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पुतिन और किम जोंग के साथ जैसे दिखे थे डोनाल्ड ट्रंप, उसी अंदाज में जिनपिंग के साथ आए नजर, क्या कहती है तस्वीर?

नई दिल्ली. अंग्रेजी की कहावत है ‘अ पिक्चर स्पिक्स अ थाउसैंड वर्ड्स’, जिसका सीधा सा मतलब है कि एक तस्वीर बहुत कुछ बयां करने की ताकत रखती है, जैसे दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान खींची गई कुछ तस्वीरों ने की! अमेरिकी राष्ट्रपति ‘डोनाल्ड ट्रंप’ और चीन के राष्ट्रपति ‘शी जिनपिंग’ के बीच हुई बहुप्रतीक्षित मुलाकात पर दुनिया की नजरें टिकी थीं. ट्रंप के दोबारा व्हाइट हाउस में लौटने के बाद दोनों की ये पहली बैठक थी. पिछली बार दोनों साल 2019 में मिले थे.

इस मुलाकात ने सिर्फ बयानबाजी से नहीं, बल्कि तस्वीरों और बॉडी लैंग्वेज से भी दुनिया का ध्यान खींचा. दोनों नेताओं की तस्वीरें यह बताने के लिए काफी हैं कि राजनीति में ‘मुस्कराहट’ भी रणनीति होती है. तस्वीरों में शी जिनपिंग हल्की मुस्कान के साथ नजर आए, जबकि ट्रंप ने सामान्य से थोड़ा ऊंचा ठुड्डी उठाए हुए दृढ़ मुद्रा में हाथ मिलाया. यह वही बॉडी लैंग्वेज है जो ट्रंप ने पहले भी ‘व्लादिमीर पुतिन’ और ‘किम जोंग-उन’ से मुलाकातों में दिखाई थी. यह मुद्रा आत्मविश्वास और ‘नियंत्रण में होने’ का प्रतीक मानी जाती है.

शी जिनपिंग का चेहरा, हालांकि सौम्य दिखाई दिया, मगर उनके हाथों की स्थिति बेहद संयमित थी. शरीर सामने की ओर था जबकि ट्रंप उनकी ओर मुड़े थे. जो यह दर्शाता है कि शी सतर्क और कैल्कुलेटेड थे. वहीं ट्रंप की पकड़ हमेशा की तरह थोड़ी कसावट लिए थी, मानो वह नेतृत्व की बढ़त दिखाना चाहते हों.

तस्वीरों में दोनों के बीच दूरी भी दिखी. दोनों न ज्यादा करीब थे, न ज्यादा दूर थे और ये भी कई मायनों में दिलचस्प स्थिति थी. यह वही ‘कूटनीतिक संतुलन’ है जो ट्रंप ने 2018 में ‘किम जोंग-उन’ से मुलाकात के वक्त दिखाया था. उस समय वे मुस्कराते हुए भी पूरी बातचीत में हावी दिखे थे, जबकि इस बार शी जिनपिंग के सामने उनका चेहरा कुछ अधिक गंभीर और नियंत्रित था.

अगर तुलना बराक ओबामा और शी जिनपिंग की पिछली मुलाकातों से करें, तो फर्क साफ नजर आता है. ओबामा हमेशा खुले हाथों और सहज हावभाव में संवाद करते थे, जिससे बराबरी का भाव झलकता था. इसके विपरीत ट्रंप का तरीका ‘डील मेकर’ जैसा है, जिसमें हर हावभाव किसी ‘बोर्डरूम नेगोशिएशन’ की तरह रणनीति से भरा होता है.

ट्रंप की ‘सामने देखने’ और ‘कंधे पीछे रखने’ की मुद्रा उनके नेतृत्व के आक्रामक आत्मविश्वास को दर्शाती है, वही अंदाज जो उन्होंने पुतिन और बाइडन दोनों के सामने अपनाया था. मगर शी की शांत, स्थिर मुस्कान बताती है कि वह ‘अधीर कूटनीति’ के बजाय ‘धैर्यपूर्ण चालों’ में विश्वास रखते हैं.

तस्वीरों में इन दोनों की निगाहें सिर्फ दो देशों की राजनीति नहीं, बल्कि दो अलग शैलियों की शक्ति का प्रतीक बन गईं. एक ओर व्यापारिक मोलभाव की अमेरिकी मुद्रा दिखी तो दूसरी ओर रणनीतिक धैर्य की चीनी चाल नजर आ रही थी.

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