Drainage fail on Sikar Road jda preparation expenditure 70 crores | सीकर रोड पर ड्रेनेज फेल…25 करोड़ पानी में, अब 70 करोड़ बहाने की तैयारी

जिस पीडीकोर की डीपीआर से हुई किरकिरी उसी से फिर बनवाई-जेडीए के पास अभियंताओं की लम्बी फौज फिर भी आंख मूंदकर फर्म पर भरोसे
सीकर रोड पर जलभराव से निजात दिलाने के लिए एक बार फिर प्लान तैयार हो चुका है। उम्मीद है कि नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा प्लान पर जल्द मुहर लगा देंगे और उसके बाद काम भी शुरू हो जाएगा।
बड़ा सवाल यह है कि जिस पीडीकोर की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के भरोसे जेडीए पानी निकासी का दम भर रहा है उस फर्म की रिपोर्ट पर जेडीए के पहले भी 25 करोड़ रुपए पानी में बह चुके हैं। 25 करोड़ खर्च करने के बाद भी स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं मिला। इसी फर्म ने इस बार जेडीए से डीपीआर बनाने के बदले एक करोड़ रुपए ज्यादा लिए हैं।दरअसल, वर्ष 2007 में बरसात के पानी की निकासी के लिए जेडीए ने ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया। इस सिस्टम ने सही तरह से काम ही नहीं किया। पिछले 15 वर्ष से तो बरसात के दिनों में सीकर रोड पर जलभराव से आवाजाही प्रभावित हो जाती है।
ऐसा प्लान किस काम का
आमतौर पर जब भी इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा कोई प्लान तैयार करवाया जाता है तो कम से कम 25 से 30 वर्ष का ध्यान रखा जाता है, लेकिन जेडीए ने वर्ष 2007 में सीकर रोड पर निकासी के लिए जो प्लान बनवाया, वह कभी काम ही नहीं आया।
डीपीआर बनाने में खर्चे करोड़ों
मानसून के बाद सड़कें खराब न हों, इसके लिए जेडीए ने पूरे शहर के ड्रेनेज प्लान की डीपीआर बनवाई। इस रिपोर्ट में ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने पर करीब 2600 करोड़ रुपए का खर्च बताया गया। शहर को 19 भागों में बांटकर इंटीग्रेटेड मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार हुआ।
तीन चरणों में होने थे काम
-नगर निगम सीमा क्षेत्र के 137.13 किमी में 40 फीट चौड़ी सड़कों पर 784.71 किमी में वाटर ड्रेन प्लान किया। अनुमानित लागत 1086 करोड़ रुपए बताई।
-शहर के बाहरी इलाकों में 759 करोड़ रुपए से ड्रेनेज विकसित किया जाना था।
-40 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर 260 वर्ग किमी में काम होना था। इसके तहत 789.10 किलोमीटर ड्रेनेज सिस्टम विकसित होना था।
फिर डीपीआर क्यों: वर्ष 2014-15 में शहर के ड्रेनेज सिस्टम का प्लान बन चुका है तो फिर सीकर रोड की फिर से डीपीआर क्यों बनवाई?
अब ये तैयारी
-सीकर रोड पर जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए पीडीकोर ने नौ चरण में काम पूरा करने की रिपोर्ट तैयार की है।
-डीपीआर में पानी निकासी पर फोकस किया गया है। इसके लिए ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जाएगा और पानी को द्रव्यवती नदी में डाला जाएगा।