गहलोत बोले, लोकतंत्र के अंदर लड़ाई विचारधारा की होनी चाहिए | Gehlot said the fight should be of ideology inside democracy

सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि लोकतंत्र के अंदर लडाई विचारधारा की होनी चाहिए। गहलोत ने आज अमर जवान ज्योति के बाहर कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि व्यक्तिगत लड़ाई हो या धर्म और जाति के नाम पर राजनीति, ये ठीक नहीं होती है।
जयपुर
Published: December 16, 2021 05:19:45 pm
जयपुर। सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि लोकतंत्र के अंदर लडाई विचारधारा की होनी चाहिए। गहलोत ने आज अमर जवान ज्योति के बाहर कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि व्यक्तिगत लड़ाई हो या धर्म और जाति के नाम पर राजनीति, ये ठीक नहीं होती है। गहलोत ने कहा कि हमारे देश की शानदार परंपरा है। पूरी दुनिया हमारे देश का लोहा मानती है।

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गहलोत ने सवाल किया कि क्या हम उसको खत्म कर दें? आज देश को लगता है कि ऐसा माहौल बन गया है, जिस प्रकार से शासन चल रहा है, धर्म के नाम पर बात की जाती है, हिंदुत्व की बात की जाती है, हिंदू राष्ट्र की बात की जाती है, क्या ये संभव है? गहलोत ने कहा है कि देश का भविष्य क्या होगा, कोई सोच सकता है? क्या होगा, कोई नहीं कह सकता।
गहलोत ने कहा कि इस हिंदुस्तान में जो भी लोग रहते हैं, विचारधारा अलग हो सकती है, हमारी कोई दुश्मनी किसी से नहीं है। किसी ने कह दिया कि बीजेपी-आरएसएस तो देश में खत्म होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि खत्म नहीं होनी चाहिए। आरएसएस भी रहेगी देश में, बीजेपी भी रहेगी, वो एक विचारधारा है, हम भी रहेंगे, हमारी विचारधारा है। कहने का मतलब यही है कि लड़ाई विचारधारा की होनी चाहिए गहलोत ने कहा कि आग लगाना बहुत आसान है, लेकिन बुझाना बहुत मुश्किल है? धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है। पाकिस्तान जब बना, वो धर्म के नाम पर बना था, फिर भी वो एक नहीं रह पाए, दो टुकड़े हो गए पाकिस्तान के, इसका मतलब धर्म के नाम पर देश बनाना तो हो सकता है कि देश बन जाए, पर देश कायम नहीं रह सकता, ये उदाहरण हमारे सामने पाकिस्तान का है।
गहलोत ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान था। आज वो पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया, अलग देश बन गया, उसके टुकड़े हो गए। वहां बंगाली बोलते थे, यहां पंजाबी बोलते थे, उर्दू बोलते थे। ये पाकिस्तान का उदाहरण हमारे सामने है। गहलोत ने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करते हो, इस देश को आप धर्म के नाम पर बांटने की बात करते हो, क्या संभव है इतने बड़े मुल्क में? हमारे यहां तो और भी ज्यादा भाषाएं हैं, वहां तो खाली उर्दू थी, या बंगाली थी।
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