डीआरडीओ ने 32000 फीट पर स्वदेशी मिलिट्री पैराशूट का सफल परीक्षण

नई दिल्ली: भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ा कारनामा कर दिखाया है. डीआरडीओ ने स्वदेशी तकनीक से तैयार मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम का 32,000 फीट की ऊंचाई पर सफल परीक्षण किया है. यह जंप भारतीय वायु सेना के टेस्ट जम्पर्स ने पूरी की और सिस्टम ने हर स्तर पर अपनी ताकत साबित की. इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन बेहद कम होती है और तापमान माइनस 40 डिग्री तक चला जाता है. इस सफल परीक्षण ने साबित कर दिया कि भारत अब हाई-एल्टीट्यूड कॉम्बैट टेक्नोलॉजी में भी आत्मनिर्भर हो चुका है. रक्षा मंत्रालय ने इसे ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ बताया और कहा कि यह सिस्टम अब भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल होने वाला एकमात्र ऐसा स्वदेशी पैराशूट सिस्टम है, जो 25,000 फीट से ऊपर भी तैनात किया जा सकता है.
32,000 फीट की छलांग, भारत की टेक्नोलॉजी ने की नई ऊंचाई हासिल
परीक्षण के दौरान भारतीय वायु सेना के प्रशिक्षित जम्पर्स ने इस स्वदेशी पैराशूट सिस्टम का उपयोग करते हुए 32,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई. सिस्टम ने न सिर्फ स्थिरता बनाए रखी बल्कि पैराट्रूपर्स को सटीक लैंडिंग जोन तक सुरक्षित पहुंचाया.
डीआरडीओ के मुताबिक, यह पैराशूट सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और भविष्य के हाई-एल्टीट्यूड मिशन के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें बेहद कम अवतरण दर (descent rate) है जिससे सैनिकों की लैंडिंग सुरक्षित रहती है, और इसका दिशा-नियंत्रण इतना सटीक है कि पैराट्रूपर मनचाही दिशा में उतर सकते हैं.
दो डीआरडीओ लैब्स की संयुक्त मेहनत से बना यह सिस्टम
यह मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम डीआरडीओ की दो प्रमुख प्रयोगशालाओं – एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (आगरा) और डिफेंस बायोइंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लेबोरेटरी (बेंगलुरु) ने मिलकर तैयार किया है.
दोनों लैब्स ने ऐसे पैराशूट मटेरियल और डिजाइन पर काम किया जो न सिर्फ बेहद हल्का है बल्कि अत्यधिक ऊंचाई और तापमान में भी असरदार रहता है.
इंडियन नेविगेशन सिस्टम के साथ पूरी तरह कम्पैटिबल
डीआरडीओ ने बताया कि यह पैराशूट सिस्टम ‘Navigation with Indian Constellation’ (NavIC) के साथ पूरी तरह से कम्पैटिबल है. यानी भारत की यह तकनीक अब किसी विदेशी सैटेलाइट या सर्विस पर निर्भर नहीं रहेगी. इससे भारत को हाई-ऑल्टीट्यूड ऑपरेशंस में पूरी तरह स्ट्रैटेजिक स्वायत्तता मिलती है.
आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह सिस्टम न सिर्फ युद्ध या ऑपरेशन्स के समय भारतीय सैनिकों की क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि विदेश से पैराशूट आयात की जरूरत को भी खत्म करेगा. कम लागत, आसान रखरखाव और पूरी तरह घरेलू उत्पादन की वजह से यह भारत को रक्षा क्षेत्र में ‘Make in India’ की असली ताकत देता है.
रक्षा मंत्री और डीआरडीओ प्रमुख ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता में ऐतिहासिक उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि यह कदम भारत को ‘टेक्नोलॉजिकल इंडिपेंडेंस’ की दिशा में और मजबूत करेगा. डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि यह सिर्फ एक पैराशूट नहीं, बल्कि भारत की नवाचार क्षमता और आत्मनिर्भरता की उड़ान है.