DRDO और भारतीय नौसेना ने NASM-SR मिसाइल का सफल परीक्षण किया.

Last Updated:February 26, 2025, 21:28 IST
Naval Anti-Ship missile (NASM-SR): हर ताकतवर देश की ताकत के पीछ उसके हथियार होते है. चुनौतियों को देखकर साइंटिस्ट रिसर्च करते है और बना देते है घातक हथियार. चीन को भी इस बात का घमंड था कि तकनीक के मामले में उसस…और पढ़ें
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हाइलाइट्स
DRDO ने नेवल एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया.मिसाइल में “मैन-इन-लूप” फीचर से पायलट टार्गेट बदल सकता है.मिसाइल में स्वदेशी इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर लगा है.
Naval Anti-Ship missile (NASM-SR): आत्मनिर्भार भारत मुहीम के चलते अब स्वदेशी हथियारों का ही तरजीह दी जा रही है. भारत की सबसे प्रीमियर रिसर्च संस्थान DRDO लगातार अपनी तकनीक को सेना के लिए विकसित कर रही है. उसी कड़ी में सोमवार को DRDO और भारतीय नौसेना ने पहले किस्म की नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफल परिक्षण कर डाला.रक्षामंत्रालय ने बयान जारी कर के इसका एलान किया. बयान में कहा गया कि DRDO और भारतीय नौसेना ने 25 फरवरी 2025 को चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) मिसाइल का सफल फ्लाइट ट्रायल किया. इस मिलाइल का नाम नेवल एंटी-शिप मिसाइल (NASM-SR) है. जारी बयान में यह भी कहा गया कि इन परीक्षणों ने मिसाइल की क्षमता को साबित किया. इसे लॉन्च को भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से संमदर में स्थित एक जहाज निशाना बनाया गया.
खासियतों का पावर हाउज है मिसाइलमिसाइल की सबसे खास बातो में से एक है “मैन-इन-लूप” फीचर. इस फीचर में पायलट मिसाइल को पूरी उड़ान के दौरान कंट्रोल कर सकता है और रीटार्गेट कर सकता है. मिसाइल में लगे वीडियों कैमरे से लाइव फीड देख कर अपने टार्गेट को चुन सकता है निशाना बना सकता है. इस परिक्षण में भी इसका इस्तेमाल हुआ. जब समुद्र में तैर रहे छोटे जहाज के टार्गेट पर अधिक्तम रेंज से सटीक और सीधा हिट करते हुए दिखाया गया. इस मिसाइल में टर्मिनल गाइडेंस के लिए स्वदेशी इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर लगा हुआ है. इसके साथ ही इस मिशन ने हाई-बैंडविड्थ टू वे डेटा लिंक सिस्टम का भी प्रदर्शन किया. इससे पायलट को मिसाइल फ्लाइट के दौरान सीकर से लाइव फीड मिली और उसे देखकर पायलट अपने टार्गेट को बदल लिया.
लॉन्च के बाद भी बदला जा सकता है टार्गेटमिसाइल को “बेयरिंग-ओनली लॉक-ऑन आफ्टर लॉन्च” मोड में लॉन्च किया गया. इसमें कई टार्गेट में से एक टार्गेट को लॉक किया. टर्मिनल फेज के दौरान पायलट ने एक छोटे छिपे हुए टार्गेच को चुना और पिन प्वाइंट सटीकता से उसे हिट किया. यह मिसाइल स्वदेशी फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप-आधारित INS और मिड कोर्स गाइडेंस के लिए रेडियो अल्टीमीटर का इस्तेमाल किया. नेविगेशन के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) लगा है. यह एक नेविगेशन का सबसे पुरानी पद्धति है. पुराने समय में समुद्र में जहाजों को नेविगेट करने में इस्तेमाल की जाती थी. इससे सबसे बड़ा फायदा यह है. अगर कोई सैटेलाइट GPS को ब्रीच करके उसे बाधित कर देगा तो भी INS के जरिए मिसाइल अपने टार्गेट को हिट करेगा. मिसाइल ने तय किए गए मानकों पर पूरी तरफ से खरी उतरी. यह मिसाइल DRDO की अलग अलग लैब ने मिलकर विकसित की है. जिनमें रिसर्च सेंटर Imart, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी, हाई एनर्जी मटीरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी और टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी शामिल हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्रीज को सफल फ्लाइट परीक्षणों के लिए बधाई दी.
First Published :
February 26, 2025, 21:28 IST
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