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Last Updated:November 13, 2025, 11:04 IST
Dholpur Tourist Places: राजस्थान का ऐतिहासिक शहर धौलपुर अपनी प्राचीन इमारतों और शाही वास्तुकला के लिए मशहूर है. यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को पुराने राजाओं और साम्राज्यों की झलक मिलती है. धौलपुर के किले, महल और स्मारक न सिर्फ देखने लायक हैं बल्कि इतिहास प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं.
अरावली पर्वत श्रृंखला में बसा मचकुंड धाम जिसे तीर्थो का भांजा भी कहा जाता है. बताया जाता है महाराज मचकुंड का जन्म भगवान राम से 24 पीढ़ी पहले अयोध्या के चक्रवर्ती राजा मानदाता जी के यहां हुआ था. मचकुंड धाम पर कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक इमारतें बनी हुई हैं जिन्हें देखने के लिए पर्यटक उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक के लोग पहुंचते हैं.

धौलपुर के बीचो-बीच स्थित पताल तोड़ बावड़ी का निर्माण 1875 के आसपास धौलपुर के महाराजा निहाल सिंह ने करवाया था. रियासत काल के समय यह बावड़ी जल का मुख्य स्रोत हुआ करती थी. स्थापत्य कला की दृष्टि से देखा जाए तो इसकी बनावट राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष में अतुलनीय हैं.

इस ऐतिहासिक समयसूचक इमारत का निर्माण महाराज निहाल सिंह के समय शुरू हुआ था और महाराज उदयभान सिंह ने इसका निर्माण पूरा करवाया था. इतिहास के पन्नों में कहा जाता है कि यह राजस्थान का सबसे ऊंचा घंटाघर है. जो लगभग 150 फीट ऊंचा है. इस ऐतिहासिक इमारत को निहाल टावर कहा जाता है लाल पत्थर से बनी यह इमारत पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है.

धौलपुर के महाराजा भगवंत सिंह ने अपनी प्रेयशी गजरा की याद में एक मकबरा का निर्माण करवाया था. जिसे इतिहास के पन्नों में अधूरा ताजमहल भी कहा जाता है. धौलपुर की यह ऐतिहासिक धरोहर जर्जर हालत में होने के बावजूद भी भगवत सिंह और गजरा की शाही मोहब्बत होने की गवाही देती है. पर्यटक आज भी इसे मोहब्बत के निशानी के रूप में देखते हैं.

इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण महाराजा उदयभान सिंह के समय हुआ था. रियासत काल के समय यह इमारत कभी सिनेमा हॉल हुआ करती थी. बाद में इसे विद्यालय के रूप में विकसित किया गया, अब इस ऐतिहासिक इमारत में पुस्तकालय संचालित किया जाता है.
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November 13, 2025, 11:04 IST
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इतिहास से भरा है धौलपुर! जानिए कौन-कौन सी प्राचीन इमारतें हैं देखने लायक



