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ED की छापेमारी में लैपटॉप, मोबाइल सहित 30.9 लाख की नगदी बरामद

कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना टेस्टिंग की बात सामने आई है। इसके चलते ईडी ने पांच डायग्नोस्टिक फर्मों पर छापेमारी कर लैपटॉप, मोबाइल, फर्जी बिल और लाखों की नगदी जब्त की है।

नई दिल्ली। इसी साल के शुरुआती दिनों में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना टेस्टिंग की बात सामने आई है। दरअसल, इस मामलों में 6 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पांच डायग्नोस्टिक फर्मों के टॉप अधिकारियों के घरों और ऑफिस में छापेमारी की थी। जानकारी के मुताबिक छापेमारी में इन अधिकारियों के घरों और ऑफिसों में फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन, संपत्ति के कागजात सहित करीब 30.9 लाख रुपए की नगद जब्त की गई है।

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इन डायग्नोस्टिक फर्मों पर की ईडी ने छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय ने जिन नोवस पाथ लैब्स, DNA लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ. लाल चंदानी लैब्स और नलवा लैबोरेटरीज के देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली, नोएडा और हिसार स्थित लैब में तलाशी ली। बता दें कि राज्य सरकार इन लैब्स को सरकार टेस्टिंग के लिए पहले ही 3 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान कर चुकी है।

सूची में कई नाम हैं फर्जी
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड पुलिस की एक शिकायत के बाद हमारी टीम हरकत में आई। दरअसल, उत्तराखंड पुलिस ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि कुंभ मेले के दौरान राज्य सरकार ने जिन प्रयोगशालाओं को रैपिड एंटीजन टेस्ट और RT-PCR टेस्ट कराने का ठेका दिया था, उन्होंने बड़ी संख्या में फर्जी रिपोर्ट तैयार की हैं। पुलिस के मुताबिक लिस्ट में बहुत से नाम फर्जी हैं

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सूची में ऐसे लोग भी जो कुंभ नहीं गए

इस शिकायत के बाद ईडी की टीम ने मामले की जांच शुरू की। जांच में उत्तराखंड पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप सही साबित हुए। ED ने बताया कि लिस्ट में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ है। कई लोगों के लिए एक ही मोबाइल नंबर, पता और फॉर्म का इस्तेमाल किया गया है। हैरानी की बात तो ये है कि सूची में कई लोग ऐसे भी हैं जो कुंभ गए ही नहीं थे। इन लैब्स की फर्जी निगेटिव टेस्टिंग की वजह से उस समय हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 0.18% रहा, जो कि हकीकत में 5.3% था।

उत्तराखंड पुलिस की शिकायत के अलावा पंजाब के रहने वाले एक शख्स के फोन पर कुंभ में कोरोना की जांच का संदेश आया जबकि वह शख्स घर पर ही था। मामले की गंभीरता को समझते हुए उसने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। मामले में आईसीएमआर की सक्रियता पर राज्य सरकार ने जांच शुरू की तो शुरुआत में 1 लाख से अधिक फर्जी कोरोना टेस्टिंग करने की बात सामने आई है।

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