Enthusiasmamongwomenregarding Gangaur Mahotsav this festival is a symbol of Shiva and Mother Parvati – News18 हिंदी
रिपोर्ट- रविन्द्र कुमार
झुंझुनूं. पूरा राजस्थान इन दिनों गणगौर पर्व में व्यस्त है. सुहागन महिलाओं का ये व्रत यहां धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो पूरे प्रदेश में ये हर जगह मनाया जाता है लेकिन झुंझुनूं के बड़ागांव में गणगौर की सवारी अनूठी होती है. यहां इस साल पांच गणगौर की सवारी निकाली गई. प्रदेश का बड़ागांव ही एक ऐसा गांव है. जहां गणगौर की सबसे अधिक सवारियां निकलती हैं.
गणगौर इस में “गण” शिव का प्रतीक और ”गौर” पार्वती का प्रतीक माने जाते है. इस में ईसर गणगौर की पूजा की जाती है. आज भी नवविवाहिताओं और महिलाओ में गणगौर के प्रति काफी रुचि है. इस पर्व के साथ महिलाओं की बचपन की यादें जुड़ी होती हैं. इस पर्व पर घर-घर में ईसर गणगौर की पूजा की जाती है. यह 16 दिवसीय पर्व होली के साथ शुरू होता है. कई जगह पर इसका मेला लगता है.
200 साल का इतिहास
झुंझुनूं जिले के बड़ागांव में रहने वाले रामपाल सिंह शेखावत ने बताया बड़ागांव में गणगौर का पर्व लगभग 200 साल से मनाया जा रहा है. यहां 18 दिन तक गणगौर की पूजा की जाती है. इसके बाद इसका उजरना किया जाता है. इसकी शुरुवात कच्छवाह वंश, शेखावत राजपूतों से मानी जाती है.
मेल जोल का पर्व
रामपाल सिंह ने बताया इस बार गणगौर उनके घर से निकाली जाएगी. गणगौर चाहें कितनी भी हों पर ईसर एक ही होता है. गांव में जितनी महिलाएं उजरना करती हैं. उतनी ही गणगौर निकालती हैं. गणगौर निकालने के बाद वहां से मंदिर जाती हैं. उसके बाद मेला और मेले के बाद कुएं पर पहुंचती हैं. सभी महिलाओं को इनके दर्शन करवाए जाते हैं. उसके बाद इनका विसर्जन किया जाता है. गांव के सभी लोग मिलकर गणगौर के साथ जाते है. ये धर्म के साथ आपसी मेल जोल का पर्व भी है.
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FIRST PUBLISHED : April 10, 2024, 19:56 IST