Emotional reunion of mother and son after 10 years in Bharatpur Ashram

Last Updated:November 02, 2025, 09:55 IST
Bharatpur News: भरतपुर के अपना घर आश्रम में 10 साल से बिछड़ी मां-बेटे की मुलाकात ने सबको भावुक कर दिया. असम की रूपाबेन उर्फ जमुना 2015 में लापता हुई थीं. आश्रम में सेवा और उपचार से स्वस्थ होने के बाद, आश्रम की टीम ने उनके बेटे जयंत नायक से संपर्क किया. मां-बेटे का यह मिलन भावनाओं से भरा रहा, जहां दोनों फूट-फूट कर रो पड़े. जयंत ने कहा कि उनकी मां के लौटने से जीवन में फिर से उजाला आ गया है.
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Bharatpur News: भरतपुर के अपना घर आश्रम में उस समय हर आंख नम हो गई जब एक मां और बेटे का 10 साल बाद भावनात्मक मिलन हुआ. यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं. असम के जोरहाट जिले की निवासी श्रीमती रूपाबेन उर्फ जमुना वर्ष 2015 में मानसिक रूप से अस्वस्थ होकर घर से अचानक लापता हो गई थीं. परिवार ने वर्षों तक उन्हें ढूंढने की कोशिश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.
13 दिसंबर 2018 को रूपाबेन सूरत से भरतपुर के अपना घर आश्रम में भर्ती कराई गईं. आश्रम के सेवाकर्मियों और चिकित्सकों की निरंतर सेवा और स्नेह से उनका स्वास्थ्य सुधरने लगा. पूरी तरह स्वस्थ होने पर उन्होंने अपने गांव और परिवार की जानकारी साझा की. आश्रम की पुनर्वास टीम ने तुरंत असम के जोरहाट जिले के राजबाड़ी गांव में उनके घर का पता लगाया और परिवार से संपर्क किया, जिसके बाद मिलन का यह अद्भुत क्षण संभव हो पाया.
वीडियो कॉल से शुरू हुआ चमत्कारवीडियो कॉल के जरिये जब रूपाबेन की अपने बेटे जयंत नायक और देवर सूरज तांती से पहली बार बात हुई, तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा. जयंत को जब पता चला कि उसकी मां ज़िंदा हैं और भरतपुर में हैं, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
कुछ ही दिनों में जयंत और सूरज असम से भरतपुर पहुंचे. जैसे ही मां-बेटे आमने-सामने आए, दोनों फूट-फूट कर रो पड़े और एक-दूसरे से लिपट गए. मिलन के इस दृश्य ने आश्रम के पूरे परिसर को प्रेम और भावनाओं से भर दिया.
बेटे की आंखों से निकली बस एक बातजयंत ने भावुक होकर बताया- “जब मां घर से गई थीं तब मैं सिर्फ 12 साल का था. उनके जाने के गम में पिताजी का भी निधन हो गया. आज मां को गले लगाकर ऐसा लग रहा है जैसे जीवन में फिर उजाला लौट आया हो.”
देवर सूरज तांती ने बताया कि परिवार ने सालों तक कठिन परिस्थितियों में मजदूरी कर जीवन चलाया. जयंत की जल्द शादी होने वाली है और अब नियति ने वक्त रहते मां को फिर से परिवार से मिला दिया.
समाज को संदेश देता यह मिलनआश्रम की पुनर्वास टीम ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर रूपाबेन को उनके परिवार के सुपुर्द किया. यह भावनात्मक मिलन इस बात का प्रतीक है कि अपना घर आश्रम उन भूले-बिसरे, असहाय लोगों के लिए एक “परम ठिकाना” है — जहाँ जीवन फिर से मुस्कुराना सीखता है और बिछड़े हुए रिश्ते फिर से जुड़ जाते हैं.
Location :
Bharatpur,Bharatpur,Rajasthan
First Published :
November 02, 2025, 09:55 IST
एक फोन कॉल ने बदल दी किस्मत! जिसे मृत समझ चुका था बेटा… वो मां भरतपुर के…



