Rajasthan News : मरुधरा में 10 हॉट स्पॉट क्षेत्रों में स्थापित होगी SDRF की नई चौकियां

कई बार सम्भाग मुख्यालय से राहत बल को जिले तक पहुंचने में 300 किलोमीटर से अधिक की दूरी भी तय करनी पड़ती है. इन परिस्थितियों को देखते हुये अब अन्य प्रमुख स्थानों पर एसडीआरएफ की चौकियां स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है.
1.जिला अलवर में सिलिसेढ़ झील के पास
यह स्थान जिला अलवर मुख्यालय से 12 किमी. दूर है. यहां से अलवर के 35 किमी के दायरे में विभिन्न स्थानों जैसे नटनी का बारां, अलेवा धाम राजगढ़, पाण्डुपोल मन्दिर के मेले के समय व सागर स्थित मूसी महारानी की छतरी तथा नन्देश्वर महादेव मन्दिर अलवर आदि हैं. इन सभी स्थानों से हर वर्ष दुर्घटनावश या आत्महत्याओं के इरादे से लगभग 15 से 20 व्यक्तियों के पानी में डूबने की घटनाएं होती हैं. जिनका रेस्क्यू स्थानीय लोगों, पुलिस प्रशासन द्वारा तथा एसडीआरएफ टीम द्वारा किया जाता है. बचाव एवं राहत के लिए रेस्पोंस टाइम कम करने के संदर्भ में स्थाई अथवा अस्थाई SDRF चौकी प्रासंगिक है.
2. कोटा संभाग किशनगंज जिला बारां
बारां जिले के किशनगंज क्षेत्र में पार्वती नदी एवं परवन बरसाती नदियां होने से इस क्षेत्र में मानसून के समय बाढ़ के अलावा नदियों में डूबने व आत्महत्या की घटनाए काफी अधिक होती हैं. जिसके लिए निकटतम एसडीआरएफ टीम कोटा मुख्यालय से भिजवाई जाती है. जो करीब 130 किमी दूर पड़ता है. पिछले 5 वर्षों में किशनगंज क्षेत्र के अलावा पुलिस थाना-सारथल, मोठपुर, छिपाबडोद, छबडा, कवाई, अटरू, नाहरगढ़, शाहबाद, बापचा आदि थाना क्षेत्रों में एसडीआरएफ टीम द्वारा 56 अभियान चलाकर 193 लोगों को सुरक्षित बचाया एवं 38 व्यक्तियों के शवों को रेस्क्यू कार्य कर स्थानीय प्रशासन को सुपुर्द किया गया था.
3. अकलेरा जिला झालावाड
झालावाड जिले के अकलेरा क्षेत्र में परवन नदी, नेवज नदी, गुलेन्डी नदी एवं छापी नदी आदि बरसाती नदियां होने के कारण इस क्षेत्र में मानसून के समय बाढ़ के अलावा नदियों में डूबने की घटनाएं अधिक होती हैं. अकलेरा क्षेत्र में छापी डेम, गुलेन्डी डेम, अकावद डेम पिकनिक स्थल एवं पेयजल सिंचित परियोजना भी स्थापित है. अकलेरा के आसपास के गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं. जो कम्पनी मुख्यालय से 160 किमी दूर पड़ता है. पिछले 5 वर्षो में अकलेरा क्षेत्र के अलावा पुलिस थाना सदर झालावाड, झालरापाटन, बकानी, खानपुर, पनवाड, सारोला, मण्डावर, घाटोली, मनोहरथाना, कामखेडा, सुनेल, पिडावा, गंगधार, पगारिया एवं डग आदि थाना क्षेत्रों में एसडीआरएफ टीम द्वारा 26 अभियान चलाकर 46 लोगो को सुरक्षित बचाया गया एवं 27 व्यक्तियों के शवों को रेस्क्यू कार्य कर स्थानीय प्रशासन को सुपुर्द किया गया.
4. पुराना चम्बल पुल थाना कोतवाली जिला धौलपुर
चम्बल नदी का बहाव क्षेत्र होने के कारण पुलिस थाना कोतवाली जिला धौलपुर में पुराना चम्बल नदी पुल के आस-पास स्थानीय लोगों के चम्बल नदी में डूबने जैसी घटनाएं घटित होती रहती है. एसडीआरएफ टीम द्वारा विगत वर्षो में 6 ऑपरेशन चलाकर 8 शवों को बाहर निकाला गया. कम्पनी मुख्यालय से लगभग 110 किमी. की दूरी होने से रेस्क्यू टीम का तुरन्त पहुंचना मुश्किल होता है.
5. बांसवाड़ा जिले का माही डेम क्षेत्र
गेमन पुलिया के आस-पास के क्षेत्र में मानसून के समय बाढ़ के हालात हो जाते हैं. गेमन पुलिया पर आये दिन पानी मे डूबने के हादसे होते रहते हैं. जिसके लिए निकटतम एसडीआरएफ टीम उदयपुर मुख्यालय से भिजवाई जाती है. जो करीब 165 किलोमीटर दूर पड़ता है. अब तक 5 वर्षों में बांसवाड़ा जिले में कुल 13 रेस्क्यू ऑपरेशन चलाये जा चुके हैं. जिसमें 12 डेड बॉडी व 2 को जीवित बाहर निकाला जा चुका है.
6. फतेहसागर झील
फतेहसागर झील एक मुख्य पर्यटन स्थल है. जहां काफी मात्रा में भीड़ रहती है. इसके अलावा आये दिन डूबने की घटनाएं होती रहती हैं. इसके अतिरिक्त उदयपुर के बड़ी तालाब में इकोटोन पार्क में भी अक्सर डूबने की घटनाएं होती रहती हैं. उदयपुर के मुख्य पर्यटन स्थल फतेहसागर झील एवं बड़ी तालाब में फाईबर बोट उतारकर अस्थाई चौकी स्थापित की जा सकती है. इसके चलते डूबने की घटना होने पर त्वरित रेस्पोंस किया जाना संभव होगा.
7. आनासागर झील अजमेर
अजमेर शहर के मध्य में स्थापित होने के कारण अजमेर शहर का सम्पूर्ण बरसाती पानी इसी झील में आता है. इसके साथ ही शहर के मध्य में स्थापित होने के कारण कई बार इस झील में आत्महत्या के प्रयास किये जाते हैं. पिछले 5 वर्षों में किशनगंज थाना व गंज थाना में कुल 78 लोगों की इस झील में डूबने से मौतों का आंकड़ा है. स्थानीय लोगों और स्थानीय गोताखोरों द्वारा रेस्क्यू कार्य किये जाते हैं. जिसमें विशेष परिस्थितियों में एसडीआरएफ को बुलाया जाता है. अब तक 5 रेस्क्यू में 5 डेडबॉडी व 1 कटा हुआ पैर का रेस्क्यू किया गया है.
8. सांचौर, जिला जालोर
जालोर जिले का सांचौर क्षेत्र बरसाती नदियों तथा नर्मदा नहर से सिंचित इलाका होने के कारण इस क्षेत्र में मानसून के समय बाढ़ के अलावा नर्मदा नहर में डूबने की घटनाएं काफी अधिक होती हैं. जिसके लिए निकटतम एसडीआरएफ टीम जोधपुर मुख्यालय से भिजवाई जाती है. जो करीब 300 किमी. दूर पड़ता है. पिछले पांच वर्षों में सांचौर क्षेत्र के सांचौर, चितलवाना, सरवाना, बागोडा आदि थाना क्षेत्रों में एसडीआरएफ टीम द्वारा 10 बचाव अभियान चलाकर 102 लोगों को सुरक्षित, 10 व्यक्तियों के शव निकाले गये हैं.
9. कायलाना झील, जिला जोधपुर
कायलाना झील राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल से जुड़ा हुआ जोधपुर शहर का एक मुख्य जलस्त्रोत है. जहां पर अक्सर डूबने की घटनाएं होती रहती हैं. करीब 02-03 किमी इलाके में फैले इस जलस्त्रोत में अक्सर आत्महत्या जैसी घटनाएं भी होती रहती हैं. इस कम्पनी द्वारा चलाये गये तैराकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान भी कुछ डूबते लोगों की जान बचाई गई. पिछले 5 वर्षो में कायलाना झील में डूबने की कुल 43 घटनाएं हुई हैं. यहां 13 बचाव अभियान चलाए गए हैं.
10. मसीतावाली हैड जिला हनुमानगढ
हनुमानगढ़ जिले में इन्दिरा गांधी नहर व घग्घर नदी में डूबने की घटनायें काफी अधिक होती हैं. पिछले 5 वर्षो में 17 घटनाओं में रिपोर्ट दर्ज हुई. अनुमानत यहां वर्ष भर में 10-15 घटनाएं हो जाती हैं. मसीतावाली हैड से दो बड़ी नहरें एनडीआर माइनर व थालडका माइनर निकलती है. जिनमें भी ऐसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं पिछले 5 वर्षों में इस क्षेत्र में एसडीआरएफ द्वारा 3 बचाव अभियान चलाकर 09 शव बरामद किये गये.
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.