विकलांगता नहीं, विल-पॉवर रखती है मायने, पत्नी की दिव्यांगता बनी प्रेरणा, अब बना रहा है नेशनल चैंपियन

Last Updated:April 23, 2025, 16:09 IST
शेराराम परिहार ने अपनी पत्नी और बहन से प्रेरणा लेकर अब तक 100 से अधिक दिव्यांगों को स्विमिंग की ट्रेनिंग दी है. उन्होंने उन्हें न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया बल्कि कई राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने तक पहुंचाया.X
दिव्यांगों का जीवन संवारने वाले शेराराम परिहार
हेमंत लालवानी/पाली- राजस्थान के शेराराम परिहार उन गिने-चुने लोगों में से हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी के संघर्षों को ही दूसरों के जीवन को संवारने का जरिया बना लिया. उनकी पत्नी एक हाथ से विकलांग हैं और बहन पैर से, यहीं से उन्हें दिव्यांगों के जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा मिली.
पत्नी बनीं प्रेरणा, बहनों ने दिखाई राहशेराराम बताते हैं कि उनकी पत्नी पूरण चौहान स्वयं एक गोल्ड मेडलिस्ट स्विमर हैं. उनकी मेहनत और जज्बे ने ही शेराराम को इस दिशा में काम करने की प्रेरणा दी. आज वह 100 से अधिक दिव्यांगों को ट्रेनिंग देकर उनके जीवन में आत्मविश्वास और स्वावलंबन भर चुके हैं.
स्विमिंग बना दिव्यांगों की ताकतशेराराम परिहार न केवल दिव्यांगों को तैराकी सिखाते हैं, बल्कि उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से भी संबल प्रदान करते हैं. उनके शिष्यों में से कई ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मेडल जीते हैं. उनके लिए यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम है.
दिव्यांग बोले – अब लगता है हम भी कुछ कर सकते हैंट्रेनिंग ले रहे एक दिव्यांग ने कहा, “पहले जीवन से हार चुका था, मगर जब यहां ट्रेनिंग ली तो हौंसला मिला. दो साल में नेशनल लेवल तक पहुंचा और गोल्ड मेडल भी जीता. अब ऐसा लगता है कि हम दिव्यांग हैं ही नहीं.”
First Published :
April 23, 2025, 16:09 IST
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विकलांगता नहीं, विल-पॉवर रखती है मायने, पत्नी की दिव्यांगता बनी प्रेरणा, अब बन