UPI मुफ्त है, फिर भी Google Pay और PhonePe ने कैसे कमा लिए 50650000000 रुपये, ये है असली वजह

Last Updated:July 21, 2025, 16:21 IST
UPI (Unified Payments Interface) के जरिए पैसे भेजना और प्राप्त करना मुफ्त है. फिर भी, Google Pay और PhonePe जैसी कंपनियों ने 5065 करोड़ रुपये कैसे कमा लिए? आइए आपको बताते हैं कि इतनी कमाई कैसे कर ली?
अगर मैं ये कहूं कि देश में जितने लोगों के पास स्मार्टफोन उनमें से 90 फीसदी लोग UPI का इस्तेमाल करते हैं तो गलत नहीं होगा. क्योंकि अब ये बेहद आम बात है. ये भी आप जानते होंगे कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface) यानी UPI के जरिए भुगतान करना आसान और पूरी तरह से मुफ्त है. फिर भी, Google Pay और PhonePe ने पिछले साल मिलकर ₹5,065 करोड़ से ज्यादा की कमाई की. उन्होंने यह कैसे किया? वो बिना कोई प्रोडक्ट बेचे या बिना कोई चार्ज लगाए? आइये आपको बताते हैं.
अगर मैं ये कहूं कि देश में जितने लोगों के पास स्मार्टफोन उनमें से 90 फीसदी लोग UPI का इस्तेमाल करते हैं तो गलत नहीं होगा. क्योंकि अब ये बेहद आम बात है. ये भी आप जानते होंगे कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface) यानी UPI के जरिए भुगतान करना आसान और पूरी तरह से मुफ्त है. फिर भी, Google Pay और PhonePe ने पिछले साल मिलकर ₹5,065 करोड़ से ज्यादा की कमाई की. उन्होंने यह कैसे किया? वो बिना कोई प्रोडक्ट बेचे या बिना कोई चार्ज लगाए? आइये आपको बताते हैं.
किराना स्टोर्स में वॉयस-इनेबल्ड स्पीकर्स : Ice VC के फाउंडिंग पार्टनर मृणाल झवेरी ने एक LinkedIn पोस्ट में बताया कि ये कंपनियां कैसे राजस्व पैदा करती हैं. उनके अनुसार, इनकी आय का बड़ा हिस्सा छोटे पड़ोस के दुकानों (किराना स्टोर्स) से आता है. PhonePe जैसी ऐप्स इन दुकानों में इस्तेमाल होने वाले वॉयस-इनेबिल्ड स्पीकर सेवाओं से मुनाफा कमाती हैं.
ये स्पीकर्स वो हैं जो लेन-देन की घोषणा करते हैं जैसे, “PhonePe के जरिए ₹100 प्राप्त हुए.” हर स्पीकर ₹100 मासिक किराए पर दिया जाता है. 3 मिलियन से ज्यादा दुकानों के इस सेवा का उपयोग करने पर, प्लेटफॉर्म्स लगभग ₹30 करोड़ हर माह और ₹360 करोड़ सालाना कमाते हैं. इससे उन्हें ग्राहक का विश्वास बनाने में मदद मिलती है और दुकानदारों को लेन-देन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिलती है.
स्क्रैच कार्ड्स – Ads डिवाइस : एक और प्रमुख राजस्व स्रोत स्क्रैच कार्ड्स हैं, जो यूजर को ₹12 कैशबैक या डिस्काउंट कूपन जैसे छोटे रिवॉर्ड देते हैं. लेकिन ये सिर्फ यूजर्स के लिए नहीं हैं, बल्कि ब्रांड्स के लिए एक नया विज्ञापन चैनल हैं.
ब्रांड्स Google Pay और PhonePe को भुगतान करते हैं ताकि उनके नाम और ऑफर्स इन कार्ड्स के जरिए लाखों यूजर्स के बीच दिख सकें. इससे प्लेटफॉर्म्स को दोहरा लाभ मिलता है – यूजर की भागीदारी और ब्रांड की आय. ये मॉडल एक ROI-जनरेटिंग मशीन की तरह काम करता है.
SaaS ऑफरिंग्स और लेंडिंग सेवाएं : इन कंपनियों ने UPI की विश्वसनीयता को एक Software-as-a-Service (SaaS) लेयर में बदल दिया है. वे छोटे व्यवसायों को GST सहायता, इनवॉइस जनरेशन और माइक्रो-लोन जैसी टूल्स देते हैं. जबकि UPI सिर्फ एक गेटवे था, असली बिजनेस सॉफ्टवेयर और वित्तीय सेवाओं में है. इस मॉडल का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि यह शून्य ग्राहक अधिग्रहण लागत (CAC) के साथ काम करता है.
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