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पायलट की रणभेरी सचिन अब आदमी सड़क का, देखे कौन होगा बेनकाब ?


जयपुर, (प्रेम शर्मा)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने रणनीति में बदलाव कर लिया है। पायलट ने रणभेरी का जो बिगुल बजाया है उसके जरिए वे आलाकमान तक यह मैसेज पहुंचाना चाहते हैं कि प्रदेश में वे एक जाति समुदाय के नेता नहीं बल्कि छत्तीस कौम के साथ प्रदेश के कोने-कोने से समर्थन हासिल है। इसके लिए पायलट अब आदमी सड़क का बन गए है और सड़क पर रहकर ही प्रदेश में कांग्रेस के सबसे रसूखदार और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी जननायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पटखनी देने के मुंड में है।


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह मुकाम अपने राजनीतिक गुरू स्व. परशुराम मदरेणा,स्व. हरदेव जोशी, स्व. शिवचरण माथुर,स्व.पंडित नवल किशोर शर्मा, स्व.राजेश पायलट जैसे महारथियों के बीच पाक साफ रहकर हासिल किया है। इस मुकाम को हासिल करने में किस की कहा शह और कहा मात हुई। इस पर गहलोत ने कभी गौर नहीं किया। गहलोत के राजनीति में सधे कदम इतने शातिर अंदाज में होते थे कि उनके प्रतिद्वंदी को कभी सोचने समझने का मौका ही नहीं मिलता था।
राजनीति के ऐसे महारथी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुकाबला डेढ साल से कर रहे है सचिन पायलट। उनकी नजर महज एक ही जगह टिकी हुई है और वो है मुख्यमंत्री की कुर्सी। इस कुर्सी तक पहुंच बनाने के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास आलाकमान के समक्ष किए,लेकिन सफलता के नाम पर हाथ आया बाबा जी का ठल्लू। उपमुख्यमंत्री पद के साथ प्रदेश अध्यक्ष का पद गवाने के साथ किरकिरी हुई सो अलग। सोशल मीडिया पर सचिन पायलट की छवि एक जाति विशेष और समुदाय की बनकर रह गई,जिसे स्वयं सचिन पायलट ने भी महसूस किया और अपने समर्थकों एवं सिपहसालारों के साथ मिलकर अब वे एक नया चेहरा लगाकर आदमी सड़क का बन चुके है और इसी रूप में अशोक गहलोत का प्रदेश की राजनीति से सुपड़ा साफ करने को आमदा है। कह यह रहे है कि उनका हाईकमान और अजय माकन पर पूरा भरौसा है लेकिन चेहरा बता रहा है उनके अंदर की बात कि कहीं पर ईशारा कहीं पर निगाहें रखकर वे प्रदेश में रणभेरी का बिगुल गहलोत के खिलाफ बजा चुके हैं।
युवा तुर्क सचिन पायलट के मंसूबों को जननायक भांप चुके है और उन्हीं के अंदाज में प्रदेश में युवा तुर्को की फौज कांग्रेस में खड़ी करवा रहे हैं जो सचिन पायलट के हर सवाल का जवाब मुंह तोड तरीके से देगी। डाँ. रघु शर्मा,महेश जोशी सहित कई विश्वसनीय लोगों के पुत्रों को कांग्रेस मंच पर इस कदर तैयार किया जा रहा है जो पायलट की हर चाल का मुंह तोड जवाब दे सके।
गहलोत की जादुगरी के बादे में तो सभी जानते है लेकिन राजनैतिक वार भी वे इतना सधा हुआ करते हैं कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
आदमी सड़क का बनते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने गहलोत के गृह जिले से ही उनके खिलाफ शंखनाद किया है और पूरे प्रदेश में इस तरह की सड़क यात्रा उनका लक्ष्य है। इससे कांग्रेस संगठन को उर्जा मिलेगी या फिर सचिन पायलट अपना और अपने समर्थकों का खोया मुकाम हासिल करने में कामयाब होगे। परिणाम जो भी हो लेकिन जो लक्ष्य सचिन हासिल करना चाहते है कुल मिलाकर उसकी राह आसान नहीं। अब देखना यह है कि राजस्थान प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति में महारथी अशोक गहलोत भारी पड़ते है या फिर युवा तुर्क सचिन पायलट अपनी तूती की आवाज हाईकमान तक पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं।

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