दिवाली के धुएं ने जोधपुर की हवा जहरीली बना दी, AQI 300 पार! स्मोग गन और प्रशासन अलर्ट पर!

जोधपुर : रोशनी के त्योहार दिवाली से पहले ही जोधपुर की हवा में धुंध और धुआं घुलने लगा था. शहर में सोजती गेट से लेकर पावटा तक सर्वाधिक वायु प्रदूषण है. यहां दिवाली के एक सप्ताह पहले से ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 150 से 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आसपास पहुंच गया था. एक दिन एक्यूआइ 220 रिकॉर्ड हुआ. सोमवार को भी 199 एक्यूआइ था. अब दिवाली के बाद इसके 300 तक पहुंचने की आशंका है. एक्यूआइ लगातार दो सौ के ऊपर रहने से प्रशासन और नगर निगम को यहां हर रोज सुबह और शाम स्मोग गन से स्प्रे करना पड़ सकता है. जिससे निचले वातावरण में वायु प्रदूषक तत्वों में कमी आ सके.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से शहर में पांच स्थानों कलक्ट्रेट, मण्डोर, झालामण्ड, डिगाड़ी कलां और चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित अशोक उद्यान में रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लगा हुआ है, जो हवा में मौजूद विभिन्न प्रकार के प्रदूषक तत्वों का मापन करता है. इसमें पार्टिकुलेट मैटर (धूल, कार्बन व अन्य महीन कण), सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, अमोनिया, सतही ओजोन, बैंजीन, टालुइन, जाइलीन, तापमान, आर्द्रता सहित अन्य वायु कारक शामिल है. सर्वाधिक प्रदूषण पार्टिकुलेट मैटर का है.
मण्डोर में सबसे शुद्ध हवाशहर में मण्डोर और आसपास के क्षेत्र में सर्वाधिक शुद्ध हवा है. वहां एक्यूआई 100 के आसपास बना हुआ है. मण्डोर क्षेत्र में ट्रैफिक कम होने से भी फायदा मिलता है.
मंद गति से चल रही हवा, हवा में तैर रहा प्रदूषणमानसून जाने और तापमान कम होने के बाद वायुदाब अधिक हो जाता है जिसके कारण हवा की गति लगभग थम जाती है. हवा दिन में कभी कभार मंद गति से बहती है जिसके कारण वाहनों, औद्योगिकी क्षेत्रों और अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व उसी जगह हवा में तैरते रहते हैं. इसी कारण क्षेत्र विशेष में वायु प्रदूषण की सर्वाधिक बढ़ोतरी होती है.
रोशनी में नहीं, स्वच्छता में हो सच्ची चमकसमाजसेवी निरूपा पटवान ने बताया कि दिवाली की रौनक तभी सच्ची लगेगी जब हमारी हवा साफ और आसमान नीला रहेगा. पटाखों की आवाज कुछ पलों की खुशी जरूर देती है, लेकिन उसका धुआं कई दिनों तक सांसें भारी कर देता है. आइए इस बार ऐसी दिवाली मनाएं जो रोशनी फैलाए, धुआं नहीं. मिट्टी के दीपक जलाएं, पेड़ लगाएं और बच्चों को भी स्वच्छ हवा की अहमियत सिखाएं.
 


