इंडो-पाक बॉर्डर पर पहली बार सजा दुर्गा पंडाल, मिट्टी व चावल से तैयार मूर्ति की बंगाली परिवार करता है आराधना
मनमोहन सेजू/ बाड़मेर: भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर स्थित पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा पर्व दुर्गा पूजा अपने चरम पर है. बंगाली समुदाय के लोग, चाहे जहां भी हों, इस पर्व से खुद को दूर नहीं रख पाते. जो लोग पश्चिम बंगाल लौट सकते हैं, वे अपने घरों में माँ दुर्गा की आराधना करते हैं, जबकि जो अपने घर नहीं लौट पाते, वे अपनी कर्मभूमि पर ही दुर्गा पूजा का उत्सव मनाते हैं.
पश्चिम बंगाल से दूर बाड़मेर में इन दिनों दुर्गा पूजा के पंडाल सजे हुए हैं. सोने-चांदी के काम में लगे सैकड़ों बंगाली परिवार बाड़मेर जिला मुख्यालय के कल्याणपुर में माँ दुर्गा की सपरिवार आराधना करते नजर आ रहे हैं. पहली बार यहां दुर्गा पूजा के लिए 9 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मिट्टी और चावल के बुरादे से तैयार किया गया है. इसकी भव्यता श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है.
4 लाख की लागत से सजा भव्य पंडालइस पंडाल को सजाने में करीब 4 लाख रुपये की लागत आई है. बाड़मेर में रहने वाले सैकड़ों बंगाली परिवार, जो सोने-चांदी का काम करते हैं, अपने परिवार के साथ मिलकर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा का आयोजन कर रहे हैं. पहले ये परिवार वायुसेना और आर्मी स्टेशनों पर आयोजित होने वाली दुर्गा पूजा में भाग लेते थे, लेकिन इस बार उन्होंने खुद बाड़मेर में माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की है.
पारंपरिक ढोल और खास मूर्तिजोधपुर से माँ दुर्गा की मूर्ति मंगवाने के साथ ही पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से खासतौर पर पारंपरिक ढोल वादक भी बुलाए गए हैं, जो वहां की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पश्चिम मेदिनीपुर के निवासी सैकत मन्ना ने लोकल18 से बातचीत में बताया कि यह पहला मौका है जब बाड़मेर में इतना भव्य दुर्गा पंडाल सजाया गया है. मां की 9 फीट ऊंची मूर्ति को खास तरीके से तैयार किया गया है और यहां का माहौल भक्तिमय हो चुका है. बाड़मेर में पहली बार आयोजित इस दुर्गा पूजा के आयोजन ने स्थानीय बंगाली समुदाय की आस्था और संस्कृति को जीवंत कर दिया है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 19:21 IST