Rajasthan

Dharohar: जयपुर का 100 साल पुराना चारभुजा नाथ मंदिर… शादी में अड़चन दूर करने और चांदी के द्वार की अनोखी धरोहर

जयपुर. ये शहर अपने प्राचीन मंदिरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, खासतौर पर जयपुर का चारदीवारी बाजार, जहां हर 100 मीटर पर एक प्राचीन मंदिर है. यहां के मंदिरों का इतिहास और वास्तुकला बेहद खास है, ऐसे ही जयपुर के छोटी चौपड़ पर स्थित 250 वर्ष पुराना चारभुजा नाथ का मंदिर है, जहां कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु विराजमान हैं. लोकल-18 ने जयपुर के चारभुजा नाथ मंदिर में पहुंच कर मंदिर के इतिहास और मंदिर की भव्य वास्तुकला के बारे में बात की. यहां के पंडित जी बताते हैं कि यह मंदिर पालीवाल समाज कल्याण द्वारा निर्मित किया गया था, जहां भगवान विष्णु को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है.

मंदिर में पूरे सालभर मांगलिक कार्यों और पूजा-पाठ का आयोजन चलता है. विशेष रूप से, मंदिर में ऐसे लोग पूजा के लिए आते हैं जिनके विवाह में किसी प्रकार की अड़चन आ रही हो. ऐसे लोगों के लिए गुरुवार को खास पूजा का आयोजन किया जाता है, इसलिए खासतौर पर चारभुजा नाथ के इस मंदिर में लोग दूर-दूर से विवाह दोष की पूजा करवाने के लिए आते हैं. मंदिर चारदीवारी बाजार के बीचोंबीच स्थित है, इसलिए मंदिर में स्थानीय लोगों के अलावा जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक भी भगवान विष्णु के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

अनोखी है चारभुजा मंदिर की वास्तुकलाछोटी चौपड़ पर स्थित चारभुजा मंदिर की वास्तुकला भी बेहद खूबसूरत है, मंदिर के प्रांगण में नीले रंग से भगवान विष्णु के सभी अवतारों का सुंदर चित्रण बना हुआ है. साथ ही मंदिर की वास्तुकला प्राचीन समय की है, जो बेहद सुंदर है, मंदिर के पास ही चतुर्भुज का मंदिर है, जहां भी भगवान विष्णु विराजमान हैं. दोनों ही मंदिरों की वास्तुकला एक ही समय की है, इसलिए दोनों मंदिरों के अंदर से स्वरूप लगभग समान है.  इसे देखकर लोगों को लगता है कि एक ही वास्तुकला के दो अनोखे मंदिर हैं, जो बेहद सुंदर हैं.

आज भी मंदिर की वास्तुकला और भगवान विष्णु की लीलाओं के चित्रण को देखा जा सकता है. दोनों ही मंदिरों में भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों की पूजा ठाकुरजी के रूप में होती है. मंदिर की वास्तुकला इस प्रकार है कि दोनों मंदिरों के गलियारे एक दूसरे से जुड़े हैं, इसलिए लोग किसी भी मंदिर में प्रवेश करें, उन्हें दोनों मंदिरों में भगवान विष्णु के दर्शन हो जाते हैं. साथ ही चारभुजा नाथ मंदिर के प्रांगण को विशाल रूप में बनाया गया है, जहां सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है.

मंदिर में स्थित है 100 वर्ष पुराना चांदी का द्वारचारभुजा नाथ मंदिर में मंदिर की वास्तुकला के साथ ही 100 वर्ष पुराना चांदी का द्वार भी है, यह द्वार 20 किलो वजन का है, जिसमें खासतौर पर भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों के चित्रण देखने को मिलते हैं. मंदिर के पंडित बताते हैं कि यह चांदी का द्वार जयपुर के राजा-महाराजाओं ने ही मंदिर निर्माण के बाद लगवाया था, जो आज भी वैसे ही लगा हुआ है. चारदीवारी बाजार के सभी मंदिरों में सिर्फ चारभुजा मंदिर ऐसा है, जहां भगवान के द्वार चांदी के बने हैं, जो इस मंदिर को खास बनाते हैं. हाल ही वर्षों में लगाये गए इन चांदी के द्वारों में हल्का कालापन दिखाई देता है, लेकिन लकड़ी के गेट पर 20 किलो चांदी का उपयोग उस समय से ही किया गया था. मंदिर में हर दिन सुबह-शाम दर्शन के लिए भक्त आते हैं, इसलिए चांदी के द्वार हमेशा खुले रहते हैं.

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