गर्मी में भी नहीं लौटे यूरोपीय परिंदे, जवाई बना विदेशी पक्षियों का नया ठिकाना

Last Updated:April 29, 2025, 17:22 IST
जवाई बांध में यूरोप से आए प्रवासी ओस्प्रे पक्षी अभी भी डटे हुए हैं. ये मछलियों पर तेजी से झपट्टा मारते हैं और शिकार करते हैं. आमतौर पर गर्मियों में लौटते हैं, लेकिन यहां भोजन मिलने से अब भी रुके हैं.
मछली का शिकार करता विदेशी पक्षी
हाइलाइट्स
जवाई बांध में यूरोपीय ओस्प्रे पक्षी अभी भी रुके हैं.ओस्प्रे पक्षी मछलियों पर तेजी से झपट्टा मारते हैं.जवाई में ओस्प्रे की संख्या लगभग 8 से 9 है.
हेमंत लालवानी/पाली- सामान्यतः गर्मियों की शुरुआत के साथ ही यूरोपीय प्रवासी ओस्प्रे पक्षी अपने देश लौट जाते हैं, लेकिन पाली जिले के जवाई बांध में इन पक्षियों की मौजूदगी अब भी देखी जा रही है. यह स्थिति पक्षी प्रेमियों के लिए काफी रोमांचक और सुखद है.
ओस्प्रे का शिकार करने का अनोखा तरीकाजवाई बांध के दूरस्थ कैचमेंट क्षेत्र में, पक्षी प्रेमी लक्ष्मण पारंगी द्वारा ली गई एक तस्वीर में ओस्प्रे पक्षी के शिकार करने का रोमांचक दृश्य देखा जा सकता है. यह पक्षी अपनी तीव्र नजर और तेज पंजों की मदद से महज 5 से 10 सेकंड में पानी में तैरती मछली पर सटीक वार करता है. इसी कारण इसे मछलीमार बाज, मछारियां, और मछमंगा के नाम से भी जाना जाता है.
पानी में तैरती मछलियों पर तेज झपट्टाओस्प्रे पक्षी मछलियों पर बेहद तीव्रता से झपट्टा मारते हैं. पानी में जैसे ही कोई मछली नजर आती है, यह पक्षी अपने मजबूत पंजों से उसे पकड़ कर उड़ा ले जाता है. यह तरीका उन्हें अन्य पक्षियों से अलग बनाता है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का कारण भी है.
जवाई में 8 से 9 की संख्या में हैं मौजूदफिलहाल जवाई बांध क्षेत्र में ओस्प्रे की संख्या लगभग 8 से 9 है. ये बाज सर्दियों में भारत के विभिन्न जलाशयों में प्रवास करते हैं, लेकिन जवाई में भोजन की भरपूर उपलब्धता के कारण ये यहां लंबे समय तक टिके रहते हैं. अक्सर ये अप्रैल से जून के बीच यूरोप लौटते हैं, लेकिन कुछ यहीं रुक जाते हैं.
वैज्ञानिक नाम और विशेषताविज्ञान की दृष्टि से ओस्प्रे को Pandion haliaetus नाम से वर्गीकृत किया गया है. यह पक्षी न केवल अपनी सुंदरता बल्कि अपने विशिष्ट शिकार कौशल के लिए भी प्रसिद्ध है.
First Published :
April 29, 2025, 17:22 IST
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