,00015,500गुलमर्ग32,00010,800सोनमर्ग25,5007,000
कश्मीर का टूरिज्म इंडस्ट्री यहां की अर्थव्यवस्था की मानी जाता है. यह न केवल हजारों लोगों को रोजगार देता है. बल्कि स्थानीय संस्कृति और कला को भी बढ़ावा देता है. हस्तशिल्प, कश्मीरी शॉल, लकड़ी की नक्काशी और पारंपरिक भोजन पर्यटकों के बीच हमेशा लोकप्रिय रहे हैं. ये सभी स्थानीय लोगों के लिए इनकम के सोर्स रहे हैं. पर्यटन से होने वाली आय से राज्य के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलता है. पहलगाम जैसे स्थानों पर पोनी संचालन एक महत्वपूर्ण बिजनेस है जो स्थानीय लोगों को रिस्पेक्ट के साथ जीवन जीने का सहारा देता है.
कश्मीर में पर्यटन से जुड़े रोजगार
क्षेत्ररोजगार संख्या (अनुमानित)होटल/गेस्ट हाउस60,000पोनी संचालन25,000टैक्सी/गाइड35,000हस्तशिल्प विक्रेता20,000
हालांकि समय-समय पर होने वाली आतंकवादी घटनाएं और अशांति कश्मीर के टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए हमेशा एक बड़ी चुनौती रही हैं. हर बार जब शांति भंग होती है तो पर्यटकों की संख्या में गिरावट आ जाती है. इससे यहां के लोगों का इनकम सोर्स खतरे में पड़ जाता है. पहलगाम में हुआ हालिया हमला भी इसी कड़ी का हिस्सा है. इसने एक बार फिर कश्मीर केटूरिज्म इंडस्ट्री को संकट में डाल दिया है. तस्वीरों में दिख रहे खाली खड़े टट्टू इस संकट की मौन गवाही दे रहे हैं.
Sumit Kumar
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master’s degree in Journalism. Before working in Hindi, …और पढ़ें
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master’s degree in Journalism. Before working in Hindi, … और पढ़ें
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खाली खड़े टट्टू और टूटती उम्मीदें… कब लौटेगी धरती के स्वर्ग में रौनक?