पहले ही प्रयास में दिव्यांशु ने क्वालिफाई की नीट की परीक्षा, 8 से 9 घंटे प्रतिदिन पढ़ाई की रफ्तार ने दिलाई सफलता-I dreamed of becoming a doctor in my childhood got success in the first attempt
बाड़मेर. अपने पिता को पुलिसकर्मी के तौर पर काम करते हुए देखने वाले एक बेटे ने खाकी के सबसे बड़े साथी कहे जाने वाले सफेद एप्रिन को पाने का सपना देखा. दो साल की कड़ी मेहनत और दिन में 9-9 घण्टे केवल पढ़ाई को देने के बाद उस बच्चे का यह ख्वाब पूरा हुआ है. बाड़मेर के छोटे से गांव बिस्सू कल्ला के रहने वाले दिव्यांशु ने 690 अंक के साथ NEET की परीक्षा को उतीर्ण किया है. दिव्यांशु की इस जबरदस्त सफलता के बाद घर में खुशी का माहौल है.
जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर एतबार रखना, सोच पक्की और कदमों में रफ्तार रखना. कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें, बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना…यह लाइनें पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले के बिस्सू कला गांव के दिव्यांशु पर सटीक बैठती हैं. दिव्यांशु में 12वी के बाद पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली है.
दिव्यांशु के पिता हेड कांस्टेबल जबरा राम और मां कंचन देवी अपने बेटे के पहले ही प्रयास में सफलता से फूले नही समा रहे हैं. दिव्यांशु के अंकों की अगर बात करे तो उसने भौतिक विज्ञान में 99.89, रसायन विज्ञान में 99.04 जीव विज्ञान में 98.46 अंक हासिल कर 99.77 पर्सनटाइल हासिल किए हैं. वह बताता है कि किसी भी परीक्षा में शिद्दत से किया गया प्रयास ही सफलता दिलाता है.
दिव्यांशु बालवां बताते है कि उन्होंने नियमित रूप से 8-9 घण्टे पढ़ाई जारी रखी और 12वीं के साथ ही पहले प्रयास में 690 अंक हासिल किए है. वह बताते है कि डॉक्टर बनने के लिए उनके चाचाजी की प्रेरणा काम आई और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है.
वह बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर से हुई. फिर 10वीं की पढ़ाई केवी जालीपा से की और फिर 11वीं और 12वीं की पढ़ाई सीकर में की. वह बताते हैं कि उनकी सफलता में निरंतरता और लग्न का अहम रोल रहा है. उन्होंने बताया कि सफलता पाने के लिए सोशल मीडिया से दूरी के साथ ही मोबाइल से दूरी बनाए रखना जरूरी होता है.
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FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 17:01 IST