doctors transfer in rajasthan | सरप्लस बताकर अस्पताल से हटाते गए डॉक्टर, स्वीकृत पद और “जरूरत” का गणित समझा ही नहीं
100 बेड पर थे 48 डॉक्टर, नौ साल बाद 470 बेड पर भी नहीं बढ़ाए पद
जयपुर
Published: September 10, 2022 01:45:26 pm
जयपुर। प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों से सरप्लस डॉक्टर और नर्सेज को हटाते जा रहे चिकित्सा व चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मौजूदा जरूरत का आंकलन ही नहीं किया। एसएमएस के बाद शहर के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल जयपुरिया में वर्ष 2013 तक मात्र 100 बेड पर डॉक्टरों के 48 पद स्वीकृत थे, जो अब 470 बेड होने के बाद भी नहीं बढ़ाए गए। जबकि मानकों के अनुसार 300 से 500 बेड क्षमता के अस्पताल में डॉक्टरों के 71 पद होने चाहिए। कार्य व्यवस्था के तहत यहां स्वीकृत पदों के अलावा चिकित्सक लगाए गए थे, लेकिन जरूरत का आकलन किए बिना 22 चिकित्सकों को एक ही आदेश में हटा दिया गया है। यहां अब 50 चिकित्सक ही रह गए हैं। पूर्व में भी डेपुटेशन पर लगे 10 चिकित्सकों को यहां से हटाया जा चुका है। जबकि जयपुरिया अस्पताल जयपुर दक्षिण क्षेत्र में मालवीय नगर, जगतपुरा, सांगानेर सहित चाकसू, टोंक की करीब 10 लाख आबादी का बड़ा सहारा है।
पीआइसीयू और वार्ड अब तक शुरू नहीं, कॉटेज भी बंद
चिकित्सकों की कमी के कारण इस अस्पताल में पीआइसीयू और वार्ड एक साल बाद भी शुरू नहीं किया जा सके। स्टाफ की कमी के कारण मेडिकल आइसीयू, सर्जिकल आइसीयू और कॉटेज भी बंद हैं। जयपुरिया अस्पताल राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का संघटक मेडिकल कॉलेज अस्पताल है। यहां उपचार के साथ एमबीबीएस स्टूडेंट का शिक्षण कार्य भी होता है। इसके लिए यहां मात्र 20 चिकित्सक शिक्षक ही कार्यरत हैं।
जयपुरिया को चाहिए इतने डॉक्टर
2-2 चिकित्सा विशेषज्ञ, ऐनेस्थीसिया, स्त्री एवं प्रसूति रोग, केजुअल्टी और जनरल ड्यूटी डॉक्टर और आयुष फिजिशियन सहित 1-1 सहायक चिकित्सा अधीक्षक, मनोरोग, शिशु रोग, नेत्र, हड्डी और सर्जरी विशेषज्ञ रेडियोलोजिस्ट सहित करीब 30 अतिरिक्त पदों की स्वीकृति की आवश्यकता है।
वर्जन
मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए इंतजाम कर रहे हैं। जयपुरिया के लिए आरयूएचएस से सीनियर रेजिडेंट लगाए जा रहे हैं।

वैभव गालरिया, प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग
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