National

DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट में आने के बाद CJI चंद्रचूड़ ने कौन सा रिकॉर्ड बनाया? जिसमें पिछड़ गए साथी जज

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) इस साल के आखिर में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो जाएंगे. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए करीबन 8 साल हो गए हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए. इसके बाद नवंबर 2022 में उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनाया गया.

सुप्रीम कोर्ट में आने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने काम के मामले में अपने साथी चीजों को पीछे छोड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 से लेकर 13 मई 2024 तक जस्टिस चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट की रिकॉर्ड 1211 बेंच का हिस्सा रहे. जजमेंट के मामले में अपने साथी जजों को पछाड़ दिया.

कितने जजमेंट लिख हैं CJI चंद्रचूड़जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) 13 मई 2016 से 14 मई 2024 के बीच कुल 597 जजमेंट लिख चुके हैं, जो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में उनके साथी सीटिंग जजों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो तो पता लगता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने साल 2019 और साल 2021 में सबसे ज्यादा फैसले सुनाए.

देखें चार्ट

cji, cji dy chandrachud

scobserver के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने सबसे ज्यादा फैसले सर्विस मैटर्स से जुड़े केसेज में दिये. सर्विस केसेज में 14 मई तक 125 जजमेंट लिखे. इसके अलावा आपराधिक मामलों में 116 जजमेंट दिए. इसी तरह कांस्टीट्यूशनल केसेज में 68 फैसले सुनाए.

देखें चार्ट

cji, dy chandrachud biography

CJI चंद्रचूड़ को किसने वकालत से रोक दिया था? LLB-LLM की डिग्री लेकर बैठ गए थे घर

SC में आने के बाद कौन से चर्चित फैसले दिये?1. सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ अपने फैसलों के जरिये लगातार चर्चा में रहे हैं. साल 2017 के मशहूर ‘जस्टिस केएस पुट्टास्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया’ केस में उच्चतम न्यायालय की 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला दिया कि भारत का संविधान निजता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है. जस्टिस चंद्रचूड़ भी इस संविधान पीठ का हिस्सा थे.

2. इसी तरह, साल 2018 में ‘गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली वर्सेज यूनियन ऑफ़ इंडिया’ केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली के कार्यकारी प्रमुख नहीं हैं. उन्होंने इस महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चूंकि प्रतिनिधित्व लोकतंत्र कार्यपालिका की अनिवार्य विशेषता है, इस नाते इसकी अगुवाई मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद ही कर सकता है.

3. साल 2018 में ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने ‘नवतेज जोहर वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया’ (Navtej Johar v Union of India) केस में बहुत महत्वपूर्ण फैसला दिया. आईपीसी की धारा 377 खत्म करने हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. यह फैसला मील का पत्थर साबित हुआ.

file

4. साल 2018 में ‘जोसेफ शाइन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ केस में जस्टिस चंद्रचूड़ ने व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटाने के पक्ष में उैसला दिया. उन्होंने कहा कि आईपीसी की धारा 497 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है.

5. जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) साल 2019 में अयोध्या टाइटल सूट पर फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ का भी हिस्सा था. इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से फैसला देते हुए विवादित भूमि हिंदू पक्ष को दी थी. साथ ही मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया.

Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Supreme Court, Supreme court of india

FIRST PUBLISHED : July 29, 2024, 15:19 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj