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सालार जंग संग्रहालय में फाउस्ट की डबल मूर्ति: अच्छाई-बुराई संगम

Last Updated:December 16, 2025, 16:31 IST

हैदराबाद के सालार जंग म्यूज़ियम में एक अनोखी मूर्ति है, जो अच्छाई और बुराई के शाश्वत संघर्ष को जीवंत रूप में पेश करती है. सिकोमोर लकड़ी से बनी यह बाइफेशियल मूर्ति फाउस्ट के दो पात्रों, मेफिस्टोफेल्स और मार्गरेटा, को एक ही दृष्टि में प्रदर्शित करती है. पीछे लगे आईने की वजह से दर्शक एक ही समय में दोनों विपरीत चेहरे — शैतान और संत — को देख सकते हैं. यह कलाकृति न केवल कला और शिल्प का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि दर्शन और साहित्य का भी गहरा संगम प्रस्तुत करती है.

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हैदराबाद में सालार जंग संग्रहालय में फाउस्ट की डबल मूर्ति: अच्छाई-बुराई संगमMephistopheles and Margaretta

हैदराबाद. प्रसिद्ध सालार जंग संग्रहालय की यूरोपीय आर्ट गैलरी में एक ऐसी असाधारण मूर्ति रखी गई है, जो दर्शकों को अच्छाई और बुराई के शाश्वत संघर्ष पर गहरे चिंतन में ले जाती है. यह महज़ एक कलाकृति नहीं, बल्कि एक दार्शनिक प्रश्न है जिसे लकड़ी की कला में उतारा गया है. यह मूर्ति विशेष सिकोमोर लकड़ी से बनाई गई है और इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत इसका बी-चरित्र (बाइफेशियल) होना है. यानी जब आप इसे सामने से देखते हैं, तो यह एक ही शरीर पर दो बिल्कुल विपरीत चेहरों का भ्रम पैदा करती है.

यह मूर्ति जर्मन महाकवि जोहान वोल्फगैंग वॉन गेटे के अमर नाटक फाउस्ट के दो केंद्रीय पात्रों को दर्शाती है. अच्छाई और बुराई की यह डबल मूर्ति का एक पहलू मेफिस्टोफेल्स का है, जो बुराई, चालाकी और धोखे का प्रतीक है. यह शैतानी किरदार फाउस्ट की आत्मा खरीदने के लिए उसे फुसलाता है. मेफिस्टोफेल्स के चेहरे पर अहंकार, क्रूरता और एक धूर्त मुस्कान स्पष्ट झलकती है, जो उसके भयावह इरादों को प्रकट करती है.

मूर्ति का दूसरा पहलू मार्गरेटा को समर्पित

वहीं मूर्ति का दूसरा पहलू मार्गरेटा को समर्पित है. वह भोलापन, पवित्रता, निर्दोषता और दैवीय विश्वास का प्रतीक है, उसका चेहरा सादगी, कोमलता और मासूमियत से भरा हुआ है, जो दर्शाता है कि दुनिया की बुराई अभी तक उसके शुद्ध हृदय को छू नहीं पाई है. यह दुर्लभ कलाकृति संभवतः 19वीं शताब्दी के अंत में किसी निपुण इटालियन या फ्रेंच शिल्पकार द्वारा बनाई गई थी. मूर्तिकार ने सिकोमोर लकड़ी पर इतनी महारत से काम किया है कि एक ही खंड में दो भिन्न आकृतियों की गहराई और भावनात्मक अभिव्यक्ति उभरकर सामने आती है.

इस मूर्ति को इस तरह स्थापित किया गया है कि इसके पीछे एक विशेष आईना लगाया गया है. इस आईने के कारण दर्शक एक ही दृष्टि में दोनों विपरीत चेहरे — शैतान और संत — को देख सकते हैं. सालार जंग संग्रहालय इस अद्वितीय कलाकृति को प्रदर्शित करके न केवल यूरोपीय कला की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि दर्शकों को मानव स्वभाव और नैतिक विकल्पों पर विचार करने के लिए भी प्रेरित करता है. यह मूर्ति वास्तव में कला, साहित्य और दर्शन का एक अद्भुत संगम है, जो इसे संग्रहालय के सबसे आकर्षक और महत्वपूर्ण प्रदर्शनों में से एक बनाती है.

About the AuthorMonali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

Location :

Hyderabad,Telangana

First Published :

December 16, 2025, 16:31 IST

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हैदराबाद में सालार जंग संग्रहालय में फाउस्ट की डबल मूर्ति: अच्छाई-बुराई संगम

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