दुनिया में पहले रोटी आयी या चावल…कैसे भारत ने बनाई दुनिया की पहली चपाती

हाइलाइट्स
दुनिया में चावल और रोटी दोनों के खाने का इतिहास हजारों साल पुरानाचावल सबसे पहले चीन में पैदा हुआ, फिर भारत आया और यहां से फैलागेहूं की पहली रोटी भारत में कहां बनी थी, इसको कैेसे बनाते थे
भारतीय लोग अपने परंपरागत खाने में रोटी भी खाते हैं और चावल भी. आमतौर ये दोनों ही चीजें हमारे खाने में शामिल होती हैं. उत्तर भारत में तो बगैर रोटी और चावल खाना पूरा ही नहीं माना जाता. क्या आपको मालूम है कि दुनिया में पहले रोटी खाई गई या फिर चावल. और क्या आपको मालूम है कि दुनिया की पहली रोटी किस देश में बनी और कैसे बनाई गई.
ये सवाल अपने आपमें कौतुहल पैदा करने वाला है कि दुनिया में पहले आखिर क्या खाना गया होगा – रोटी या चावल. अगर हम ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो उसका जवाब मिल जाता है. आपको एक बात और बता दें कि चावल हो रोटी – ये दोनों ही चीजें सबसे पहले एशिया में खोजी गईं और यहीं खाई भी गईं.
तो जान लीजिए दुनिया में सबसे पहले क्या खाया गयावैसे हम आपको अब ये बता देते हैं कि दुनिया में सबसे पहले इन दोनों में क्या खाया गया. इसका जवाब है चावल. ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि चावल की खेती 8000 ईसा पूर्व चीन में होने लगी थी. घरेलू चावल की खेती का सबसे पहला प्रमाण चीन के यांग्त्ज़ी नदी क्षेत्र में लगभग 8000 ईसा पूर्व का है. वहां से चावल पूरी दुूनिया में फैला लेकिन दुनिया में फैलने से पहले ये दक्षिण एशिया में आया. मतलब ये हुआ कि दुनिया में चावल पहले खाया गया. वो भी चीन और भारत में. वैसे दुनिया के आदिम पुरुष ने ना तो पहले चावल खाया और ना ही रोटी, उसने सबसे पहले अगर कुछ खाया था तो वो मांस था.
क्यों चावल दुनिया में सबसे ज्यादा खाते हैंहालांकि ये बात बिल्कुल सही है कि दुनिया में तकरीबन हर देश में चावल खाया जाता है. इसकी खपत गेहूं से कहीं ज्यादा है. उसकी वजह भी है. क्योंकि इसको खाना बहुत आसान है. इसी वजह से दुनियाभर में चावल आधारित व्यंजन की फेहरिश्त भी लंबी है. रोटी उसकी तुलना में अब भी कम देशों में खाई जाती है.
भारत में रोटी पहले खाई गई या चावलचावल की खेती 2000 ईसा पूर्व तक भारत और एशिया के दूसरे हिस्सों में होने लगी थी. यहां से फिर दुनिया में दूसरे देशों में फैलती गई लेकिन अब दुनिया का सबसे ज्यादा चावल चीन और भारत में ही होता है. यहां से दुनियाभर को निर्यात होता है. ऋग्वेद (करीब 1500-500 ईसा पूर्व) में चावल को भारतीय उपमहाद्वीप में मुख्य भोजन के रूप में उल्लेख किया गया है.
रोटी शायद भारत में चावल से पहले खाई गई, क्योंकि ऐतिहासिक प्रमाण कहते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में फ्लैटब्रेड की खपत का सबसे पहला प्रमाण लगभग 3000 ईसा पूर्व का है. हालांकि ये रोटियां गेहूं नहीं बल्कि बाजरा या जौ की होती थीं. रोटी (चपाती) बनाने के लिए गेहूं का उपयोग 1000 ईसा पूर्व होना शुरू हुआ.
ये कहना चाहिए चावल और रोटी दोनों हजारों सालों से भारतीय खाने का हिस्सा रहे हैं, लेकिन चावल उससे कहीं पहले आ चुका था. रोटी बाद में खाने के तौर पर उभरी, वो भी कई प्रयोगों के बाद.
गेहूं की पहली रोटी अवध में बनाई गई. ये रोटियां ऊपर नीचे अंगारे रखकर पकाई जाती थीं. (photo bing)
पहली रोटी कहां बनी क्या भारत मेंतो अब जानते हैं कि दुनिया की पहली रोटी किस देश में बनी. गेहूं की वो रोटी, जो हम खाते हैं, वो भारत में ही पहली बार बनी और खाई गई. रोटी का गेहूं अवतार तत्कालीन अवध राज्य में पैदा हुआ. हालांकि ये दावा भी है कि रोटी पूर्वी अफ्रीका से व्यापारियों द्वारा भारत आई. अखमीरी चपटी रोटी अफ्रीका के स्वाहिली भाषी लोगों के बीच एक मुख्य भोजन थी.
कुछ इतिहासकार अनुमान लगाते हैं कि प्राचीन व्यापार मार्गों के कारण रोटी की उत्पत्ति फारस या पूर्वी अफ्रीका में हुई हो सकती है, लेकिन सबूतों की कमी इसकी भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पत्ति की बात ज्यादा कहती हैं.
रोटी और इसी तरह के फ्लैटब्रेड फिर मध्य पूर्व, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और कैरेबियन सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गए, अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप से लोगों के वहां पहुंचने की वजह से भी. ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय उपमहाद्वीप वह स्थान है जहां सबसे पहले रोटी बनाई और खाई गई थी.
तुलसीदास क्या लिख गए रोटी के बारे मेंकई पुराने ग्रंथों में उल्लेख है कि भारत में हड़प्पा संस्कृति में भी चपाती या रोटी मौजूद थी. लोग गेहूं, बाजरा, बाजरा और सब्जियां उगाना जानते थे. तुलसीदास द्वारा 1600 शताब्दी ई. में लिखे गए रामचरितमानस के अनुसार, रोटी तब मौजूद थी. रोटी शब्द संस्कृत शब्द रोटिका से निकला.
10वीं और 18वीं सदी के बीच कन्नड़ साहित्य में गेहूं से बनी रोटी का भी उल्लेख मिलता है. इसमें चपटी रोटी को भूनकर बनाया जाता था. इसे नीचे और ऊपर दोनों तरफ़ जलते अंगारों के साथ प्लेटों पर रखकर पकाते थे, फिर तवा वाली विधि यहीं से निकली.
अकबर और औरंगजेब को बहुत पसंद थीं पतली रोटियां चपाती का उल्लेख आइन-ए-अकबरी में किया गया है. ये किताब कहती है कि मुगल सम्राट अकबर को तंदूरी की बजाए तवे वाली पतली रोटियां पसंद करता था. उसे गेहूं से बनी पतली भुनी चपटी रोटी इतनी पसंद थी कि वह अक्सर इसे घी और चीनी के साथ नाश्ते के रूप में खाता था. ये शौक बाद में मुगल सम्राट औरंगजेब ने भी दिखाया, जो शाकाहारी था.
कहा जाता है कि औरंगजेब के ही शासनकाल में हथेली के आकार की चपातियां लोकप्रिय हो गईं.अंग्रेजों की सेना के भोजन कक्षों में भी ये लोकप्रिय थी. हालांकि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में चपाती आंदोलन ने अंग्रेजों को इससे सावधान कर दिया था.
किन भारतीय उपमहाद्वीप देशों में खाई जाती है रोटीभारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, वेस्ट इंडीज, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना, सूरीनाम, जमैकादक्षिण – पूर्व एशिया में इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, मॉरीशस, ईरान,अमेरिकी देशों में कनाडा और अमेरिकायूरोप में यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंडदक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, कैरेबियन और अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में कम से कम एक दर्जन देशों में रोटी को मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है. इसकी लोकप्रियता भारतीय उपमहाद्वीप में शुरू हुई और पूरी दुनिया में फैल गई.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 18:37 IST