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Last Updated:October 19, 2025, 15:52 IST

Rajasthan Lakshmi Mata Mandir: राजस्थान में स्थित मां लक्ष्मी का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां देवी की मुख्य मूर्ति को किसी की छाया तक नहीं छूने दी जाती. मान्यता है कि एक बार पट अपने आप बंद हो गए थे. दिवाली के मौके पर यहां भव्य मेला भरता है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.

सीकर. विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर से करीब 8 किलोमीटर दूर डूकिया गांव में माता लक्ष्मी का एक चमत्कारी मंदिर मौजूद है. यह पूरे धन की देवी मां लक्ष्मी का राजस्थान में एक अनूठा मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि यहां खुद मां लक्ष्मी के कदम छपे मिले थे. मंदिर की दीवारों पर साज-सज् जा के लिए फूलों के बजाय नोट ही नोट लगे है. दीपावली के त्यौहार पर इस लक्ष्मी मंदिर में दर्शनों के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते है. इस मंदिर को मनोकामनापूर्ण मां लक्ष्मी का मंदिर के नाम से जाना जाता है.

मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश डागर ने बताया कि मंदिर को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए 70 फीट ऊंची भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ भगवान अग्रसेन मंदिर का भी निर्माण किया जा रहा है.

प्रतिमा के सामने मेहंदी और पांव उभरे मिलेमंदिर में मां लक्ष्मी के खुद आने की मान्यता भी है. मंदिर पुजारी ने बताया कि 2018 में दिवाली पर मां के दर्शनों के लिए उन्होंने रात को मंदिर के पट खुले छोड़ दिए थे. लेकिन, देर रात पट अंदर से बंद हो गए. खोलने की कोशिश की तो भी नहीं खुले. चर्चा फैली तो गांववासी मंदिर पहुंचे. बाद में दरवाजा तुड़वाया गया. अंदर देखा तो प्रतिमा के सामने मेहंदी और चंदन लगे पांव उभरे हुए थे.

खुदाई में मिली थी प्रतिमामंदिर का निर्माण नजफगढ़ दिल्ली के श्याम भक्त नरेश डागर ने करवाया है. डागर ने यहां खाटूश्यामजी दर्शनों के आने की परंपरा के बीच 150 बीघा जमीन खरीदी थी. निर्माण के लिए जब नींव खोदी तो मिट्टी से 18 भुजाधारी देवी की छोटी प्रतिमा मिली, जिसे उन्होंने त्रिवेणी धाम के महंत नारायण दास महाराज को दिखाया था. उन्होंने मूर्ति महालक्ष्मी की बताते हुए उसी जमीन पर मंदिर बनाने की बात कही. इस पर करीब दो करोड़ की लागत से मंदिर बनवाया गया.

दूर-दूर से भक्त दर्शन करने आतेमंदिर के बाहर पार्क में पेड़-पौधे लगे हुए है. भक्तों के लिए एक विश्राम गृह भी बनाया गया है. अब मंदिर परिसर में वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर राधा-कृष्ण का मंदिर भी बनाया जा रहा है. मंदिर की दूरी खाटूश्यामजी से 8 और जीणमाता मंदिर से 15 किलोमीटर है. 8 साल पहले बने मंदिर के लिए आस्था दूर-दूर तक है. खाटूश्यामजी और जीणमाता मंदिर आने वाले भक्त लक्ष्मी मां के दर्शन करने जरूर आते है.

दीवाली पर मंदिर में भरता मेलापुजारी का कहना है कि नारायण दास महाराज ने मूर्ति को लोगों की छाया से बचाए रखने की बात कही थी. इसके बाद इस खुदाई में मिली मां लक्ष्मी की मूर्ति की नई बड़ी मूर्ति बनवाकर उसके भीतर ही प्रतिष्ठित किया गया. उनका कहना है कि आज भी वह मूर्ति मंदिर में स्थापित बड़ी मूर्ति के अंदर ही है. महालक्ष्मी मनोकामना मंदिर में दीवाली पर मेला भरता है. इसके साथ ही नवरात्र में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है. मंदिर में दर्शनों के बाद यहां पर आने वाले श्रद्धालु मंदिर की परिक्रमा लगाते है और वहां पर मां को अपनी इच्छा बताकर धागा भी बांधते है. मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी भक्त धागा बांधता है तो उसकी मां लक्ष्मी उसकी मनोकामना को पूरी कर देती हैं.

Jagriti Dubey

With more than 6 years above of experience in Digital Media Journalism. Currently I am working as a Content Editor at News 18. Here, I am covering lifestyle, health, beauty, fashion, religion, career, politica…और पढ़ें

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Location :

Sikar,Rajasthan

First Published :

October 19, 2025, 15:52 IST

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जहां लक्ष्मीजी के पट खुद हो गए थे बंद, दिवाली पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

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