Rajasthan

Election Politics – राजस्थान के नेता 2022 के विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में दिखेंगे बड़ी भूमिका में

 

– भाजपा-कांग्रेस के अभी 7 नेताओं के पास बड़ी जिम्मेदारी

– मार्च 2022 : पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा, मणिपुर में विधानसभा चुनाव
– दिसंबर 2022 : गुजरात, हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव

अरविन्द सिंह शक्तावत
जयपुर।
देश के सात राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में प्रदेश के भाजपा-कांग्रेस नेताओं को इन राज्यों में चुनावों को लेकर बड़ी जिम्मेदारी दी जा चुकी है या फिर देने की तैयारी चल रही है। दोनों दलों के नेताओं के मुताबिक जल्द कई बड़े नेताओं को और इन राज्यों में चुनाव तैयारी के लिए भेजा जा सकता है। अभी बात करें तो भाजपा-कांग्रेस के 6 नेताओं के पास निर्वाचन वाले राज्यों में जिम्मेदारी दी जा चुकी है।
अगले वर्ष 2022 में 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से पांच राज्यों में मार्च में और दो राज्यों में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होंगे। लोकसभा सीटों के हिसाब से भी केन्द्र में पार्टी को सत्तासीन कराने में इन सात राज्यों में से पांच राज्यों की अहम भूमिका रहती है। भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को निर्वाचन वाले राज्यों में प्रभारी-सह प्रभारी की जिम्मेदारी मिली हुई है। वहीं कांग्रेस ने जितेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश में स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन नियुक्ति कर बड़ी जिम्मेदारी दी है। निर्वाचन वाले राज्यों गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में से यदि गोवा और मनिपुर का निकाल दिया जाए तो शेष पांच राज्यों में राजस्थान के नेताओं का अहम रोल रहता आया है।


भाजपा : किसको कहां मिली जिम्मेदारी

गजेन्द्र सिंह शेखावत : (केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री)
पंजाब जैसे मुश्किल राज्य की जिम्मेदारी मिली है। यहां भाजपा का जमीनी आधार कमजोर है। पार्टी ने यहां शेखावत को चुनाव प्रभारी बना कर भेजा है। कृषि क्षेत्र में खासी पकड़ रखने वाले शेखावत को जिम्मेदारी देने के पीछे किसान आंदोलन भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। इससे पहले भी शेखावत को बंगाल चुनाव में भेजा गया था।


भूपेन्द्र यादव : (केन्द्रीय श्रम, वन एवं पर्यावरण मंत्री)
मणिपुर का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है। यादव का चुनाव प्रभारी के रूप में काम करने का लम्बा अनुभव है। राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में पार्टी की सरकार बनाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। जोड़-तोड़ से लेकर किसको किस तरह से अपने साथ लाना है, इसमें यादव को अनुभव है।

अर्जुन राम मेघवाल : (केन्द्रीय संसदीय कार्य, संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री)
उत्तर प्रदेश चुनाव का सह प्रभारी बनाया गया है। मेघवाल इससे पहले पुड्डूचेरी में भाजपा की सरकार बनवा चुके हैं। यहां सरकार बनाना काफी मुश्किल काम था, जिसे मेघवाल ने सफलता पूर्वक अंजाम दिया था। उत्तर प्रदेश में मेघवाल को सह प्रभारी बनाने के पीछे दलित वोट बैंक भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

कांग्रेस : किसको कहां मिली जिम्मेदारी
जितेन्द्र सिंह (राष्ट्रीय महासचिव)
उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में अपनी मौजूदगी को बढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में यहां टिकट वितरण को लेकर हाल ही स्क्रीनिंग कमेटी की कमान सौंपी गई है। वे आसाम के प्रभारी महासचिव हैं। हाल ही आसाम चुनाव में उनका काम अच्छा रहा, हालांकि कांग्रेस वहां सत्ता में नहीं आ सकी।

जुबेर खान (राष्ट्रीय सचिव)
उत्तर प्रदेश में लंबे समय से संगठन की जिम्मेदारी दी हुई है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों को देखते हुए जुबेर खान के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। वे प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी के साथ लगातार क्षेत्रों में दौरे कर रहे हैं। पार्टी की जमीनी पकड़ मजबूत करने को लेकर बूथ से ब्लॉक तक लोगों से मुलाकात कर रहे हैं।

धीरज गुर्जर (राष्ट्रीय सचिव)
एआईसीसी संगठन में जिम्मेदारी मिलने के साथ ही उन्हें उत्तर प्रदेश भेज दिया गया था। युवाओं में उनकी पकड़ ठीक है। वहीं गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों के साथ ही प्रदेश के तमाम जिलों में लगातार दौरे कर रहे हैं। प्रियंका गांधी के दौरे में भी उन्हें अग्रिम मोर्चों पर जिम्मेदारी मिल रही है। कांग्रेस के आंदोलन में भी यूपी में वे अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आते हैं।

हरीश चौधरी (राजस्व मंत्री)
पंजाब में पहले राष्ट्रीय सचिव की हैसियत से काम कर चुके हैं। इसी वजह से उन्हें पंजाब की सियासय में मचे घमासान के बीच उन्हें पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में उन्हें पंजाब में प्रभारी महासचिव की भूमिका मिल सकती है। हालांकि अभी वे राजस्थान में राजस्व मंत्री हैं।











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