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DM vs MD: एमबीबीएस के बाद डीएम करें या एमडी? मेडिकल के दोनों कोर्स में क्या है अंतर?

नई दिल्ली (DM vs MD Degree). आपने कई क्लिनिक में डॉक्टर के नाम के आगे एमडी या डीएम लिखा देखा होगा. डॉक्टर की डिग्री जानकर मरीजों को सही डॉक्टर चुनने में मदद मिलती है. ये दोनों ही मेडिकल में स्पेशलाइजेशन की डिग्री हैं. अब डॉक्टर के सिर्फ एमबीबीएस होने से काम नहीं चलता है. इसे डॉक्टरी की बेसिक डिग्री माना जाने लगा है. इसीलिए ज्यादातर युवा 5.5 सालों की एमबीबीएस डिग्री के बाद डीएम या एमडी भी करते हैं.

डीएम और एमडी, मेडिकल के इन दोनों पोस्टग्रेजुएशन कोर्सेस में एमबीबीएस के बाद ही एडमिशन मिलता है. एक तरह से ये दोनों ही मेडिकल में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हैं. लेकिन डीएम और एमडी में से ज्यादा बड़ी या महत्वपूर्ण कौन सी डिग्री है? एमबीबीएस डॉक्टर इन दोनों में से किसी भी डिग्री को हासिल करके अपने क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन कर सकता है (Difference Between DM and MD). ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि डीएम और एमडी में अंतर क्या है.

DM Full Form: डीएम का फुल फॉर्म क्या है?डीाएम का फुल फॉर्म डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन है (DM Full Form). डीएम एक सुपर स्पेशियलिटी कोर्स है. एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद 3 साल तक डीएम की पढ़ाई कर सकते हैं. डीएम कोर्स में विशेषज्ञता के क्षेत्र में डीप नॉलेज मिलती है. किसी भी मेडिकल कॉलेज के डीएम कोर्स में एडमिशन के लिए NEET SS यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट – सुपर स्पेशियलिटी (नीट एसएस) परीक्षा पास करना जरूरी है. डीएम की वैल्यू एमडी से ज्यादा है.

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MD Full Form: एमडी का फुल फॉर्म क्या है?एमडी का फुल फॉर्म डॉक्टर ऑफ मेडिसिन है. यह भी मेडिकल के क्षेत्र में पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स है. एमबीबीएस कोर्स खत्म करने के बाद युवा डॉक्टर एमडी कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. एमडी कोर्स में मेडिकल स्पेशियलिटी के विभिन्न क्षेत्रों की पढ़ाई करवाई जाती है. मेडिकल कॉलेज के एमडी कोर्स में एडमिशन के लिए नीट-पीजी (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट – पोस्ट ग्रेजुएट) परीक्षा पास करना जरूरी है. इसके बिना इसमें एडमिशन नहीं मिलेगा.

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DM vs MD Difference: डीएम और एमडी में क्या अंतर है?डीएम (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) और एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) दोनों ही मेडिकल फील्ड में हायर एजुकेशन की डिग्री हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं. जानिए डीएम और एमडी में 10 बड़े अंतर.

1. कोर्स का उद्देश्य– डीएम डिग्री कोर्स: सुपर स्पेशियलिटी में स्पेशलाइजेशन.– एमडी डिग्री कोर्स: पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन.

2. कोर्स की अवधि– डीएम कोर्स की अवधि: 3 साल (एमबीबीएस और एमडी के बाद)– एमडी कोर्स की अवधि: 3 साल (एमबीबीएस के बाद)

3. प्रवेश परीक्षा– डीएम एंट्रेंस एग्जाम: नीट-एसएस (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट – सुपर स्पेशियलिटी)– एमडी एंट्रेंस एग्जाम: नीट-पीजी (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट – पोस्ट ग्रेजुएट)

4. विशेषज्ञता क्षेत्र– डीएम: सुपर स्पेशियलिटी क्षेत्र जैसे कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, आदि.– एमडी: विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञता क्षेत्र जैसे मेडिसिन, सर्जरी, आदि.

5. शिक्षा का स्तर– डीएम: सुपर स्पेशियलिटी स्तर– एमडी: पोस्ट-ग्रेजुएट स्तर

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6. करियर विकल्प– डीएम करियर ऑप्शन (DM Career Options): सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टर, शोधकर्ता, शिक्षक– एमडी करियर ऑप्शन (MD Career Options): विशेषज्ञ डॉक्टर, शोधकर्ता, शिक्षक

7. वेतन– डीएम की सैलरी (DM Salary): उच्च वेतन.– एमडी की सैलरी (MD Salary): डीएम की तुलना में कम हो सकती है.

8. पाठ्यक्रम– डीएम कोर्स का सिलेबस (DM Course Syllabus): सुपर स्पेशियलिटी क्षेत्र में गहराई से अध्ययन.– एमडी कोर्स का सिलेबस (MD Course Syllabus): विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञता क्षेत्रों में अध्ययन.

9. रिसर्च के मौके– डीएम: रिसर्च के ज्यादा अवसर.– एमडी: डीएम की तुलना में रिसर्च के मौके कम हो सकते हैं.

10. कौन सी डिग्री ज्यादा बड़ी है– डीएम: इसका महत्व एमडी से ज्यादा है.– एमडी: इसका महत्व डीएम की तुलना में कम हो सकता है.

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Tags: Career Tips, Government Medical College, Medical Education

FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 13:27 IST

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