वेद शिक्षा व योग से बच्चों का विकास

Last Updated:October 16, 2025, 19:36 IST
राजस्थान के डीग स्थित जड़खोर गौधाम गुरुकुल में परंपरा, संस्कृति और शिक्षा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. यहां छोटे-छोटे बटुक ब्रह्मचारी वेदों और शास्त्रों का गूढ़ ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ योग, ध्यान और कठिन व्यायाम के माध्यम से तन-मन को भी सशक्त बना रहे हैं. गुरुकुल का वातावरण पूरी तरह अनुशासित और आध्यात्मिक है, जहां बच्चों को गौ सेवा, संध्या वंदन, वेदपाठ, और चरित्र निर्माण की शिक्षा दी जाती है. बाबा धनंजय के मार्गदर्शन में यह गुरुकुल ग्रामीण भारत में सनातन संस्कृति, आत्मबल और स्वाभिमान का प्रेरणास्रोत बन चुका है.
डीग के जड़खोर गौधाम में परंपरा और संस्कृति का संगम देखने को मिलता है.यहां स्थापित गुरुकुल में छोटे-छोटे बालक न केवल वेदों और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करते हैं.बल्कि योग ध्यान और व्यायाम के जरिए तन और मन को भी सशक्त बना रहे हैं. इस गुरुकुल में शिक्षा का तरीका बिल्कुल पारंपरिक है. यहां पर बच्चों को ज्ञान के साथ साथ मजबूत बनाया जाता है.
यह पर बच्चे सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले गौ सेवा और संध्या वंदन करते हैं. इसके बाद वे सस्वर वेदपाठ और शास्त्र अध्ययन में जुट जाते हैं. इन बच्चों को बटुक ब्रह्मचारी कहा जाता है, जो पूरी निष्ठा और अनुशासन के साथ गुरुकुल की परंपराओं का पालन करते हैं और वेद शास्त्रों का ज्ञान सीखते हैं.
गुरुकुल के बाबा धनंजय बताते हैं कि यहां बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि उन्हें शारीरिक रूप से भी मजबूत बनाया जा रहा है. बाबा धनंजय का कहना है कि शिक्षा तभी सार्थक है जब वह शरीर और आत्मा दोनों को मजबूत बनाए इसी सोच के तहत बच्चों को बाबा धनंजय रोजाना विशेष योगाभ्यास करते हैं.
इन बटुक ब्रह्मचारियों को एक हाथ से शरीर का संतुलन बनाना सिर के बल खड़ा होना शीर्षासन सूर्य नमस्कार और कई अन्य कठिन योगासन सिखाए जाते हैं. इन अभ्यासों से बच्चों की एकाग्रता, मानसिक स्थिरता और शारीरिक लचीलापन बढ़ रहा है. गुरुकुल के आचार्य बच्चों में आत्मबल और चरित्र निर्माण पर विशेष ध्यान देते हैं.
यहां पढ़ने वाले बच्चे कहते हैं कि उन्हें इस गुरुकुल में शिक्षा के साथ एक नई जीवन दिशा मिली है. वेदों का अध्ययन उन्हें जीवन के मूल्यों की सीख देता है. वहीं योग उन्हें आत्मनियंत्रण और संयम सिखाता है. गुरुकुल परिसर में वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और अनुशासित है. बच्चे जमीन पर बैठकर पाठ करते हैं भजन और मंत्रोच्चारण से पूरा परिसर गूंज उठता है.
यहां आधुनिक शिक्षा के बजाय भारतीय परंपराओं के अनुरूप जीवन जीने की प्रेरणा दी जाती है. डीग का यह जड़खोर गौधाम गुरुकुल आज ग्रामीण क्षेत्र में संस्कार, साधना और स्वाभिमान की नई मिसाल बन गया है. जहां से निकलने वाले बटुक ब्रह्मचारी न केवल वेदों के ज्ञाता बन रहे हैं. बल्कि भविष्य में समाज को योग और संस्कृति की राह दिखाने वाले सच्चे दीपक भी बन रहे हैं.
First Published :
October 16, 2025, 19:36 IST
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डीग गौधाम गुरुकुल, जहां वेद शिक्षा व योग से होता है बच्चों का विकास