Ayurvedic Winter Health Tips: सर्दियों में स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक नुस्खे

Last Updated:November 15, 2025, 08:59 IST
Ayurvedic Winter Health Tips: सर्दियों में बढ़ती ठंड और गिरता तापमान शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है. आयुर्वेद के अनुसार, यदि इस मौसम में सही भोजन (गर्म और तैलयुक्त), तेल मालिश (अभ्यंग), धूप, व्यायाम और पर्याप्त नींद का पालन किया जाए, तो शरीर वर्षभर मजबूत और रोग-मुक्त बना रहता है. आहार में गर्म, पौष्टिक चीज़ें शामिल करें और ठंडी वस्तुओं से परहेज करें.
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देवेंद्र सैन.
कोटा. शीत ऋतु की शुरुआत के साथ ही ठंडी हवाएँ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को चुनौती देने लगती हैं. आयुर्वेद के अनुसार यह ऋतु शरीर को मजबूत बनाने का महत्वपूर्ण समय होता है. डॉ. कपिल सैनी बताते हैं कि अगर इस मौसम में सही आहार-विहार अपनाया जाए, तो शरीर वर्षभर ताकतवर, ऊर्जावान और रोग-मुक्त रहता है. आयुर्वेद में शीत ऋतु को शिशिर ऋतु कहा जाता है, जो शरीर के पुनर्निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त है.
आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, शीत ऋतु में शरीर का अग्नि तत्व (Digestive Fire) सबसे प्रबल होता है. इसे आयुर्वेद में तीक्ष्ण अग्नि कहा जाता है. इस कारण भूख अधिक लगती है और भोजन का पाचन भी बेहतर होता है. यही कारण है कि इस मौसम में पौष्टिक आहार शरीर को अधिक लाभ पहुँचाता है और आसानी से पच जाता है. यदि इस बढ़ी हुई अग्नि को शांत नहीं किया जाता तो यह शरीर के धातुओं (Tissues) को कमजोर करना शुरू कर देती है.
इस मौसम में क्या खाएं?—आहार नियमडॉ. सैनी सलाह देते हैं कि सर्दियों में गर्म, तैलयुक्त और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन शरीर को प्राकृतिक गर्माहट देता है.
इन चीज़ों को आहार में ज़रूर शामिल करें:
गेहूं, जौ और बाजरे की रोटियाँ और दलिया.
तिल, मूंगफली और बादाम—ये प्राकृतिक रूप से शरीर को गर्म रखते हैं.
घी, दूध और गुड़—ये ताकत और चिकनाई (स्नेह) प्रदान करते हैं.
अदरक, काली मिर्च और लंबी मिर्च (पीपली)—ये पाचन और प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं.
ये तत्व पाचन को मजबूत बनाते हैं और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से बचाते हैं. वहीं फ्रिज का ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स और ठंडी चीज़ें पाचन को कमजोर करती हैं. इसलिए इनसे दूरी बनाए रखना बेहतर है.
तेल मालिश: शीत ऋतु का सबसे प्रभावी उपायआयुर्वेद में अभ्यंग यानी शरीर पर तेल मालिश सर्दियों का अनिवार्य नियम माना गया है.
तिल या सरसों के तेल को हल्का गर्म करके मालिश करें.
इससे रक्त संचार बढ़ता है और शरीर गर्म रहता है.
त्वचा मुलायम रहती है और रूखापन दूर होता है.
सर्दी से होने वाली जकड़न दूर होती है.
प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.
मालिश के बाद गुनगुने पानी से स्नान करने की सलाह दी जाती है.
धूप, व्यायाम और दिनचर्या का महत्वसुबह की हल्की धूप शरीर को प्राकृतिक गर्मी और विटामिन डी देती है. इसके साथ हल्का व्यायाम, सैर, योग और प्राणायाम—शरीर को ऊर्जावान बनाए रखते हैं. व्यायाम से शरीर की ऊर्जा का स्तर बना रहता है और आलस्य दूर होता है.
सर्दियों में नींद क्यों बढ़ जाती है?आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में अधिक नींद आना स्वाभाविक है, क्योंकि शरीर इस मौसम में रिपेयर मोड में चला जाता है और खुद को अगले मौसम के लिए तैयार करता है.
रात को सोने से पहले केसर युक्त गुनगुना दूध पिएं, जो नींद की गुणवत्ता सुधारता है.
शाम का भोजन हल्का रखें, जैसे सूप, दलिया या मूंग की खिचड़ी.
ये उपाय नींद और पाचन दोनों में सुधार करते हैं और शरीर को अनावश्यक भारीपन से बचाते हैं.
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Kota,Kota,Rajasthan
First Published :
November 15, 2025, 08:59 IST
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ठंड में बार-बार सर्दी-जुकाम? आयुर्वेद के ये 7 नुस्खे बदल देंगे आपकी सेहत!



