Dharohar: पंच गौरव में शामिल हुआ बाड़मेर का ऐतिहासिक मंदिर, बनेगा टूरिस्ट स्पॉट, राजस्थान का है ‘खजुराहो’

Last Updated:October 13, 2025, 08:17 IST
Barmer Kiradu Temple: बाड़मेर का ऐतिहासिक किराडू मंदिर समूह अब जिले के पंच गौरव में शामिल कर दिया गया है. 11वीं शताब्दी में बने ये मंदिर अपनी नक्काशी और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन अब इसे संरक्षित कर टूरिस्ट प्वाइंट के रूप में विकसित करने की योजना बना रहे हैं. क्षतिग्रस्त मूर्तियों और खंडहरों का संरक्षण कर हॉल निर्माण किया जाएगा, जिससे आगंतुकों को राजस्थान के खजुराहो जैसी जानकारी मिलेगी और क्षेत्रीय पर्यटन को नई पहचान मिलेगी .
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बाड़मेर. ऐतिहासिक और स्थापत्य कला की अनमोल धरोहर किराडू मंदिर समूह को अब बाड़मेर के पंच गौरव में शामिल किया गया है. 11वीं शताब्दी में निर्मित ये मंदिर अपनी अद्भुत नक्काशी और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है. अब पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन मिलकर इस धरोहर को पर्यटन दृष्टि से विकसित करने में जुटा है. थार की रेत के बीच बसा एक हजार साल पुराना किराडू मंदिर अब नई पहचान की ओर बढ़ रहा है.
पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन मिलकर इस ऐतिहासिक धरोहर को विकसित करने की दिशा में काम शुरू करने जा रहा है. विभाग के पहल से क्षेत्रीय पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी और बाड़मेर की सांस्कृतिक विरासत को फिर से चमक मिलेगी. किराड़ू के खंडहरों को संरक्षित करने के साथ साथ इसे टूरिस्ट प्वाइंट के रूप में विकसित किया जाएगा.
पर्यटन विभाग किराडू में विकसित करेगा टूरिस्ट स्पॉट
पर्यटन विभाग द्वारा किराड़ू की क्षतिग्रस्त मूर्तियों को संरक्षित और सुरक्षित रखने के साथ-साथ आमजन को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए हॉल निर्माण का प्रस्ताव लिया गया है, जिससे राजस्थान के खजुराहो के बारे में जानकारी साझा की जाएगी. पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक कमलेश्वर सिंह के मुताबिक राजस्थान के खजुराहों को बाड़मेर के पंच गौरव में शामिल किया गया है, जिससे यहां किराडू के सरक्षंण को विकसित किया जाएगा. साथ ही टूरिस्ट स्पॉट विकसित कर पर्यटकों को बढाने के लिए नवाचार किए जाएंगे.
क्या है किराडू का इतिहास?
किराडू राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित प्राचीन हिंदू मंदिरों का एक समूह है, जो अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और इसे “राजस्थान का खजुराहो” भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 11वीं-12वीं शताब्दी के माने जाते हैं और गुर्जर प्रतिहार या परमार वंश द्वारा बनवाए गए हो सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर समूह से जुड़े एक साधु के श्राप के कारण शाम के बाद यहां रुकने वाला व्यक्ति पत्थर बन जाता है.
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दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Location :
Barmer,Rajasthan
First Published :
October 13, 2025, 08:15 IST
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पंच गौरव में शामिल हुआ बाड़मेर का ऐतिहासिक मंदिर, अब बनेगा टूरिस्ट स्पॉट