Rajasthan

Marigold Farming Umarain Alwar: अलवर के उमरैण गांव में मेरीगोल्ड की खेती से लाखों कमाई

Last Updated:October 17, 2025, 13:23 IST

Alwar News: अलवर जिले के उमरैण गांव के किसान मेरीगोल्ड (गेंदा) की खेती कर लाखों कमा रहे हैं. प्रगतिशील किसान बाबूलाल के नेतृत्व में, उनके फूल दिल्ली, अलवर, बांदीकुई और हरियाणा तक सप्लाई होते हैं. त्योहारी सीजन में फूलों का भाव ₹50 से ₹200 प्रति किलो तक जाता है, जिससे किसान प्रति बीघा तीन से चार लाख रुपये तक कमा रहे हैं. इस नवाचार ने उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की है.

Alwar News: अलवर जिले के समीप स्थित उमरैण गांव अपनी गेंदे (मेरीगोल्ड) की खेती के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गया है. यहां के किसान पिछले 20 वर्षों से लगातार मेरीगोल्ड की खेती कर रहे हैं, जिसने उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है और उन्हें समृद्धि की राह दिखाई है. गांव के प्रगतिशील किसान बाबूलाल ने बताया कि वे कई बीघा भूमि में मेरीगोल्ड की खेती करते हैं और अपने फूलों को दिल्ली, अलवर, बांदीकुई और हरियाणा तक बड़े पैमाने पर सप्लाई करते हैं. यह सप्लाई उन्हें अच्छी कमाई देती है, खासकर त्योहारी सीज़न में.

बाबूलाल और उमरैण के अन्य किसानों ने कहा कि उन्होंने नवाचार और सही तकनीक अपनाकर फूलों की खेती शुरू की. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं, चना और सरसों की तुलना में मेरीगोल्ड की खेती अधिक लाभदायक है.
पारंपरिक फसलों में प्रति बीघा होने वाला मुनाफा सीमित होता है.
जबकि, मेरीगोल्ड की खेती से निश्चित और निरंतर आय प्राप्त होती है, विशेषकर भारत में वर्ष भर पड़ने वाले त्योहारों और शादी-ब्याह के सीजन में.
इस नवाचार से उनकी आय में निरंतर वृद्धि हुई है, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हुआ है.

मेरीगोल्ड की खेती का सरल और उन्नत तरीका

मेरीगोल्ड की खेती के लिए किसानों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है:
बीज का चयन: भगवा और बसंती (पीले) रंग के फूलों की मांग बाज़ार में सबसे अधिक रहती है. किसान इन विशेष किस्म के बीजों का चयन करते हैं.
पौध तैयारी और रोपाई: किसान स्थानीय मार्केट से बीज खरीदकर पौध तैयार करते हैं. 15-20 दिन बाद इन पौधों को खेत में रोपा जाता है.
दूरी और देखभाल: पौधों के बीच 2 से 2.5 फीट की उचित दूरी रखी जाती है, जिससे उन्हें पर्याप्त धूप और पोषण मिल सके.

फूलों की कटाई और बंपर बाज़ार भाव

मेरीगोल्ड के पौधों में रोपाई के लगभग 45 दिनों बाद फूल आने लगते हैं. इसके बाद किसान नियमित रूप से फूलों की तुड़ाई करते हैं और उन्हें मंडी में भेजते हैं.
बाज़ार भाव: त्योहारी और शादी-ब्याह के सीजन में फूलों का भाव 50 से 200 रुपये प्रति किलो तक होता है, जो किसानों को भारी मुनाफा देता है.
मुनाफा: एक बीघा खेत से अच्छे उत्पादन पर किसान तीन से चार लाख रुपये तक की शुद्ध आय कमा सकते हैं.

किसानों के लिए प्रेरणा और गांव की नई पहचान
आज उमरैण गांव के कई किसान बाबूलाल के मार्गदर्शन में मेरीगोल्ड की खेती को सफलतापूर्वक अपना रहे हैं और अपने जीवन स्तर को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं. फूलों की खेती ने न केवल इन किसानों को आर्थिक सुरक्षा दी है, बल्कि उमरैण गांव को भी राजस्थान के फूलों के प्रमुख उत्पादक केंद्र के रूप में एक नई पहचान दिलाई है. यह कहानी साबित करती है कि पारंपरिकता से हटकर नवाचार अपनाने से ही किसानों की तकदीर बदल सकती है.
Location :

Alwar,Alwar,Rajasthan

First Published :

October 17, 2025, 13:23 IST

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अलवर का ये गांव बन गया ‘फूलों की नगरी’, किसान बन गए लखपति, दिल्ली तक महक उठा

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