Rajasthan

Dharma Karma: These three fasts and festivals are very special in Hinduism, know their importance and results

काजल मनोहर/जयपुर:- हिंदू परंपरा में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है. महिलाएं निश्चल हिंदू परंपरा के अनुसार व्रत करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन और भादवे में आने वाले व्रत का विशेष महत्व होता है. भादवे के महीने में राजस्थान के प्रमुख लोक देवताओं के मेले भी आते हैं. खास बात ये है कि 11 से 17 सितम्बर तक लगातार व्रत और त्योहार पर विशेष संयोग बना रहता है. वैसे 6 सितंबर से गणेश चतुर्थी की धूम भी जारी है. इसके अलावा 13 सितम्बर को तेजाजी जयंती व बाबा रामदेव जयंती आयेगी. 14 सितम्बर को जलझूलनी एकादशी व्रत और 17 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी पर विशेष संयोग बन रहता है.

तेजाजी जयंती व बाबा रामदेव जयंतीभाद्रपद शुक्ल दशमी को राजस्थान में लोक देवता रामदेवजी और तेजाजी की जयंती मनाई जाती है. इस बार 13 सितम्बर राजस्थान के प्रमुख मंदिर सहित गांव ढाणियों में विशेष पूजा के साथ इनका जन्म दिवस मनाया जाएगा. इस दिन विशेष स्थानों पर इनके मंदिरों में मेलों का आयोजन होता है और भक्तगण समाज और स्वजनों की खुशहाली की कामना करते हैं.

जलझूलनी एकादशी व्रतभविष्योत्तर पुराण के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल एकादशी पदमा एकादशी या जलझूलनी एकादशी भी कहलाती है. इसका व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. इस बार ये व्रत 14 सितम्बर को मनाया जाएगा. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने लोकल 18 को बताया कि पापियों का पाप नाश करने के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है. जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान को वाहन में विराजित करके भजन कीर्तन के साथ किसी जलाशय पर ले जाएं और उन्हें नहलाकर और भोजन कराकर वापस लाकर संध्या के समय महापूजा और आरती करें. रात्रि में भगवान को दक्षिण-करवट शयन कराकर जागरण करें और दूसरे दिन पूजा अर्चना समाप्त करें.

ये भी पढ़ें:- पहले पंडाल में मचाई हलचल, फिर सीधा बप्पा के गले में लिपटा सांप, कोटा में ब्लैक कोबरा और अजगर का आतंक

अनंत चतुर्दशी व्रत और गणेश विसर्जनस्कन्द, ब्रह्म, भविष्यादि पुराणों के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को शेषनाग की शैय्या पर सोने वाले भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. यह 17 सितम्बर को है और इस व्रत में सुबह नहाकर सात फनों वाले शेष भगवान की पूजन करें और कथा सुनें. साथ ही बिना नमक का भोजन करें. अनन्त चतुर्दशी के दिन ही गणेश जी की मूर्तियों का गाजे-बाजे के साथ जल में विसर्जन किया जाता है. इस वर्ष मानसून की अच्छी वर्षा होने से सभी तालाब भरे हुए हैं. अतः गणेश जी का विसर्जन कहीं नहीं किया जा सकता है. फिर भी यदि यह सुविधा नहीं बने तो, घर में ही किसी बड़े बर्तन में पानी भरकर उसमें गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जा सकता है.

Tags: Dharma Aastha, Jaipur news, Local18

FIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 13:24 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj